मंद पड़ी बिक्री से परेशान वाहन कंपनियां एक बार फिर ग्राहकों को लुभाने के लिए हॉर्न बजा सकती हैं।
दरअसल ऑटो लोन के मामले में सख्ती बरत रहे बैंक और फाइनैंसर एक अदालती फैसले के बाद अपना रुख नरम करने की सोच रहे हैं। इस फैसले के बाद डिफॉल्टरों यानी कर्ज की किस्त जमा नहीं करने वालों से निपटना उनके लिए आसान हो सकता है।
ऑटो कंपनियों और डीलरों का मानना है कि ऑटो लोन की शर्तें कड़ी होने से पिछले तीन महीनों के दौरान वाहनों की बिक्री में काफी कमी आई है। लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद फाइनैंसर ऑटो लोन की शर्तें नरम करने पर विचार कर रहे हैं।
इस फैसले में अदालत ने कहा कि वाहन की किस्त सही समय पर जमा नहीं कराने की सूरत में फाइनैंसर ग्राहक का वाहन जब्त कर सकता है। न्यायालय के इस फैसले के बाद बैंक ऑटो लोन देने में ज्यादा सोच विचार नहीं करेंगे।
मारुति सुजूकी लिमिटेड में नैशनल हेड (सेल्स) आर एस कलसी कहते हैं, ‘इस फैसले से बैंक ऑटो लोन देने के लिए प्रोत्साहित होंगे। बैंकों के उदार होने से ग्राहक भी कर्ज लेने से नहीं हिचकेंगे।’ वैसे इसका प्रभाव बहुत जल्दी नहीं नजर आने जा रहा है। कल्सी कहते हैं कि वाहनों की बिक्री पर इसका असर तीन महीनों के अंदर ही दिख पाएगा।
पिछले साल के मध्य में जब ऑटो लोन लेने वाले ऐसे ग्राहकों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही थी, जो अपनी किस्त जमा नहीं करा रहे थे। तब आईसीआईसीआई बैंक जैसे कई बैंकों के अलावा महिंद्रा फाइनैंस और डीबीएस चोलामंडलम जैसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने ऑटो लोन की शर्तें काफी कड़ी कर दी थीं।
ग्राहकों के धोखे के अलावा ऊंची ब्याज दरों और नकदी की किल्लत ने भी इस मामले में अहम भूमिका अदा की। मारुति के एक डीलर कॉम्पिटेंट ऑटोमोबाइल्स के सीईओ राज चोपड़ा कहते हैं, ‘ऑटो लोन के बिगड़ते मामलों की वजह से बैंक और ज्यादा चौकन्ने हो गए थे। इनके पास अगर ऑटो लोन के लिए 100 प्रस्ताव आते थे, इसमें से औसतन 50 को ही मंजूरी मिलती थी। इससे पहले 100 में 90 प्रस्तावों को मंजूरी मिल जाया करती थी।’
पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्देश दिया था कि फाइनैंसर ग्राहकों के साथ सख्ती से पेश नहीं आ सकते। दिल्ली की एक अदालत ने भी आदेश दिया था कि बैंक कर्ज वसूली के लिए गुंडों का या जोर जबरदस्ती के किसी भी तरीके का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसके बाद बैकरों ने ऑटो लोन देने के मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखना शुरू कर दिया।
डिफॉल्टरों के खिलाफ अदालती फैसले के बाद बैंक ऑटो लोन के मामले में होंगे नरम