facebookmetapixel
कृषि को लाभदायक बिजनेस बनाने के लिए ज्यादा ऑटोमेशन की आवश्यकताQ2 Results: टाटा स्टील के मुनाफे में 272% की उछाल, जानें स्पाइसजेट और अशोक लीलैंड समेत अन्य कंपनियों का कैसा रहा रिजल्टसेबी में बड़े बदलाव की तैयारी: हितों के टकराव और खुलासे के नियम होंगे कड़े, अधिकारियों को बतानी होगी संप​त्ति!Editorial: आरबीआई बॉन्ड यील्ड को लेकर सतर्कनिर्यातकों को मिली बड़ी राहत, कैबिनेट ने ₹45,060 करोड़ की दो योजनाओं को दी मंजूरीसीतारमण का आठवां बजट राजकोषीय अनुशासन से समझौता नहीं कर सकताटाटा मोटर्स की कमर्शियल व्हीकल कंपनी की बीएसई पर हुई लिस्टिंग, न्यू एनर्जी और इलेक्ट्रिफिकेशन पर फोकसग्लोबल एआई और सेमीकंडक्टर शेयरों में बुलबुले का खतरा, निवेशकों की नजर अब भारत परसेबी की चेतावनी का असर: डिजिटल गोल्ड बेचने वाले प्लेटफॉर्मों से निवेशकों की बड़ी निकासी, 3 गुना बढ़ी रिडेम्पशन रेटप्रदूषण से बचाव के लिए नए दिशानिर्देश, राज्यों में चेस्ट क्लीनिक स्थापित करने के निर्देश

‘वैट की गुत्थी सुलझी नहीं थी कि आ गई नई आफत’

Last Updated- December 07, 2022 | 3:43 PM IST

सामान व सेवा कर (जीएसटी) लागू करने में परेशानी से बचने के लिए कारोबारियों ने सरकार से वैट प्रणाली में मौजूद जटिलताओं को समाप्त करने की मांग की है।


व्यापारियों ने जीएसटी पर वित्त मंत्रालय से जुड़ी विशेष समिति से गुजारिश की है कि वैट प्रणाली को सरल किए बगैर 1 अप्रैल, 2010 से जीएसटी को लागू करना संभव नहीं हो पाएगा। दिल्ली के व्यापारियों द्वारा वैट पर आयोजित सेमिनार में इस बात पर भी चर्चा हुई कि इस प्रणाली के तहत कर स्पष्ट नहीं है। ऐसे में व्यापारियों को सरकारी तंत्र का शिकार होना पड़ता है।

कारोबारियों का कहना है कि राज्यों के बीच भी इसमें समानता नहीं है। ऐसे में कारोबारियों की राहत के लिए वैट प्रणाली के तहत व्याप्त असमानता को दूर करने की कोशिश की जानी चाहिए।  वैट विशेषज्ञों ने भी व्यापारियों की शिकायतों का समर्थन करते हुए कहा कि वैट के तहत कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उन्हें नोटिस देने की जरूरत नहीं होती।

First Published - August 7, 2008 | 9:07 PM IST

संबंधित पोस्ट