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ITR filing 2024: बदल गई नौकरी तो दोनों Form 16 देखकर ही भरें रिटर्न

फॉर्म 16 के दो भाग होते हैं। पहले भाग में करदाता एवं नियोक्ता की जानकारी, सेवा अवधि और काटी गई रकम जैसा जरूरी ब्योरा होता है।

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बिंदिशा सारंग   
Last Updated- June 17, 2024 | 11:40 PM IST

सटीक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने में फॉर्म 16 काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह फॉर्म नियोक्ता जारी करता है और इसमें बताया जाता है कि उसने कितना कर यानी टीडीएस काटा है।

आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘आयकर नियमों में नियम 31 के अनुसार नियोक्ताओं के लिए नए वित्त वर्ष के जून महीने में 15 तारीख तक पिछले वित्त वर्ष का फॉर्म 16 जारी करना जरूरी कर दिया गया है। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2023-24 का फॉर्म 16 कर्मचारियों को अब तक मिल जाना चाहिए।’ फॉर्म 16 (Form 16) में वेतन से हुई आय, कर योग्य आय में कटौती और आयकर छूट का ब्योरा दिया जाता है।

सुराणा का कहना है, ‘आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 203 के तहत कहा गया है कि कर काटने वाले हर नियोक्ता के लिए अपने कर्मचारियों को काटी गई रकम, कर की दर, जमा करने की तारीख, वेतन आदि का विवरण एक सर्टिफिकेट में देना अनिवार्य है।’

फॉर्म 16 के दो भाग होते हैं। पहले भाग में करदाता (employer) एवं नियोक्ता (taxpayer) की जानकारी, सेवा अवधि और काटी गई रकम जैसा जरूरी ब्योरा होता है। दूसरे भाग में बताया जाता है कि नियोक्ता ने कर का हिसाब किस तरह लगाया है।

जांचें फॉर्म 16 का ब्योरा

कर्मचारियों को सबसे पहले फॉर्म 16 पर लिखी दर्ज स्थायी लेखा संख्या (PAN) और नियोक्ता के पैन एवं टैन (कर कटौती एवं संग्रह खाता संख्या) जैसा बुनियादी ब्योरा जांच लेना चाहिए। यह भी जरूरी है कि फॉर्म 16 और फॉर्म 26एएस में टीडीएस के आंकड़े बिल्कुल एक जैसे हों।

त्रय लॉ पार्टनर्स एलएलपी में पार्टनर श्याम गोपाल का कहना है, ‘फॉर्म 26एएस के विवरण को फॉर्म 16 में बताई गई टीडीएस कटौती से मिलाकर पक्का कर लें कि दोनों आंकड़े एक जैसे हैं।’

अगर पैन गलत है तो फॉर्म 26एएस में नियोक्ता द्वारा काटे गए कर का ब्योरा नहीं होगा और कर्मचारी का कर वापसी यानी रिफंड का दावा भी खारिज हो सकता है।

पक्का कर लीजिए कि आपके खाते से काटा गया पूरा कर जमा करा दिया गया है। सिंघानिया ऐंड कंपनी में पार्टनर (प्रत्यक्ष कर) अमित बंसल कहते हैं, ‘वेतन विवरण यानी मूल वेतन, भत्ते, लाभ जांच लें और देख लें कि आयकर अधिनियम की धारा 80सी, 80डी आदि के तहत कटौती की गई है। निवेश के सबूत मिला लें। धारा 89 के तहत दी गई राहत की जांच करें और अगर लागू हो तो वेतन बकाये के लिए राहत के सटीक आंकड़े भी देख लें।’

कभी-कभी फॉर्म 16 में कर बचाने वाली कटौती और राहत ठीक से नहीं दिखतीं। सुराणा की सलाह है कि ब्योरे में कोई भी गड़बड़ होने पर कर्मचारी अपने नियोक्ता से सही फॉर्म 16 मांग सकता है। गलती सुधारने के बाद नियोक्ता उसे नया फॉर्म 16 देगा।’

एक से अधिक फॉर्म 16

अगर कोई कर्मचारी किसी साल नौकरी बदलता है तो उसके पास एक से ज्यादा फॉर्म 16 होते हैं। इस सूरत में उसे पिछली कंपनी से मिली आय और काटे गए कर आदि की जानकारी नई कंपनी को देनी चाहिए ताकि कर की सही गणना हो सके। अकॉर्ड ज्यूरिस के पार्टनर अलै रजवी आगाह करते हैं कि ऐसा नहीं होने पर रिटर्न दाखिल करते समय कर्मचारी को कर भरना होगा।

रिटर्न दाखिल करते समय बकाया कर मांगा जाता है क्योंकि हरेक नियोक्ता छूट और कटौती को शामिल कर ही कर का हिसाब लगाता है। इनका दावा भी साल में दो बार किया जाता है। रजवी की सलाह है कि रिटर्न दाखिल करते समय कर का हिसाब लगाएं तो दोनों फॉर्म 16 का ब्योरा जोड़ लें। इसके बाद ही कर छूट और कटौती को शामिल करते हुए देखना चाहिए कि कितना कर बन रहा है।

विभिन्न स्रोतों से हुई आय को भी जोड़ना आवश्यक है। बंसल कहते हैं, ‘साल भर में हुई कुल आय तय करने के लिए सभी नियोक्ताओं से हुई कुल आय को जोड़ना होगा।’

उन्होंने कहा कि आवास किराया भत्ता (HRA), यात्रा अवकाश भत्ता (LTA) और मानक कटौती जैसी छूट का दावा दो बार नहीं किया जा सकता।

कुल कटौती उतनी ही हो सकती है, जितनी किसी एक करदाता को दी जाती है। बंसल समझाते हैं, ‘मानक कटौती यानी स्टैंडर्ड डिडक्शन को दोनों फॉर्म में अलग-अलग दिखाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि उसका दावा केवल एक बार किया जा सकता है।’

दस्तावेज सुरक्षित रखें

फॉर्म 16 एवं आयकर से जुड़े दूसरे दस्तावेज अपने पास संभालकर रखें ताकि भविष्य में आयकर विभाग कुछ पूछे तो आप उसे प्रमाण दे सकें। अगर कर के तौर पर एक पाई भी नहीं काटी जाती है तो फॉर्म 16 जारी होना जरूरी नहीं होता।

मगर उस सूरत में भी कर्मचारी की दरख्वास्त पर फॉर्म 16 का दूसरा भाग जारी किया जा सकता है ताकि उन्हें रिटर्न दाखिल करने में सहूलियत हो।

First Published : June 17, 2024 | 10:58 PM IST