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एचईजी-कच्चे तेल की सच्चाई

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 6:43 PM IST

साल की शुरुआत से एचईजी के शेयरों के खराब प्रदर्शन से संभवत: कंपनी के प्रबंधकों को बाय बैक लाने का निर्णय करना पडा।


साल की शुरुआत से एचईजी के शेयरों की कीमतों में 152 फीसदी की गिरावट आई जबकि इसकी तुलना में सेंसेक्स सिर्फ 30 फीसदी गिरा है। कंपनी 350 रुपए के अधिक से अधिक मूल्य पर शेयर खरीदेगी जो कि मौजूदा बाजार मूल्य से 44 फीसदी प्रीमियम के स्तर पर है। इसके लिए कंपनी ने 48.50 करोड धनराशि निश्चित की है।

इससे कंपनी की बैलेंस सीट पर खास असर नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि इस 946 करोड की कंपनी ने अपने कर्ज अनुपात को पिछले साल के स्तर 2.5 फीसदी से घटाकर 1.3 फीसदी के स्तर पर ला दिया है। मार्च 2008 की समाप्ति तक इसका कुल मूल्य 533 करोड़ रुपए था।

अगस्त 2007 में कंपनी ने अपना स्टील कारोबार 122 करोड़ में बेंचा था। इसलिए कंपनी के जून 2008 के आंकड़ों की तुलना जून 2007 के आंकड़ों से नहीं की जा सकती है। इसके अतिरिक्त कंपनी बेहतर रियलाइजेशन अर्जित करनें में कामयाब रही और उसके ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड की बिक्री 30 फीसदी ज्यादा रही। इससे कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन 16.80 फीसदी बढ़कर 37.8 फीसदी के स्तर पर रहा।

कंपनी का कच्चे माल पर खर्च किया जाने वाली पूंजी में तेजी से वृध्दि होनी चाहिए क्योंकि कंपनी कच्चे तेल के निडल कोक जैसे डेरिवेटिव्स पर काफी निर्भर है। हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में हुई वृध्दि से लागत पर असर नहीं पड़ा क्योंकि कंपनी ने इन कच्चे माल को खरीदने के लिए पहले से ही एक निश्चित राशि पर सौदा कर रखा था।

हालांकि उत्पादन के चार फीसदी कम रहने की वजह से कंपनी का राजस्व घटकर 237 करोड के स्तर पर रहा। इसकी वजह रही कि मेंटीनेंस के लिए कुछ दिन के लिए संयंत्र को बंद रखा गया था। कंपनी अपने विस्तार योजनाओं पर भी पूंजी खर्च कर रही है और उसकी योजना अपनी क्षमता बढ़ाकर 80 किलो टन सालाना तक पहुंचाने की है।

जिसके लिए कंपनी को 193 करोड़ रुपयों का निवेश करना पड़ेगा। जिसे कंपनी आंतरिक एक्रुएल्स के जरिए करेगी और इसके वित्त्तीय वर्ष 2010 तक पूरे हो जाने की संभावना है। कंपनी के शेयर का मौजूदा कारोबार आठ गुना के स्तर पर हो रहा है और कंपनी का बायबैक प्राइस 350 रुपए है जिससे कंपनी के शेयर का कारोबार 11.6 गुना के स्तर पर होने लगेगा। कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने की संभावना को न देखते हुए कंपनी को लागत में दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

First Published : August 26, 2008 | 12:59 AM IST