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आइना-ए-आजमगढ़-4

Last Updated- December 07, 2022 | 10:41 PM IST


कभी नाम के आगे आजमी लगा खुद पर गर्व करने वाले आजमगढ़ के बाशिंदे आज अपनी पहचान आतंकियों से जोड़े जाने पर आहत हैं। जिले के नामी मदरसों के वे लोग, जिन्होंने देशदुनिया में आजमगढ़ का झंडा बुलंद किया, वे आजमगढ़ को बदनाम किए जाने से दुखी हैं। जिले की नामी हस्ती और मशहूर शायर कैफी आजमी इसी जिले के मिजवां गांव के थे, तो मौलाना शिबली नोमानी , ब्रिगेडियर उस्मान, राहुल सांकृत्यायन और अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की जन्मस्थली भी आजमगढ़ ही है।


लगभग उद्योग शून्य आजमगढ़ जिले में बदलाव की नई बयार बहाने की कोशिश में भी कई लोग प्रयास कर रहे हैं। जिले के प्रतिष्ठत समाजसेवी बजरंग त्रिपाठी एक डेंटल कॉलेज और नर्सिंग होम खोल रहे हैं, तो डॉ. अशोक सिंह ने भी एक नर्सिंग स्कूल खोलने की पहल की है। युवा सामाजिक कार्यकर्ता राजीव का कहना है कि अभी तक उद्योग के नाम पर जिले में सठियांव और घोसी की दो चीनी मिलें ही थीं, लेकिन अब हम लोग इलाके के प्रभावशाली लोगों से इस दिशा में काम करने के लिए कहेंगे। आतंक फैलाने के आरोप में दर्जनों पकड़े गए लोग भले ही इस जिले के रहने वाले हों, पर साल 2001 में घटी कुछ छोटी घटनाओं को छोड़ दें, तो यहां कभी मजहब के नाम पर खून नहीं बहा है। देशभर में भजन गाकर हिंदुमुस्लिम एकता की बुनियाद को पक्का कर रहे जोगिया बिरादरी के तीन दर्जन से ज्यादा गांव इसी जिले में है। मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाले जोगी आज योगी अदित्यनाथ की गोरखपुर स्थित गोरक्षधाम पीठ से दीक्षित होते हैं और देश भर में घूम कर र्निगुण भजन गाकर भिक्षा मांगते हैं।


आजमगढ़ की छवि को सुधारने में लगे मानवाधिकार कार्यकर्ता शाहनवाज आलम ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि जिले की पहचान कभी भी अबु सलेम या आतंकी बशर से नहीं रही है। इन लोगों के पकड़े जाने के बाद आजमगढ़ का नाम चर्चा में आया। उनका कहना है कि आजमगढ़ पर कैफी आजमी, मौलाना आजाद और शिबली नोमानी का प्रभाव है न कि किसी अबु सलेम का। सरकार को अगर आजमगढ़ के लिए वाकई चिंता है, तो पहले यहां उद्योग लगाए और कॉलेज खोले फिर हम देखेंगे कि लड़के कहां गुमराह हो रहे हैं।


जिले में खैराती यूनानी दवाखाना चला रहे प्रतिबंधित संगठन सिमी के अध्यक्ष डॉ. शाहिद बद्र फलाही के अनुसार, इंडियन मुजाहिद्दीन एक फर्जी तंजीम है। इसके नाम से मुसलमानों को बदनाम किया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रतिबंधित होने के बाद से सिमी की गतिविधियां ठप हैं। डॉ. फलाही ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार ने आजमगढ़ में रोजगार नहीं दिया, तो रोटी की तलाश में लोग बाहर जा रहे हैं। उनका कहना है कि बड़ी फैक्ट्री लगाना सरकार के बस की बात है, जो वह कर नहीं रही है। शाहनवाज आलम कहते हैं कि खाड़ी देशों में जाने का चलन 1980 से जारी है। हां, इसमें तेजी जरूर आई है। इसका कारण बुनकरों के धंधों का कमजोर पड़ जाना है। उनका कहना है कि संजरपुर के कई बच्चे डॉक्टरी और इंजीनियरिंग भी कर रहे हैं, पर कोई उनका नाम नहीं लेता है।





First Published - October 1, 2008 | 9:28 PM IST

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