अगले कुछ दशकों में वित्तीय क्षेत्र में अच्छी वृद्घि दर्ज की जा सकती है। बैंक, एनबीएफसी और वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत में बैंकिंग सुविधा से वंचित आबादी के लिए जरूरी वित्तीय उत्पाद मुहैया कराने की दिशा में एक-दूसरे के साथ भागीदारी बढ़ा रही हैं।
देश की प्रमुख एनबीएफसी (आवास वित्त कंपनियों समेत) के प्रमुखों ने बिजनेस स्टैंडर्ड के बीएफएसआई इनसाइट समिट के तीसरे दिन इस बारे में अपने विचार पेश किए। चर्चा का विषय ‘लाभकारी एनबीएफसी’ था।
एडीएफसी के वाइस चेयरमैन एवं मुख्य कार्याधिकारी केकी मिस्त्री ने कहा, ‘लाभ की स्थति में एनबीएफसी या बैंक नहीं, बल्कि वित्तीय क्षेत्र है।’
सुंदरम फाइनैंस के प्रबंध निदेशक राजीव लोचन ने कहा, ‘मैं बैंकों को चुनौती पेश करने वालों के तौर पर नहीं देखता। एनबीएफसी द्वारा भारतीय उपभोक्ताओं की सेवा में बैंकों का मददगार बनने में लंबा रास्ता तय करना होगा।’
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी गगन बंगा ने कहा कि उनकी कंपनी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 30 है, और कई मामलों में नियामक के नियमों का पालन करने के बजाय बेहतर पूंजी हासिल करने की जरूरत के साथ पूंजी पर दबदबा रहा है।
पीरामल रिटेल फाइनैंस के सीईओ जयराम श्रीधरन का कहना है, ‘अच्छी तरह से पूंजीकृत संस्थान मुश्किल से ही परिसंपत्ति से संबंधित समस्याओं का सामना करते हैं। समस्या हमेशा देनदारी को लेकर होती है, और तरलता से चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। कई वित्तीय संस्थान तरलता के संकट को कम आंकते हैं।’
श्रीधरन ने कहा, एक ओर सरकार 10 साल के लिए 6.25 फीसदी पर उधार देती है, वहीं औसत होम लोन खरीदार को 30 साल का लोन 6.5 फीसदी पर मिलता है। यह विचित्र स्थिति है।
पैनलिस्टोंं ने कहा, निश्चित तौर पर लापरवाही हुई, जिसमें एनबीएफसी तब तक उधार देती रही जब तक कि आईएलऐंडएफएस धराशायी नहीं हो गई।
सेंट्रम ग्रुप के चेयरमैन जसपाल बिंद्रा ने कहा, साल 2018 से पहले एक साथ बड़ी संख्या में हर आकार, गवर्नेंस, गुणवत्ता वाली एनबीएफसी थी। साल 2018 से 2020 तक हमने कुछ चुनिंदा एनबीएफसी को छोड़ दें तो एनबीएफसी बहुत ज्यादा लाभकारी नहीं थी। साल 2021 में हम एक बार फिर फायदेमंद एनबीएफसी देख रहे हैं।
आगामी दिनों में एनबीएफसी काफी ज्यादा तकनीक पर आश्रित होगी। उदाहरण के लिए नवी समूह जैसी फर्म के लिए वित्तीय सेवाओं की खातिर पूरी बैंंकिंग सर्विस डिजिटल बनाई जा सकती है। फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक व पूर्व कार्यकारी चेयरमैन सचिन बंसल ने कहा, भारत में ग्राहकों को बेहतर बैंंकिंग का अनुभव नहीं मिलता, लेकिन बैंंकिंग का अनुभव खुशनुमा हो सकता है।
उन्होंने कहा, कई इलाके ऐसे हैं जहां बैंंकिंग का प्रसार नहीं हुआ है और वहां के लोगों की पहुंच क्रेडिट तक नहीं है। बंसल ने कहा, क्रेडिट व बैंंकिंग शुद्ध रूप से वर्चुअल प्रॉडक्ट है। आखिर में किसी प्रॉडक्ट की फिजिकल डिलिवरी नहीं होती।
एनबीएफसी क्षेत्र वृद्घि की राह पर
आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने बिजनेस स्टैंडर्ड के बीएफएसआई सम्मेलन में भाषण देते हुए कहा कि गैर-बैंकिंग वित्त क्षेत्र वृद्घि की संभावनाओं का लाभ उठाने की तैयारी में है, क्योंकि अर्थव्यवस्था अब महामारी के प्रभाव से उबर रही है और इसका बड़ा श्रेय नियामक द्वारा तैयार किए गए अनुकूल परिवेश को दिया जा सकता है। विश्वनाथन ने कहा, ‘मजबूत नियामकीय ढांचा, बड़ी आवास वित्त कंपनी के सफल समाधान, क्षेत्र के लिए पूंजी प्रवाह सुनिश्चित करने के उपाय, सह-उधारी मॉडल को मजबूत बनाने जैसे कदमों से एनबीएफसी क्षेत्र को बड़ी राहत मिलेगी।’ एनबीएफसी को आसान नियमों की जरूरत रही है, क्योंकि इन कंपनियों ने ऐसे ग्राहकों की वित्तीय जरूरतें पूरी की हैं, जिन पर बड़े बैंकों द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता है।