विदेशी तन पर सजेगा चिकन!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 11:32 PM IST

लखनऊ की मशहूर चिकन की कढ़ाई को देश विदेश में पहचान दिलाने के लिए इन दिनों इसकी ब्रांडिंग पर खासा ध्यान दिया जा रहा है।
युवाओं के बीच नवाबों के शहर की इस कला को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रचार प्रसार के आधुनिक तरीकों को अपनाने की योजना तैयार की जा रही है। बहुत जल्द इस कारीगरी के प्रचार के लिए चिकन वेबसाइट, रैंप शो, ऑनलाइन चिकन कारोबारी मेले और सूचना तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगेगा।
सबसे खास बात यह है कि इस दफा ब्रांडिंग का जिम्मा उत्तर प्रदेश सरकार के साथ खुद चिकन कारीगरों ने भी उठाया है। उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्द्धन ब्यूरो (ईपीबी) के संयुक्त आयुक्त प्रभात कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि जल्द ही पेशेवरों की मदद से चिकन कारीगरी के लिए एक वेबसाइट तैयार की जाएगी।
लखनऊ चिकन और जरदारी हस्तशिल्प उत्पादों की ब्रांडिंग और संवर्द्धन संबंधित विषय पर आयोजित एक सेमिनार के मौके पर कुमार ने बताया कि चिकन कढ़ाई को लोकप्रियता दिलाने के लिए रैंप शो का आयोजन भी किया जाएगा जिसमें देश के प्रमुख डिजाइनर और मॉडल हिस्सा लेंगे।
कुमार ने बताया कि चिकन परिधानों का प्रत्यक्ष निर्यात करीब 60 करोड़ रुपये का होता है जबकि, बड़े पैमाने पर अप्रत्यक्ष रूप से यानी एजेंट और कारोबारी घरानों के जरिए भी चिकन परिधानों का निर्यात किया जाता है। अप्रत्यक्ष रूप से होने वाला यह निर्यात सालाना करीब 200 करोड़ रुपये का है।
उन्होंने बताया कि इस तरह कहा जा सकता है कि चिकन परिधानों के निर्यात में असीम संभावनाएं हैं। हालांकि शहर के चिकन उद्योग को चीन से आने वाले मशीन निर्मित कारीगरी से कड़ी चुनौती मिल रही है। ये हू-ब-हू हाथ से की गई चिकन कढ़ाई की तरह ही होती है, पर मशीन से बने होने के कारण इसकी कीमत काफी कम होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चीन के चिकन उत्पादों की भरमार है और यह अपेक्षाकृत काफी सस्ती भी हैं।
चिकन की कढ़ाई का भौगोलिक विशिष्टता कानून के तहत पंजीकरण किया गया है। इस तरह नवाबों के शहर के इस कला की अपनी खासी पहचान है फिर भी कमजोर ब्रांडिंग नीति के कारण चिकन के परिधान युवाओं में अपनी पकड़ नहीं बना पाए हैं। इस सेमिनार के सह संयोजक और प्रमुख चिकन उत्पादक मंसूर लारी ने कहा कि ब्रांडिंग और मार्केटिंग नीति में पिछड़ने की वजह से चिकन कारोबार को काफी नुकसान पहुंचा है।
उन्होंने कहा, ‘जब तक चिकन के उत्पादों की डिजाइनिंग और इसके विकास पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तब तक इसका कारोबार बहुत अधिक फल फूल नहीं सकता है।’ लारी ने कहा, ‘जल्द ही भारतीय उद्योग परिसंघ, हस्तशिल्प निर्यात संवर्द्धन परिषद और बैंकों के सम्मिलित प्रयास से चिकन कारोबार मेले का आयोजन किया जाएगा।’
उन्होंने बताया कि इस मेले से विक्रताओं और खरीदारों को एक मंच मिलेगा जहां वे कारोबारी मसलों पर खुल कर चर्चा कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि ऐसे ग्राहक जो विदेशों में बैठे हैं उनके लिए चिकन का कल्पनिक सैंपल भी तैयार किया जाएगा जिसकी सहायता से विक्रेता ऑनलाइन रैंप शो आयोजित कर सकेंगे।
इसमें वास्तविक रैंप शो की तरह ही मॉडलों के जरिए परिधान को प्रदर्शित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि आमतौर पर जो रैंप शो आयोजित किए जाते हैं उन पर काफी पैसे खर्च होते हैं।
चिकन कारीगरों ने मिलाया सरकार से हाथ
चिकन उत्पादों के लिए तैयार होगी वेबसाइट
चीन की मशीनी कारीगरी दे रही है कड़ी टक्कर
ऑनलाइन मेले, रैंप शो, सेमिनार का आयोजन

First Published : April 7, 2009 | 9:03 PM IST