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निजीकरण की दवा

Last Updated- December 07, 2022 | 4:04 PM IST

देश के सबसे बड़े वित्तिय संस्थान आईएफसीआई लिमिटेड (इंडस्ट्रीयल फाइनेंशियल कार्पोरेशन ऑफ इंडिया) ने उत्तर प्रदेश की सहकारी क्षेत्र की बीमारु चीनी मिलों के निजीकरण के लिए क्वालिफिकेशन कम रिक्वेस्ट (आरएफक्यू-कम-आरएफपी) प्रस्ताव दिया है।


राज्य सरकार ने 19 जुलाई को इन मिलों के राजस्व और उत्तरदायित्व के स्थानांतरण के लिए एक वैश्विक आरएफक्यू-कम-आरएफपी टेंडर जारी किया था। इन चीनी मिलों में से 25 में राज्य सरकार की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। जबकि बची हुई तीन मिलों के ऊपर मुकदमा चल रहा है। इन प्रस्तावों के लिए बोली की अंतिम तिथि 8 अगस्त थी।

लेकिन इस तारीख तक इसके लिए दो ही कंपनियों ने ही बोली लगाई है। इनमें से आईएफसीआई एक है। दो ही कंपनियों द्वारा बोली लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने बोली लगाने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर अब 18 अगस्त कर दिया है।

आईएफसीआई ने इन चीनी मिलों की आर्थिक तकनीक और वित्तिय उत्तरदायित्व की योजनाओं के अध्ययन और वित्तिय सहायता को बढ़ाने की जिम्मेदारी ली है। आधिकारिक सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि  सलाहकारों की तकनीक और वित्तिय बोलियां अब 18 और 19 अगस्त को खोली जाएंगी। इनमें से कम क्षमता की ज्यादातर मिलें राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्थित है और काफी घाटे में चल रही है।

First Published - August 10, 2008 | 10:51 PM IST

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