उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को अब उनकी पैदावार के लिए त्वरित भुगतान मिलने लगा है।
पहले इन किसानों को भुगतान के लिए काफी इंतजार करना पड़ता था पर इसे गुड़ उत्पादन इकाइयों की बेहतर कारगरता ही कहेंगे कि अब राज्य का चीनी उद्योग इन्हें भुगतान के लिए कतार में खड़ा नहीं रख रहा।
दरअसल, इस सत्र (अक्टूबर-दिसंबर) में गन्ना किसानों को चीनी उद्योग की ओर से पैदावार के लिए शीघ्र भुगतान किया गया है। राज्य के गन्ना आयुक्त गंगादीन यादव ने बताया कि 23 जनवरी के आंकड़ों के मुताबिक राज्य की चीनी मिलों को इस सत्र में गन्ने के एवज में कुल 3,277 करोड़ रुपये का भुगतान करना था ।
जिसमें से करीब 98 फीसदी यानी 3,210 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। दरअसल राज्य में गुड़ उत्पादक चीनी मिलों को जबरदस्त टक्कर दे रहे हैं।
राज्य सरकार की ओर से प्रति क्विंटल गन्ने के लिए समर्थित मूल्य 140 रुपये तय किया गया है जबकि गुड़ उत्पादक इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रति क्विंटल गन्ने के लिए 150 से 160 रुपये चुका रही है।
मज्जफरनगर के गुड़ कारोबारी महासंघ के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने बताया कि गुड़ इकाइयां गन्ने के लिए किसानों को अच्छी कीमतें चुका पा रही हैं क्योंकि पहले गन्ने से जितने गुड़ का उत्पादन होता था उसमें 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
साथ ही अक्टूबर के बाद से गुड़ की कीमतें भी बढ़ी हैं और यह 10 फीसदी बढ़कर प्रति क्विंटल 1,800 रुपये हो गया है। पिछले दो सत्रों के दौरान (2006-07 और 2007-08) राज्य में गन्ना किसानों को अपनी पैदावार के भुगतान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था और इस तरह चीनी मिलों का किसानों पर करोड़ों रुपये का बकाया हो गया था।
समय पर भुगतान के लिए राज्य सरकार को निजी चीनी मिलों पर दबाव बनाना पड़ रहा था। भुगतान में देरी की वजह से ही राज्य में गन्ना की पैदावार पर भी असर पड़ने लगा था। इस साल राज्य में गन्ना उत्पादन 20 फीसदी घट गया था।
वजहथी कि समय पर भुगतान नहीं होने के कारण गन्ना किसानों ने ऐसे फसलों की पैदावार शुरू कर दी थी जिनके लिए बेहतर भुगतान किया जाता है।
उत्तर प्रदेश चीनी मिल संगठन के अध्यक्ष और बिड़ला ग्रुप ऑफ शुगर कंपनीज के सलाहकार सी बी पटोदिया ने बताया, ‘मिलें किसानों को त्वरित भुगतान में दिलचस्पी दिखा रही हैं।
इससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा गन्ने की पैदावार के लिए बढ़ावा मिलता है। चीनी मिलें ऐसा नहीं करें तो अगले सत्र में भी गन्ने की कमी देखने को मिलेगी।’
इधर, चीनी उद्योग ने उच्च समर्थित मूल्य के मुद्दे पर विरोध जताना भी बंद कर दिया है। राज्य सरकार ने पिछले साल 18 अक्टूबर को गन्ने के लिए प्रति क्विंटल 140 रुपये का समर्थन मूल्य घोषित किया था।
उस समय चीनी मिलों ने यह कह कर इस फैसले का विरोध जताया था कि उनकी वित्तीय हालत ऐसी नहीं है कि वे इतनी बढ़ी हुई दर पर भुगतान कर सकें। गन्ने की आपूर्ति कम होने की वजह से मिलों के पास गन्ने की पेराई के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
चीनी मिलों ने कर दिया हैं 98 फीसदी यानी 3,210 करोड़ रुपये का भुगतान
गुड़ उत्पादक चुका रहे हैं न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम
इस साल गन्ने का उत्पादन घटा था 20 फीसदी
गुड़ की कीमत में इस साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी र्हुई