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गणतंत्र दिवस की झांकी का कैसे होता है चयन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:51 PM IST

दिल्ली में इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के लिए अपने राज्य की झांकियों को  मंजूरी नहीं दिए जाने से विपक्षी दलों द्वारा शासित तीन राज्य बेहद खफा हैं। सबसे ज्यादा रोष में केरल है जिसकी झांकी लगातार तीसरी बार अस्वीकार की गई है। हालांकि इस तथ्य का दूसरा पहलू यह है कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए किसी राज्य की झांकी का चयन एक व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा है जो बेहद थकाऊ भी है और चार महीने पहले यानी सितंबर से ही शुरू हो जाती है। जुलाई महीने तक एक विषय चुना गया और 2022 की झांकी के लिए राज्यों को एक ही तरह के पत्र भेजे गए। इसकी प्रक्रिया कुछ इस तरह है:

झांकियों के दिशानिर्देश
गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की है। ऐसे में परेड से जुड़े सभी फैसले यही मंत्रालय लेता है। पत्र 16 सितंबर, 2021 को सभी राज्यों को भेजा गया था और उन्हें गणतंत्र दिवस 2022 की थीम से अवगत कराया गया था। यह थीम आजादी की  75वीं सालगिरह से जुड़ी थी जिसमें विशेष तौर पर 75वें साल में भारत, स्वतंत्रता संग्राम, विचार, उपलब्धियों से जुड़े विषय थे।
कुछ दिशानिर्देशों को हमेशा ध्यान में रखा जाता है जैसे कि दो अलग-अलग राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां एक जैसी नहीं हो सकतीं  क्योंकि झांकियों के जरिये देश की विविधता को प्रदर्शित किया जाता है। ऐसे में राज्यों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी झांकियों के स्केच बनाएं। झांकियों में केवल राज्य/ केंद्रशाासित प्रदेश/विभाग के नाम ही होने चाहिए जो सामने हिंदी में और पीछे अंग्रेजी भाषा में लिखे होने चाहिए। क्षेत्रीय भाषा में यह नाम बगल के हिस्से में लिखे जा सकते हैं। इनको छोड़कर किसी भी तरह का लेखन या लोगो का इस्तेमाल नहीं हो सकता। मंत्रालय प्रतिभागियों से झांकियों के लिए पर्यावरण अनुकूल सामग्री का इस्तेमाल करने और प्लास्टिक या प्लास्टिक आधारित उत्पादों के इस्तेमाल से बचने के लिए भी कहता है।
इस वर्ष, राज्यों के लिए अतिरिक्त दिशानिर्देश दिए गए थे। मसलन, इस पहल में योग्य युवा डिजाइनरों को शामिल किया जाना, तस्वीरों और सामग्री को उभारने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले वॉल का इस्तेमाल करना, एलईडी लाइट का नए तरीके से इस्तेमाल करना, मेकेट्रोनिक्स या रोबोट का इस्तेमाल कर चीजों को घूमता हुआ दिखाया जा सकता है।
3 डी प्रिंटिंग का इस्तेमाल भी कुछ चीजों को दिखाने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और वर्चुअल रियालिटी जैसी तकनीक के  इस्तेमाल की इजाजत भी शामिल है।

कैसे होता है चयन
रक्षा मंत्रालय ही कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला और नृत्य निर्देशन जैसे क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञ लोगों की एक समिति का गठन करता है। राज्यों को सलाह दी जाती है कि वे सीधे इस समिति के सदस्यों से कोई लॉबीइंग न करें। समिति कई दिनों तक घंटों तक बैठक करती है और स्केच के आधार पर प्रत्येक प्रस्ताव पर गहनता से चर्चा करती है। इसी बैठक में यह तय होता है कि क्या चीजें जोड़ी जानी चाहिए और क्या हटाई जानी चाहिए। इस तरह संभावित झांकी को छांटा जाता है। अगर किसी झांकी में नृत्य जोडऩा है तब उस नृत्य की वीडियो क्लिप मांगी जाती है। सबसे कठिन हिस्सा आता है, झांकी का 3 डी मॉडल। इस प्रस्ताव को किसी भी स्तर पर खारिज किया जा सकता है। केवल एक चरण से दूसरे चरण तक पहुंचने का यह मतलब नहीं है कि झांकी परेड में शामिल कर ली जाएगी।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि राज्य अपनी पसंद के डिजाइनरों को शामिल कर सकते हैं। लेकिन डिजाइनरों को रक्षा मंत्रालय की झांकियों की समिति के साथ हर चरण में मौजूद रहना आवश्यक है । अगर वे अनुपस्थित रहे तो झांकी को बाहर निकाला जा सकता है। इसके अलावा दो से अधिक झांकियां बनाने के लिए एक डिजाइनर को नहीं लगाया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि किसी डिजाइनर का झांकियों के निर्माण पर एकाधिकार न हो।
इस साल झांकियों पर प्रदर्शन करने वाले कलाकारों की संख्या को लेकर अतिरिक्तदिशानिर्देश जारी किए गए हैं और कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए इनकी तादाद सीमित की गई है।

चयन प्रक्रिया
अंतिम चयन करने में समिति, विजुअल अपील, जनता पर प्रभाव, झांकियों के विचार/विषय के ब्योरे पर ध्यान देती है। रक्षा मंत्रालय प्रत्येक प्रतिभागी को एक ट्रैक्टर और एक ट्रेलर देता है। झांकी उस पर फिट होनी चाहिए। मंत्रालय की तरफ  से झांकी के लिए किसी भी अतिरिक्त ट्रैक्टर या ट्रेलर या यहां तक कि किसी अन्य वाहन के इस्तेमाल की मनाही है। प्रतिभागी अपने मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए ट्रैक्टर या ट्रेलर को अन्य वाहनों से बदल सकते हैं, लेकिन कुल संख्या दो वाहनों से अधिक नहीं होनी चाहिए।
ट्रैक्टर को झांकी के विषय के अनुरूप ही होना चाहिए और मंत्रालय के मुताबिक ट्रैक्टर और ट्रेलर के बीच लगभग छह फुट की दूरी होनी चाहिए ताकि उसे घुमाने में आसानी हो। जिस ट्रेलर पर झांकी रखी जाती है वह 24 फीट 8 इंच लंबा, आठ फीट चौड़ा, चार फीट दो इंच ऊंचा है। इसकी 10 टन वजन ढोने की क्षमता है। झांकी जमीन से 45 फीट से ज्यादा लंबी, 14 फीट चौड़ी और 16 फीट ऊंची से अधिक नहीं होनी चाहिए।

खारिज होने की आशंका
जाहिर है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को समायोजित नहीं किया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों सहित कई राज्यों की झांकियों को नियमित रूप से अस्वीकार कर दिया जाता है और इस वर्ष भी यही स्थिति रही। हालांकि झांकी शामिल न किए जाने पर निराशा भी व्यक्त की गई। इस साल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा, ‘यह बेहद निराशाजनक है कि तमिलनाडु की झांकी में तमिलनाडु के स्वतंत्रता सेनानियों, वीओ चिदंबरनार, महाकवि भरथियार, रानी वेलू नचियार और मारुतु ब्रदर्स को गणतंत्र दिवस की परेड से बाहर रखा गया है।’
तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट किया, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस (जिनकी 125 वीं जन्म शताब्दी इस वर्ष मनाई जा रही है) को दर्शाने वाली बंगाल की झांकी को शामिल नहीं किया गया। यह हास्यास्पद है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कैसे बार-बार और योजनाबद्ध तरीके से हमारे इतिहास, संस्कृति और गौरव का अपमान करती है। नेताजी की झांकी को ठुकराकर उन्होंने एक बार फिर अपना पाखंड जाहिर किया है। उन्हें बिल्कुल माफ  नहीं किया जा सकता है।’

First Published : January 20, 2022 | 10:57 PM IST