facebookmetapixel
Gold-Silver Outlook: सोना और चांदी ने 2025 में तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में आ सकती है और उछालYear Ender: 2025 में आईपीओ और SME फंडिंग ने तोड़े रिकॉर्ड, 103 कंपनियों ने जुटाए ₹1.75 लाख करोड़; QIP रहा नरम2025 में डेट म्युचुअल फंड्स की चुनिंदा कैटेगरी की मजबूत कमाई, मीडियम ड्यूरेशन फंड्स रहे सबसे आगेYear Ender 2025: सोने-चांदी में चमक मगर शेयर बाजार ने किया निराश, अब निवेशकों की नजर 2026 पर2025 में भारत आए कम विदेशी पर्यटक, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया वीजा-मुक्त नीतियों से आगे निकलेकहीं 2026 में अल-नीनो बिगाड़ न दे मॉनसून का मिजाज? खेती और आर्थिक वृद्धि पर असर की आशंकानए साल की पूर्व संध्या पर डिलिवरी कंपनियों ने बढ़ाए इंसेंटिव, गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी हलचलबिज़नेस स्टैंडर्ड सीईओ सर्वेक्षण: कॉरपोरेट जगत को नए साल में दमदार वृद्धि की उम्मीद, भू-राजनीतिक जोखिम की चिंताआरबीआई की चेतावनी: वैश्विक बाजारों के झटकों से अल्पकालिक जोखिम, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूतसरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोक

बाकी जो बचा, बिजली मार गई

Last Updated- December 07, 2022 | 9:04 PM IST

कानपुर में पांच हजार से भी अधिक छोटी और बड़ी औद्योगिक इकाइयां बिजली की किल्लत की वजह से अपने अवसान काल से गुजर रही है। यह आशंका जताई जा रही है इन इकाइयों पर कभी भी ताला लग सकता है।


निर्माता अपनी तय समय में उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं और इस कारण इन इकाइयों में काम करने वाले 60 हजार से भी अधिक कामगारों के रोजगार भी खतरे में है। राज्य सरकार भी बिजली के जले पर मरहम की जगह नमक लगा रही है।

राज्य सरकार ने हाल में यह फैसला लिया था कि राज्य की तमाम औद्योगिक इकाइयों में रात 10 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे तक बिजली ठप रखी जाएगी, ताकि नागरिक क्षेत्रों में बिजली दी जा सके। सुप्रीम प्लास्टिक लिमिटेड के सतीश पाण्डेय ने बताया, ‘यह मौसम त्योहारों का हैं।

लिहाजा, हम लोगों के पास आर्डर की भरमार लगी हुई है। लेकिन शहर में बिजली की कमी और उसकी वजह से उत्पादन पर पड़ रही मार के कारण मंदी छाई हुई है।’ शहर में बिजली की भारी किल्लत की वजह से कई चमड़ा इकाइयां और अन्य छोटे उद्योग पहले ही पड़ोसी शहर उन्नाव  में पलायन कर चुके हैं।

एक आंकड़ें के मुताबिक 200 से भी अधिक इकाइयां पिछले छह महीनों में शहर से पलायन कर चुकी है जबकि अन्य इकाइयां बेहतर जगहों की तलाश में जुटी है। भारतीय उद्योग संघ (आईआईए) के सचिव राजेश ग्रोवर ने बताया कि अगर शहर में इसी तरह के हालात बने रहे तो वह समय दूर नहीं जब यहां की बाकी बची सारी इकाइयां बीमार हो जाएंगी और घाटे में चली जाएंगी।

ग्रोवर ने बताया, ‘हम लोग बिजली प्रशासन को राजस्व का लगभग 60 फीसदी अदा करते हैं जबकि बिजली सप्लाई बमुश्किल 20 फीसदी ही प्राप्त कर पाते हैं।’ आईआईए कानपुर चैप्टर के प्रमुख सुनील वैश्य ने बताया कि जेनरेटर और तेल ईंधन कभी भी बिजली आपूर्ति की खाई को नहीं पाट सकती है और दिन प्रतिदिन बढ़ते घाटे की वजह से कंपनी अपने कर्मचारियों को कम कर सकती है, जिससे निस्संदेह बेरोजगारी बढ़ेगी।

हालांकि बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए शहर के  उद्योगपति नई वैकल्पिक बिजली स्रोतों की योजना बना रहे हैं लेकिन उनके प्रस्ताव अभी भी प्रारंभिक अवस्था में ही है। बहरहाल, आईआईए और प्रांतीय उद्योगपति संघ (पीआईए) अपनी मांगों के लिए कानपुर विद्युत आपूर्ति कंपनी के अधिकारियों से मिलेंगे।

वैश्य ने बताया, ‘त्योहारों के मौसम दस्तक देने वाली है और ऐसे में अगर पार्यप्त बिजली आपूर्ति नहीं की गई तो लोगों को जरूरत का सामान मिल पाना मुश्किल हो जाएगा।’

First Published - September 15, 2008 | 9:43 PM IST

संबंधित पोस्ट