अप्रैल-जून 2020 तिमाही के अब तक घोषित कारोबारी नतीजे यही संकेत दे रहे हैं कि लॉकडाउन और कोविड-19 महामारी ने इन्हें बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है। खपत तथा बुनियादी क्षेत्रों में गतिविधियां मंद हैं। हालांकि चुनिंदा क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां कुछ मजबूती देखने को मिल रही है। 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक राजस्व वाली 317 कंपनियों की शुद्ध बिक्री में 22 फीसदी की गिरावट आई है। सालाना आधार पर इन कंपनियों की कुल आय 19 फीसदी गिरी। कर पश्चात लाभ जहां 22 फीसदी कम हुआ वहीं परिचालन मुनाफा 7 प्रतिशत घटा। यदि बैंकों, रिफाइनरों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की गणना न की जाए तो प्रदर्शन और खराब साबित होगा। अन्य क्षेत्रों की कुल बिक्री में 22 फीसदी की गिरावट आई है जबकि उनकी कुल आय 19 फीसदी कम हुई है। इन कंपनियों का कर पश्चात लाभ 37 फीसदी घटा है। गैर वित्तीय और गैर रिफाइनिंग क्षेत्र की कंपनियों का परिचालन मुनाफा 12 फीसदी घटा है। कर का बोझ 27 फीसदी तक कम हुआ है जबकि ब्याज की लागत में भी कमी आई है। अन्य आय में 9 फीसदी की उछाल देखी गई जो शायद स्थायी न होगी।
वाहन क्षेत्र जैसे व्यापक खपत वाले क्षेत्रों और बुनियादी ढांचे के संवेदनशील क्षेत्रों मसलन विनिर्माण, सीमेंट, स्टील और बिजली आदि के क्षेत्र सबसे खराब प्रदर्शन वाले क्षेत्र रहे। टाटा मोटर्स को (जिसके पास मुकाबले के लिए जैगुआर लैंडरोवर है) छोड़ दिया जाए तो अन्य वाहन निर्माता कंपनियों के कुल कारोबार में 70 फीसदी गिरावट आई। उनका कर पश्चात लाभ 98 फीसदी घटा। बुनियादी विकास में भी कमतरी आई है। लार्सन और टुब्रो जैसी अव्वल कंपनी का कुल कारोबार 28 फीसदी कम हुआ जबकि कर पश्चात लाभ एक वर्ष पूर्व के 1,472 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर महज 303 करोड़ रुपये रह गया। 15 स्टील कंपनियों के कुल कारोबार में 30 फीसदी गिरावट आई और उन्हें 1,133 करोड़ रुपये का घाटा सहना पड़ा। जबकि वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में उन्हें 1,146 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया था। पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के कुल कारोबार में 40 फीसदी और कर पश्चात लाभ में 56 फीसदी कमी आई।
बहरहाल, कुछ क्षेत्रों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। उर्वरक और कृषि रसायन ऐसा ही क्षेत्र है। इन कंपनियों का कारोबार 29 फीसदी और कर पश्चात लाभ 139 फीसदी बढ़ा। इस वर्ष खेती अच्छी रहने की बात कही गई है और पेट्रोलियम कीमतों में कमी ने कच्चे माल की लागत भी कम की है। बैंक और एनबीएफसी क्षेत्र भी बेहतर रहे हैं लेकिन फंसे हुए कर्ज में इजाफा होने की आशंका भी है क्योंकि इस महीने के अंत में ऋण स्थगन समाप्त हो जाएगा। बैंकिंग विश्लेषकों और आरबीआई की अद्यतन वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के लिए प्रोविजनिंग अपर्याप्त रह सकती है। दैनिक उपयोगे की उपभोक्ता वस्तुओं का प्रदर्शन हालात के मुताबिक बेहतर रहा है। 11 एफएमसीजी कंपनियों का कारोबार 2 फीसदी और कर पश्चात लाभ 18 फीसदी बढ़ा। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का कुल कारोबार 4 फीसदी और कर पश्चात लाभ 2 फीसदी बढ़ा। जानकारों का मानना है कि सॉफ्टवेयर क्षेत्र का बुरा दौर बीत चुका है। औषधि क्षेत्र के कारोबार में एक फीसदी इजाफा हुआ लेकिन उसका कर पश्चात लाभ 70 फीसदी गिरा। सन फार्मा के लिए यह तिमाही त्रासद रही। 21 कंपनियों के नमूने में अन्य कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहा। रुझान एकदम स्पष्ट है। निवेश में गिरावट है, व्यापक खपत में कमी है और बुनियादी विकास भी कमजोर है। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था कुछ गति प्रदान कर सकते हैं, हालांकि फिलहाल इसमें धीमापन है। व्यापक सुधार इस बात पर निर्भर करता है कि महामारी को कितनी जल्दी नियंत्रित किया जाता है।