भारत में वाहन कलपुर्जा निर्माता मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। कोविड-19 के कारण कामगारों की काफी ज्यादा अनुपस्थिति, अहम पुर्जों की किल्लत और वाहन निर्माताओं की तरफ से अपने संयंत्रों को अस्थायी तौर पर बंद किए जाने से 3.2 लाख करोड़ वाले इस क्षेत्र भारी चोट पड़ी है। ये फर्में अपने राजस्व का करीब 60 फीसदी हिस्सा मूल उपकरण विनिर्माताओं से हासिल करती हैं जबकि बाकी रीप्लेसमेंट डिमांड और निर्यात में सामान रूप से बंटा हुआ है।
शनिवार को कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया ने कहा कि वह रखरखाव के लिए संयंत्रों को 16 मई तक बंद रखेगी, जो पहले नौ तारीख तक बंद होना था। कंपनी ने एक्सचेंजों को दी सूचना में कहा, मौजूदा महामारी की स्थिति को देखते हुए संयंत्रों मेंं कुछ काम जारी र हेगा। सुजूकी मोटर गुजरात ने भी ऐसा ही फैसला लिया है। मारुति व अन्य वाहन निर्माताओं मसलन महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, टोयोटा किर्लोस्कर, होंडा मोटरसाइकल ऐंड स्कूटर इंडिया, फोर्ड इंडिया, बीएमडब्ल्यू इंडिया आदि ने महामारी के कारण संयंत्र कुछ समय तक बंद रखने का फैसला लिया है।
वाहन कलपुर्जा निर्माताओं की उत्पादन की योजना विनिर्माताओं के साथ नजदीकी से जुड़ी है और आंशिक बंद से उनपर प्रतिकूल असर पड़ेगा, यह कहना है वाहन कलपुर्जा निर्माताओं के संगठन के अध्यक्ष दीपक जैन का। उन्होंने कहा, मौजूदा परिस्थितियों में उत्पादन काफी मुश्किल हो गया है। वाहन फर्मों – आपूर्ति करने वाले व ओईएम के पास इस वास्तविकता के मुताबिक अपनी योजना फिर से बनाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। बीमार होने के कारण ज्यादा अनुपस्थिति, कामगारों का लौटना और कलपुर्जों की किल्लत ने उत्पादन में अवरोध पैदा किया है। अभी इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि आगे क्या होगा। अभी सहायकों की सुरक्षा और जीवन बचाना प्राथमिकता में सबसे ऊपर है।
अन्य भी ऐसी ही बात कह रहे हैं। बेंगलूरु की सनसेरा इंजीनियरिंग के संयुक्त प्रबंध निदेशक ए आर सिंघवी ने कहा, आपूर्ति, कामगार की स्थिति ठीक नहीं है, यानी हर चीज प्रभावित हुई है। हमारे उत्पादन की क्षमता पर भी असर पड़ा है। देसी बाजार पर पड़े असर को देखते हुए कंपनी निर्यात पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसका योगदान कंपनी के राजस्व में अभी एक तिहाई है।
क्रिसिल रिसर्च ने 26 मार्च की रिपोर्ट में कहा था कि ओईएम की मांग वाहन कलपुर्जा क्षेत्र को सहारा देगा, जो वित्त वर्ष 22 में 21 से 23 फीसदी राजस्व बढ़ोतरी देख सकता है जबकि 2020 व 2021 में उसने क्रमश: 13 फीसदी व 8 फीसदी की नकारात्मक वृद्धि देखी थी। लॉकडाउन और लोगों व वाहन ढुलाई पर लगी पाबंदी के कारण रीप्लेसमेंट मांग पर जो असर पड़ा था, वह भी धीरे-धीरे सुधर जाएगा। इसके अलावा अमेरिका व यूरोपीय यूनियन से मांग के कारण निर्यात में भी बढ़ोतरी होगी, जो राजस्व में 20 फीसदी का योगदान करता है। ये दोनों इलाके भारत के वाहन कलपुर्जा निर्यात में 55 फीसदी का योगदान करते हैं। वित्त वर्ष 21 की तीसरी तिमाही से ही रिकवरी के संकेत दिखने लगे थे। दूसरी लहर हालांकि ज्यादा संक्रामक है और सेंंटिमेंट पर इसका गहरा असर पड़ा है क्योंकि कुछ भी निश्चित नहीं है।