भारतीय IT कंपनियों के लिए एच-1बी वीजा मसला एक झटका, लेकिन यहां अवसर भी
ट्रंप प्रशासन ने नए आवेदकों के लिए एकमुश्त लगने वाला एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर कर दिया है। पहले यह फीस वीजा के लिए आवेदन करने वाली कंपनी के आकार के अनुसार 2,000 से 5,000 डॉलर तक हुआ करती थी। ट्रंप प्रशासन का यह नया फैसला भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों को महत्त्वपूर्ण रूप […]
FIIs vs DIIs: देसी संस्थागत निवेशकों ने 25 साल बाद फिर बनाया शेयर बाजार में दबदबा, FIIs का प्रभाव घटा
वर्ष 1992 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने की अनुमति दी गई थी। यह भारतीय पूंजी बाजार विदेशी निवेश के लिए खोलने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम था। एफआईआई ने 1992-93 में 13 करोड़ रुपये के मामूली निवेश के साथ भारतीय […]
टैरिफ से मिले झटकों के बीच भारत के लिए अवसर
अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल को टैरिफ लगाने की घोषणा (जिसे बाद में 9 जुलाई तक निलंबित कर दिया गया) और इसकी प्रतिक्रिया में जवाबी कार्रवाई, विशेषतौर पर चीन के द्वारा की गई कार्रवाई, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा नकारात्मक झटका है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि वर्ष 2025 में वैश्विक वृद्धि […]
आम बजट में खपत बढ़ाने पर दांव
निजी खपत को बढ़ावा देने और राजकोषीय अनुशासन कायम रखने के इरादे से वर्ष 2025-26 के आम बजट में व्यक्तिगत आयकर में राहत प्रदान की गई है, जिसकी प्रतीक्षा बहुत समय से की जा रही थी। अर्थव्यवस्था में इस समय धीमापन आ गया है और ऐसे में वृहद आर्थिक स्थिरता बनाए रखने तथा राजकोषीय नीति […]
नकद आरक्षी अनुपात में कमी की जरूरत नहीं
बैंकिंग तंत्र में उपलब्ध अधिशेष तरलता या नकदी दिसंबर 2024 का दूसरा पखवाड़ा आते-आते रफूचक्कर हो गई और इसमें कमी का सिलसिला शुरू हो गया। 20 जनवरी तक बैंकिंग क्षेत्र में नकदी की कमी बढ़कर 2.36 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। भारतीय रिजर्व बैंक के पास सरकार द्वारा जमा की गई भारी भरकम रकम […]
मध्यम वर्ग पर चोट से कम हुआ निजी उपभोग
पिछले कुछ हफ्तों से निजी उपभोग में कमी सुर्खियों में बनी हुई है। यह बहुत चिंता की बात है क्योंकि निजी पूंजीगत व्यय का चक्र दोबारा घूमने के ठोस संकेत अब भी नहीं दिख रहे हैं। लेकिन खपत में कमी को ठीक से समझने के लिए इसके पीछे के कारणों को समझना जरूरी है। रोजमर्रा […]
पूंजी प्रवाह पर क्या हो सही प्रतिक्रिया
भारतीय रुपया सितंबर 2024 के अंतिम सप्ताह में उस समय दबाव में आ गया जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय पूंजी बाजार में विशुद्ध बिकवाली आरंभ कर दी। इसके परिणामस्वरूप पूंजी बाहर जाने लगी। बहरहाल, व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार में दखल दिया जिससे कुछ हलकों में […]
क्या विपरीत हालात से बाहर निकल पाएगा चीन?
चीन पहले आर्थिक चुनौतियों से निपटने में सफल रहा है मगर इस बार स्थिति काफी अलग है। बता रहे हैं जनक राज चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए कुछ समय पहले भारी भरकम मौद्रिक एवं राजकोषीय प्रोत्साहनों की घोषणा की। वर्ष 2024 में 5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का उसका लक्ष्य खतरे […]
MPC: मुद्रास्फीति को तय दायरे में लाने के लिए RBI ने किया संशोधन, मगर लक्ष्य तक पहुंचने में कितनी मिली सफलता?
भारत में मुद्रास्फीति को तय दायरे में लाने के लिए लचीली (एफआईटी) व्यवस्था तैयार करने के मकसद से 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन किया गया। देश में मौद्रिक नीति के इतिहास में यह महत्त्वपूर्ण मौका था क्योंकि इसके साथ ही मौद्रिक नीति से जुड़े फैसले छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति […]
ऋण-जमा विसंगति के मूल में बचत दर
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) पर दबाव है कि वे बड़े पैमाने पर जमा राशि जुटाएं क्योंकि ऋण और जमा का वृद्धिशील अनुपात (सी-डी रेश्यो) 98 फीसदी पर पहुंच गया है। आम तौर पर यह अनुपात 80 फीसदी से कम रहता है क्योंकि बैंकों को अपने जमा पर 4.5 फीसदी का नकद आरक्षित अनुपात और 18 […]