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एक महीने की ऊंचाई पर रुपया

Published by
भास्कर दत्ता
Last Updated- January 10, 2023 | 12:03 PM IST

डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को मजबूत होकर एक महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया क्योंकि अमेरिका में वेतन में कम बढ़ोतरी व अन्य प्रमुख आर्थिक संकेतकों से उम्मीद बंध रही है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी की अपनी रफ्तार में नरमी ला रहा है।

डीलरों ने कहा कि रियल एस्टेट से जुड़े कुछ नियमन में आसानी से चीन की मुद्रा युआन में आई मजबूती ने भी रुपये को रफ्तार दी। मजबूत युआन मोटे तौर पर उ‍भरते बाजारों की अन्य मुद्राओं में तेजी लाता है। देसी मुद्रा डॉलर के मुकाबले 82.36 पर बंद हुई जबकि शुक्रवार को यह 82.73 पर टिकी थी। रुपये का सोमवार का बंद स्तर 9 दिसंबर के बाद रुपये के मजबूत स्तर को रेखांकित करता है।

शुक्रवार को जारी आंकड़ों में कहा गया है, अमेरिका में रोजगार के आंकड़े हालांकि दिसंबर में बेहतर बने रहे, लेकिन औसत आय की रफ्तार एक महीने पहले के मुकाबले धीमी रही। इंस्टिट्यूट फॉर सप्लाई मैनेजमेंट की तरफ से अलग से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में गैर-​विनिर्माण पीएमआई दिसंबर में एक महीने पहले के मुकाबले तेजी से घटी।

आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2022 के बाद से ब्याज बढ़ोतरी को लेकर फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नरमी लाने में कुछ भूमिका निभाई है, जो संभवत: भविष्य में सख्ती घटाने के लिहाज से केंद्रीय बैंक का मार्ग प्रशस्त करता है।

अमेरिकी डॉलर इंडेक्स सोमवार को तेजी से गिरा और 3.30 बजे यह 103.71 पर था, जो शुक्रवार को इस वक्त पर 105.41 रहा था। फेड की तरफ से ब्याज दरों में धीमी बढ़त के संकेत से अमेरिकी डॉलर की वैश्विक ताकत कम हो सकती है, जिससे रुपये जैसी उभरते देशों की मुद्रा को मजबूती मिलेगी।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, एशियाई मुद्राओं की तरह भारतीय रुपया मजबूत हुआ और एक महीने की ऊंचाई को छू गया। हालिया उच्च बारंबारता वाले आंकड़े और जोखिम वाली परिसंपत्तियों में सुधार से हम रुपये को अन्य एशियाई मुद्राओं के साथ कदमताल शुरू करते देख सकते हैं।

आरबीआई ने उठाया कदम

ट्रेडरों ने कहा, दिसंबर की शुरुआत में 11 साल के नए निचले स्तर तक गिरने के बाद एक साल के डॉलर-रुपये के फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट के प्रीमियम में खासा सुधार आया है, जिसकी वजह भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से बाजार में उठाया गया कदम है।

भारत व अमेरिका में ब्याज दरों के अंतर का प्रतिनिधित्व करने वाले फॉरवर्ड प्रीमियम ने निर्यातकों की तरफ से डॉलर की बिकवाली की खातिर ज्यादा अनुकूल परिस्थितियां सृजित की है। फॉरवर्ड प्रीमियम कम होने से आयातकों को अपनी हेजिंग लागत घटाने में मदद मिलती है। निर्यातकों को हालांकि कम फॉरवर्ड प्रीमियम कम रिटर्न देता है, जब वे डॉलर की बिकवाली करते हैं।

आरबीआई बेचें-खरीदें स्वैप के तौर एक व्यवस्था का इस्तेमाल करता है, जो हाजिर बाजार में डॉलर बेचने और फिर भविष्य की तारीख के लिए उन्हें खरीदने से संबंधित है। ट्रेडरों ने यह जानकारी दी। फॉरवर्ड मार्केट में डॉलर की खरीद फॉरवर्ड प्रीमियम में तेजी लाता है। सोमवार को एक साल का डॉलर-रुपये फॉरवर्ड प्रीमियम कॉन्ट्रैक्ट 2.10 फीसदी पर निपटा।

दिसंबर में रुपया उभरते बाजारों की मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में शामिल था और देसी मुद्रा के मुकाबले 16 मुद्राएं बेहतर कर रही थी। व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के अलावा विश्लेषक कह रहे थे कि निर्यातक कम फॉरवर्ड प्रीमिय​म के कारण डॉलर की बिकवाली के अनिच्छुक थे।

First Published : January 10, 2023 | 7:26 AM IST