मप्र में सिंधिया की काट में लगी भाजपा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:10 AM IST

मध्य प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस विधायकों को लुभाने की कोशिश में जी जान से लगी हुई है। प्रदेश में होने जा रहे अहम विधानसभा उपचुनावों से पहले, पिछले एक पखवाड़े से कुछ अधिक वक्त में कांग्रेस के तीन विधायकों-प्रद्यम्न सिंह लोधी, सुमित्रा देवी कासदेकर और नारायण पटेल ने पार्टी और विधानसभा की अध्यक्षता से इस्तीफा दे दिया है।
भाजपा ने यह योजना हालिया कैबिनेट विस्तार और मंत्रियों के विभाग के आवंटन के साथ ही तैयार कर लिया था। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने मंत्रिमंडल गठन और उसके विस्तार में तीन महीने से अधिक वक्त लगा और इसमें भी कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को तमाम अहम पद मिले। इस बात से भाजपा के वरिष्ठ नेता खासे नाराज हुए।
जानकारों के मुताबिक यही वह वक्त था जब भाजपा ने यह तय किया कि वह कांग्रेस के विधायकों को तोड़ेगी। कारण, वह सिंधिया और उनके वफादार नेताओं पर अपनी सरकार की निर्भरता कम करना चाह रही थी। पार्टी ने अपनी योजना को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
हालांकि भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने इन आरोपों से इनकार किया कि उनकी पार्टी विपक्षी विधायकों को लुभाने का प्रयास कर रही है। अग्रवाल कहते हैं, ‘वह भाजपा में इसलिए शामिल हो रहे हैं क्योंकि कांग्रेस में कोई भविष्य नहीं है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा इन सभी विधायकों को आगामी विधानसभा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी बनाएगी? अग्रवाल कहते हैं, ‘ऐसा कोई वादा नहीं किया गया है लेकिन पार्टी नेतृत्व यह ध्यान रखेगा कि जो लोग भाजपा में यकीन जता रहे हैं उनकी प्रतिष्ठा का ध्यान रखा जाए।’
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीक्षित कहते हैं कि भाजपा ऐसा सिंधिया का प्रभाव कम करने के लिए कर रहे हैं। दीक्षित कहते हैं, ‘पार्टी का आंतरिक आकलन कहता है कि सिंधिया के अधिकांश समर्थक आगामी उपचुनाव में हार सकते हैं। सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल इलाके में 16 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। अगर इनमें से ज्यादातर हार भी जाएं तो भी भाजपा की सरकार बची रहेगी क्योंकि 230 सीटों वाली विधानसभा में उसके पास 107 विधायक हैं और उसे केवल 9 और विधायकों की दरकार है। उस स्थिति में चौहान अपने पुराने साथियों को मंत्रिमंडल में शामिल कर पाएंगे।’
दूसरी ओर हालिया इस्तीफों के बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी की संभावनाएं एकदम क्षीण हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमल नाथ इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। यही कारण है कि उन्होंने अपने विश्वस्त सहयोगियों को यह दायित्व सौंपा कि वे कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखें। परंतु ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में कम से कम छह और विधायक कांग्रेस का दामन छोड़ सकते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर कहते हैं कि भाजपा की प्राथमिकताएं एकदम स्पष्ट हैं और प्रदेश की जनता यह सब देख रही है। जाफर कहते हैं कि राज्यपाल लालजी टंडन के निधन के बाद प्रदेश में पांच दिन का राजकीय शोक था और भाजपा कांग्रेस विधायकों पर डोरे डालने में लगी थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के विधायकों की तादाद अब सिमट का 89 रह गई है। तीन ताजा इस्तीफों के बाद अब 27 सीटों पर उपचुनाव होंगे और पार्टी को सत्ता में वापसी करने के लिए इन सभी सीटों पर जीत हासिल करनी होगी।

First Published : July 28, 2020 | 11:20 PM IST