इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज ने टीडी पावर सिस्टम्स (TD Power Systems) की साल 2011 की आईपीओ विवरणिका में कथित तौर पर तथ्यों को छुपाने व गलतबयानी के मामले में बाजार नियामक सेबी को पत्र लिखा है।
इनगवर्न ने 5 अक्टूबर के पत्र में लिखा है, हमें टीडी पावर के शेयरधारकों के करार और व्हिसलब्लोअर के टर्मिनेशन लेटर समेत कई दस्तावेज मिले हैं। कंपनी के आईपीओ दस्तावेज में कई गलत बयान थे और ऐसे में जनहित में बाजार नियामक सेबी इस मामले की जांच करे।
कॉरपोरेट गवर्नेंस एडवाइजरी फर्म ने कहा है कि आईपीओ दस्तावेज के पृष्ठ संख्या 134 में कहा गया है, हमारी कंपनी ने शेयरधारकों के साथ कोई करार नहीं किया है, जो गलतबयानी है क्योंकि विजय किर्लोस्कर, निखिल कुमार व एम. खरीचा और टीडी पावर सिस्टम्स ने 18 जुलाई, 2001 को शेयर खरीद व शेयरधारक करार किया था।
इनगवर्न ने कहा, हालांकि शेयरधारकों का यह करार 6 जनवरी, 2011 को (आईपीओ से ठीक पहले) समाप्त कर दिया गया था, ऐसे में यह बयान कि टीडी पावर ने शेयरधारकों के साथ कोई करार नहीं किया है, जानबूझकर दिया गया गलत बयान है।
बेंगलूरु की उपकरण निर्माता टीडी पावर सिस्टम्स का गठन 1999 में किर्लोस्कर ने किया था। चेयरमैन व निदेशक के तौर पर किर्लोस्कर ने जून 1999 में इस्तीफा दे दिया था और टीडी पावर के बोर्ड ने खरीचा को निदेशक के तौर पर नामित किया था।
इनगवर्न के पत्र के मुताबिक, मीडिया की हालिया रिपोर्ट से हमें पता चलता है कि किर्लोस्कर व किर्लोस्कर की विभिन्न इलेक्ट्रिक कंपनी केईसी ट्रस्ट के पास टीडी पावर के शेयर थे, जिसे एमके, उनके परिवार के सदस्य व इकाइयों को हस्तांतरित किया गया, जो ट्रस्ट के पास था। ऐसे में उल्लेखनीय यह है कि टीडी पावर की आईपीओ विवरणिका में इस संबंध में कोई डिस्क्लोजर देखने को नहीं मिला।
इस साल टीडी पावर प्रवर्तक समूह व किर्लोस्कर के बीच स्वामित्व के विवाद को लेकर सुर्खियों में था, जिन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में टीडी पावर के प्रवर्तकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
अगस्त में इनगवर्न ने टीडी पावर में गवर्नंस को लेकर अपनी चिंता पर एक नोट जारी किया था। उसने कहा था कि कंपनी को पूर्ण डिस्क्लोजर व संपूर्ण तथ्य अपने शेयरधारकों के सामने तत्काल रखना चाहिए, जो किर्लोस्कर की तरफ से दर्ज मुकदमे से संबंधित है।
इस संबंध में टीडी पावर ने बिजनेस स्टैंडर्ड की तरफ से ईमेल के जरिए मांगी गई जानकारी नहीं दी।