वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी ने कहा कि अगर सरकार कानून व्यवस्था में सुधार कर सके तो मध्यम से लंबी अवधि को बढ़ावा देने के लिए विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार के गैर आर्थिक आघातों का सामान्य तौर पर अर्थव्यवस्था पर काफी कम प्रभाव पड़ता है। विरमानी ने बताया,’मध्यम से लंबी अवधि के तहत जो चीज महत्वपूर्ण है वह यह है कि प्रणाली इसका जवाब देने के साथ ही इससे कैसे निपटती है।’
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री सुबीर गोकर्ण ने कहा, ‘आतंकी हमले का प्रभाव अल्पावधि तक सीमित होगा। इसके जवाब में कोई नीति हो तो इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’
सुलझने लगी हमले की गुत्थियां
हमले में शामिल सभी दस आतंकवादी देश की वित्तीय राजधानी के चप्पे-चप्पे से अच्छी तरह से परिचित थे। महाराष्ट्र गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इसके लिए दहशतगर्दों ने गूगल अर्थ सेवा की मदद ली।
सभी दस आतंकवादी करीब एक सप्ताह पहले कराची से नाव में सवार हुए। गुजरात के पोरबंदर में भारतीय जल सीमा में पहुंचने के बाद इन दरिंदों ने सफेद झंडा फहराया और पोरबंदर के बाहर लंगर डाल दिया।
इस क्षेत्र में आवाजाही करने वालों ने सफेद झंडा देखा और नाव तक जाने का फैसला किया ताकि पता किया जा सके कि नाव वालों को किसी मदद की जरुरत तो नहीं है।
लेकिन जैसे ही वे नाव तक पहुंचे दो या तीन आतंकवादियों ने मदद के लिए पहुंचे चाल नाविकों में से तीन की हत्या कर दी।
आतंकवादियों ने हथियार, बारूद और अन्य उपकरणों को मछुआरों नाव में रखा और जीवित बचे चालक दल से मुंबई की ओर चलने के लिए कहा।
मुंबई की ओर करीब 4 समुद्री मील चलने के बाद आतंकियों ने सभी नाविकों की हत्या कर दी और खोलीवाड़ा में नाव से उतरे।
आतंकवादियों द्वारा कब्जे में ली गई नाव कुबेर को तट रक्षक बल ने जब्त किया है। खुफिया एजेंसियों द्वारा संचार संदेशों की जांच में पाया गया कि कुबेर से मिला सेटेलाइट फोन और गिरफ्तार आतंकवादी अजमल कासम के बीच संबंध था।
अजमल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का रहने वाला है और इसके साथ ही पूरी वारदात में पाकिस्तान के हाथ होने के भी स्पष्ट सबूत मिले हैं।
सूत्रों ने बताया है कि ‘हम हालांकि इस बात का पता लगा रहे हैं कि क्या पूरी घटना के लिए किसी पाकिस्तानी संस्था ने वित्त पोषण किया था और आईएसआई की क्या भूमिका थी।’
उन्होंने बताया कि इस तरह की घटना को अंजाम देने के लिए कम से कम दो साल की कमांडो प्रशिक्षण की जरुरत है।
सूत्रों ने बताया कि इन आतंकवादियों की दक्षता को देखकर लगता है कि वह किसी भी तरह हमारी एनएसजी से कम नहीं थे। इस तरह का प्रशिक्षण केवल आईएसआई जैसी संस्था ही मुहैया करा सकता है।
कासम और अबू इस्माइल छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर हुए हमले में शामिल थे। इस जगह कम से कम 50 लोग मारे गए। अबू को पुलिस ने मरीन ड्राइव पर मारा।