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सवाल-जवाब: भारत निर्मित 25 प्रतिशत वाहन निर्यात का लक्ष्य

वर्ष 2030 तक भारत में निर्मित 25 प्रतिशत वाहनों का निर्यात किए जाने की जरूरत होगी।

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सोहिनी दास   
Last Updated- September 12, 2023 | 10:22 PM IST

कलपुर्जा निर्यात बढ़ाकर वर्ष 2030 तक मौजूदा 20 अरब डॉलर से 100 अरब डॉलर किए जाने के प्रयास में वाहन निर्यात पर ध्यान बढ़ाए जाने की जरूरत है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन स्टीयरिंग कमेटी फॉर एडवांसिंग लोकल वैल्यू-एड ऐंड एक्सपोर्ट्स (स्केल) के चेयरमैन पवन गोयनका ने सायम के 63वें सम्मेलन में सोहिनी दास के साथ बातचीत में कहा कि वर्ष 2030 तक यहां निर्मित 25 प्रतिशत वाहनों का निर्यात किए जाने की जरूरत होगी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

भारत से वाहन निर्यात में तेजी कैसे लाई जा सकती है?

हम भारत में दो अंक की वृद्धि में सक्षम हैं। लेकिन मैं नहीं मानता कि यहां से निर्यात के बगैर 13-15 प्रतिशत वृद्धि हासिल की जा सकती है। देश से हमारा निर्यात प्रदर्शन अब तक अनुमान से कम है। हम जितना निर्यात आज कर रहे हैं, यह उससे कम से कम तीन गुना होना चाहिए।

स्थानीयकरण की दिशा में काफी प्रयास किए जा रहे हैं और सायम तथा एसीएमए इस संबंध में स्केल समिति के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वाहन क्षेत्र ऐसा एकमात्र सेक्टर है जो भारत से निर्माण और निर्यात में मजबूत वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है।

स्थानीय मूल्य संवर्धन में स्टार्टअप किस तरह की भूमिका निभा रहे हैं?

वाहन क्षेत्र में स्टार्टअप इलेक्ट्रिक वाहन की दिशा में बढ़ने के मामले में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। दोपहिया और तिपहिया वाहनों में ये बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। स्टार्टअप इलेक्ट्रिक वाहनों की आपूर्ति में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, चाहे वह मोटर हो या बैटरी असेंबली वगैरह।

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेवा में कई स्टार्टअप हैं। जब इलेक्ट्रिक वाहन स्टार्टअप शुरू हुए, तो अधिकांश लोग कम मूल्यवर्धन के साथ यहां आयात और बिक्री कर रहे थे। लेकिन अब सरकार की फेम योजनाओं के साथ और ज्यादा स्थानीय मूल्यवर्धन हो रहा है।

आपको लगता है कि पीएलआई योजना ने स्थानीय मूल्यवर्धन के विकास में कोई खास भूमिका निभाई है?

पीएलआई ने इलेक्ट्रिक वाहनों को किफायती बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है और दूसरी बात यह है कि जिन उन्नत प्रौद्योगिकी वाले पुर्जों का हम वर्तमान में आयात करते हैं और अंततः यहां से निर्यात करते हैं, उन्हें स्थानीय रूप से बनाने की कोशिश कर रहे हैं और तीसरा बैटरियों के लिए सेल बनाने में। इन तीन क्षेत्रों में पीएलआई ने मदद की है और उद्योग की रुचि बहुत अच्छी रही है।

हमने स्थानीय सेल विनिर्माण में ज्यादा प्रगति नहीं की है। इस पर आपकी टिप्पणी?

किसी खनिज को खोजने से लेकर उत्खनन तक समय लगता है। मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार चीजों की रफ्तार बढ़ाने में सक्षम है। यह अभी खोज का पहला चरण है और इसके बाद हमें यह देखना होगा कि लीथियम की गुणवत्ता क्या है और इसे निकालने में कितना परिश्रम करना पड़ेगा।

First Published : September 12, 2023 | 10:22 PM IST