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प्रॉपर्टी डीलरों की चांदी

Last Updated- December 07, 2022 | 3:40 PM IST

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की हाउसिंग स्कीम-2008 की घोषणा के साथ ही दिल्ली व आस-पास के इलाकों के प्रॉपर्टी डीलरों की चांदी हो गयी है।


हर प्रॉपर्टी डीलर अपने रिश्तेदार व कर्मचारियों के नाम पर कम से कम 10-12 फार्म भरने की तैयारी में है। इस कारण सामान्य श्रेणी के असली खरीदारों को डीडीए के दाम पर मकान मिलने की संभावना काफी कम हो गयी है।

रोहिणी के प्रॉपर्टी डीलर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वह डीडीए के मकानों के लिए कम से कम 10 फार्म भरेगा। उसने बताया कि दस फार्म भरने में उसे अधिकतम 60,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। लेकिन एक भी फार्म के नाम मकान निकल गया तो उसकी लॉटरी निकल जाएगी। वह उस मकान को लगभग दोगुने दाम पर बेच देगा। यानी कि नुकसान के नाम पर सिर्फ 60,000 रुपये तो कमाई के नाम पर कम से कम 6-8 लाख रुपये।

एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में बड़े व छोटे प्रॉपर्टी डीलरों की संख्या 50,000 से अधिक है। ऐसे में हर डीलर दो-दो फार्म भी भरता है तो यह संख्या एक लाख पहुंच जाती है। डीडीए के मकानों की संख्या 5 हजार है और इनमें से 28 फीसदी आरक्षित है। ऐसे में सामान्य श्रेणी वालों के लिए मात्र 3600 मकान ही आवंटन के लिए बच जाते हैं। प्रॉपर्टी डीलरों का यह भी कहना है कि उनकी पूरी कोशिश होगी कि डीडीए के मकान भी बाजार कीमत पर बिके।

First Published - August 6, 2008 | 9:58 PM IST

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