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मूल्यांकन ऊंचा, मगर आय में वृद्धि से दिलासा- अनीश तावकले

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संभावित गिरावट की पृष्ठभूमि में भी भारत बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार है। इसकी वजह देसी मांग में मजबूती है।

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अभिषेक कुमार   
Last Updated- February 18, 2024 | 11:08 PM IST

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संभावित गिरावट की पृष्ठभूमि में भी भारत बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार है। इसकी वजह देसी मांग में मजबूती है और इसे निर्माण आदि की कवायद से काफी सहारा मिल रहा है। यह कहना है आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के डिप्टी चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (इक्विटी) अनीश तावकले का। अभिषेक कुमार को ईमेल के जरिये दिए साक्षात्कार में उन्होंने भविष्य के प्रदर्शन में देसी साइक्लिकल्स का सहारा मिलने को लेकर भरोसा जताया। उनसे बातचीत के अंश…

ज्यादातर विश्लेषक अमेरिका में मंदी मानकर चल रहे हैं। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ने का क्या जोखिम है?

मैं दो बातें कहूंगा। पहला, हमारा मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्ता मजबूत बनी रह सकती है। दूसरा, अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर होती है तब भी देसी मांग भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहतर हालात में बनाए रखेगी। हम इस राय को लगातार सही ठहराते रहे हैं कि अमेरिकी मंदी को लेकर चिंता की अति हो गई है। फेडरल रिजर्व ने कामयाबी के साथ सॉफ्ट लैंडिंग का प्रबंधन किया है, महंगाई नरम हुई है और रोजगार की स्थिति बेहतर बनी हुई है।

हमारा यह भी मानना है कि आने वाले समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी से बच सकती है। खासतौर पर ऐसे संकेत हैं कि अमेरिका में घर बनाने की गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं और अगर यह रुझान जारी रहा तो मंदी शायद ही आएगी। हमारा मानना है कि भारत में निर्माण और घर बनाने के काम में मजबूती बरकरार रहेगी। इससे नौकरियों का सृजन होगा और अन्य क्षेत्रों के लिए मांग निकलेगी।

मूल्यांकन के लिहाज से भारतीय शेयरों में क्या और बढ़त की गुंजाइश है? कौन से सकारात्मक संकेतक हो सकते हैं?

बाजार के मूल्यांकन को आय परिदृश्य के नजरिए से देखे जाने की दरकार है। अगर शुद्ध रूप से पीई या प्राइस टू बुक के लिहाज से इसे परखा जाए तो लार्जकैप का गुणक ऐतिहासिक स्तर की तुलना में थोड़ा महंगा नजर आता है। हालांकि अहम यह है कि आज के आय परिदृश्य की स्थिति ऐतिहासिक रुझान से बेहतर है।

ऐसे में अगर हम तीन साल तक निवेशित रहें तो गुणक में थोड़ी सिकुड़न के बाद भी रिटर्न ठीक-ठाक रह सकता है। ये बातें स्मॉलकैप और मिडकैप के बारे में नहीं कही जा सकती जहां मूल्यांकन काफी व्यापक है और जोखिम-प्रतिफल अनुपात कतई आकर्षक नहीं है।

इक्विटी बाजार के लिहाज से अंतरिम बजट में कौन सी अहम बातें थीं? क्या इससे आपकी फंड प्रबंधन की रणनीति में कोई बदलाव होगा?

अर्थव्यवस्था और बाजार के लिहाज से राजकोषीय नीति काउंटरसाइक्लिकल होना चाहिए। चूंकि निजी खर्च बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार का खर्च कम होगा। इस लिहाज से बजट ने अच्छा काम किया है।

दिसंबर के आखिर में आईसीआईसीआई प्रू. म्युचुअल फंड का अन्य फंड हाउस के मुकाबले ऑटोमोटिव क्षेत्र में ज्यादा आवंटन था। इस क्षेत्र में तेजी के नजरिये की क्या वजह है?

ऑटोमोटिव उन क्षेत्रों में से एक है जो आर्थिक रिकवरी के समय मजबूत मांग से रूबरू होता है। जैसे जैसे आय बढ़ती है, ऑटोमोबाइल की मांग में तेजी आती है। ऑटोमोटिव क्षेत्र में हमे यात्री वाहन व दोपहिया की अच्छी मांग वृद्धि की उम्मीद है। रिकवरी व्यापक होने के साथ ही हमें बाजार के निचले सिरे के भी रफ्तार पकड़ने का अनुमान है।

कारोबारी चक्र के लिहाज से कौन से अन्य क्षेत्र वृद्धि या रिकवरी के चरण में हैं? क्या कई अन्य क्षेत्र वृद्धि के चरण से बाहर हो रहा है?

क्षेत्र को लेकर प्राथमिकता अर्थव्यवस्था को लेकर हमारे नजरिये को दिखाती है। यह देखते हुए कि हम अर्थव्यवस्था में साइक्लिकल तेजी की उम्मीद कर रहे हैं, देसी साइक्लिकल क्षेत्र हमारी प्राथमिकता में है। रिकवरी के दौर में ये क्षेत्र खासी बढ़ोतरी दर्ज कर सकते हैं। इनमें औद्योगिक और पूंजीगत सामान, सीमेंट, ऑटोमोटिव, बीमा और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां शामिल हैं।

सामान्य तौर पर इस चरण में हमें बैंकों पर सकारात्मक होना चाहिए, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र में काफी गहन प्रतिस्पर्धा है। साथ ही असुरक्षित क्रेडिट को लेकर भी हमारी कुछ चिंताएं हैं। हम एफएमसीजी और सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर अपेक्षाकृत ज्यादा सतर्क हैं।

परिसंपत्ति आवंटन के नजरिये से निवेशकों को क्या सलाह देंगे?

स्मॉलकैप व मिडकैप के मुकाबले लार्जकैप मार्जिन की उचित सुरक्षा की पेशकश करते हैं। इक्विटी जोड़ने की इच्छा रखने वाले निवेशकों को ऐसी पेशकश मसलन लार्जकैप फंड, फ्लेक्सीकैप फंड, बिजनेस साइकल फंड या हाइब्रिड श्रेणी के फंडों पर ध्यान देना चाहिए। हम एकमुश्त निवेश के लिए हाइब्रिड की रणनीति पर भी विचार कर सकते हैं क्योंकि उनमें विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में निवेश की गुजाइश होती है।

First Published : February 18, 2024 | 11:08 PM IST