वित्त वर्ष 2021-22 का बजट अभी भी एक लाल मखमले बही खाते में लिपटा हुआ दिख रहा था लेकिन उसमें अंदर कोई कागज नहीं था। देश के इतिहास में पहली बार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टैबलेट (संभवत: एक आईपैड) से अपने बजट भाषण को पढ़ा, जिसे उन्होंने एक मखमली बैग से सावधानी से बाहर निकाला और अपना भाषण समाप्त होने पर वापस रख दिया।
सीतारमण सुबह 11 बजे से कुछ मिनट पहले सदन में आ गई थीं और टैबलेट को मेज पर रख दिया। यह मेज से नीचे फिसल रहा था जिसके लिए जुगाड़ लगाया गया और इसे स्थिर करने के लिए एक मोटी सी नीले रंग की किताब का सहारा लिया गया। टैबलेट ने बजट भाषण की डिलिवरी में बड़ा परिवर्तन ला दिया। पिछले बजट भाषणों के विपरीत, इस बार उनकी आवाज में किसी तरह की लडख़ड़ाहट नहीं थी।
बजट 2021-22 को लेकर बहुत कुछ ऐसा था जो पिछले बजटों से अलग था। इस बार टीम के सदस्य कम उत्साही थे, सभी की मनोदशा निराशा में थी और विपक्ष तो सदन से बाहर जाना ही भूल गया था। पंजाब के कांग्रेसी सदस्यों ने कृषि कानूनों के खिलाफ नारे लगाते हुए काले वस्त्र पहने। लेकिन बेवजह, बजट भाषण शुरू होने से पहले उन्होंने सदन छोड़ दिया। नारे में लिखा था, ‘मैं एक किसान हूं। मैं एक भूमिहीन मजदूर हूं। मुझे मत मारो।’ शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस नेताओं ने एक दूसरे पर तानाकशी भी की। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल और उनकी पत्नी, पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत ने सदन से बाहर जाने से पहले कृषि कानूनों के खिलाफ नारे लगाए। जब बजट में किसान कल्याण से जुड़े मुद्दे उठाए गए तो तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने भी कुछ नारे लगाए। लेकिन वो दिल से इसके साथ नहीं दिखे।
भाषण में वित्त मंत्री द्वारा बंदरगाहों सहित कई क्षेत्रों के निजीकरण का उल्लेख करने पर कुछ निजी कारोबारी घरानों के नाम भी सुने गए। आम तौर पर, अध्यक्ष किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था पर निजी तौर पर हमला करने वाले सदस्यों की कड़ी निंदा करते हैं, जो अपना बचाव करने के लिए वहां उपस्थित नहीं होते। लेकिन काफी हल्के ढंग से शांत कराकर ओम बिरला ने इसे जाने दिया।
सदस्यों ने आरोप लगाया कि बजट को चुनावी राज्यों के आधार पर तैयार किया गया था। बजट में केरल, पश्चिम बंगाल या असम के लिए राजमार्ग आवंटन, नर्सों (केरल एवं तमिलनाडु) के लिए कौशल विकास कार्यक्रम तक, या पश्चिम बंगाल एवं असम में चाय बागानों के श्रमिकों के लिए आवंटन जैसी सभी घोषणाएं विपक्षी दलों के निशाने पर थीं। इस बीच, भाजपा नेताओं ने इस घोषणा पर मेज थपथपा दी कि उज्ज्वला योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। सीतारमण बजट के तथ्यों पर जोर देने के लिए कुछ वाक्यों को दोहराने से खुद को पूरी तरह रोक नहीं पाईं।
उन्होंने नारंगी रंग की साड़ी पहनी थी और कई दूसरे सदस्यों ने भी यही रंग पहना था। हालांकि एक दृश्य मुलायम सिंह यादव के सदन में आने तथा बाहर जाने का भी था। एक सहायक के साथ धीरे-धीरे चलते हुए, मुलायम ने अपनी सीट पर जाने के लिए कई थकान एवं दर्द भरे कदम रखे। उनके बेटे अखिलेश यादव अपनी सीट पर बैठे उत्सुकतावश यह सब देखते रहे। बाहर निकलते समय मुलायम सिंह यादव की नजर मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी पर पड़ी। उन्होंने उनका अभिवादन किया तो ओवैसी उनके सम्मान में झुक गए। आगामी विधानसभा चुनाव में ओवैसी के उत्तर प्रदेश में आने से सपा के वोट बैंक में सेंध लग सकती है।