स्मॉलकैप श्रेणी की कंपनियों में अच्छी तेजी दर्ज की गई है। निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक इस साल अब तक के आधार पर 25 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ा है, भले ही निफ्टी में 7 प्रतिशत तक की तेजी आई है। यह 2017 से इस सूचकांक की सबसे अच्छी शुरुआत है। 2017 में निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक ने 1 जनवरी और 10 मई के बीच 32.3 प्रतिशत की तेजी दर्ज की थी। हालांकि निफ्टी के मुकाबले श्रेष्ठ प्रदर्शन के संदर्भ में, स्मॉलकैप का इस साल का प्रदर्शन एक दशक में शानदार है।
क्षेत्रीय अनुकूल हालात और संस्थागत बिकवाली दबाव के अभाव की वजह से छोटी कंपनियों को कोविड-19 की दूसरी लहर से पैदा हुई गिरावट से बचे रहने में मदद मिली है।
स्मॉलकैप सूचकांक में तेजी की अन्य वजह यह है कि जहां निफ्टी और निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांकों ने इस साल नई ऊंचाइयों को छुआ, वहीं निफ्टी स्मॉलकैप सूचकांक अभी भी अपने 2018 के स्तरों से नीचे कारोबार कर रहा था। धातु, रसायन और फार्मा जैसे क्षेत्रों से जुड़ी स्मॉलकैप कंपनियों ने इस साल बेहतर प्रदर्शन किया है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘जिंस और मैटेरियल क्षेत्रों (धातु, चीनी, सीमेंट समेत) ने जिंसों में तेजी और स्थिर आपूर्ति की वजह से अच्छा प्रदर्शन किया। मोबाइल एडवरटाइजिंग, थर्ड-पार्टी आउटसोर्सिंग जैसे नए जमाने के व्यवसायों ने कारोबारियों और निवेशकों के बीच अच्छी लोकप्रियता हासिल की है। रसायन और सीजीडी शेयरों ने भी वैश्विक खरीदारों द्वारा चाइना+1 नीतियों को अपनाए जाने की वजह से अच्छा प्रदर्शन किया है।’
इसके विपरीत, बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र के शेयरों (जिनका लार्ज-कैप सूचकांकों में ज्यादा भारांक रहा है) को दबाव का सामना करना पड़ा है जिससे प्रमुख संबद्घ सूचकांकों के प्रदर्शन पर दबाव पड़ा है।
बीएफएसआई कंपनियां दबाव वाले क्षेत्रों को ऋण प्रदान करती हैं जिससे निवेशकों को इस क्षेत्र के लिए अपना निवेश घटाने की प्रेरणा मिली है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख (रिटेल) सिद्घार्थ खेमका ने कहा, ‘जब अर्थव्यवस्था न्यून आधार से तेजी से बढ़ती है तो मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों में बेहतर प्रदर्शन करने की ज्यादा संभावना रहती है। वे छोटे आधार से जुड़ी होती हैं और वृद्घि की संभावना ज्यादा होती है।’
अपेक्षाकृत मिड और स्मॉलकैप क्षेत्र में सस्ता मूल्यांकन भी ज्यादा निवेशकों को आकर्षित करने में मददगार साबित हो रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा बिकवाली से भी लार्ज-कैप और सूचकांक शेयर प्रभावित हुए हैं। इसके विपरीत, मिडकैप और स्मॉलकैप में बहुत ज्यादा संस्थागत बिकवाली दबाव नहीं दिखा है। विश्लेषकों का कहना है कि स्मॉल और मिडकैप के लिए आय के न्यून आधार ने उन्हें महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में अपने बड़े प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढऩे में सक्षम बनाया है।
साथ ही, पिछले साल अप्रैल से नए छोटे निवेशकों की संख्या बढऩे से भी मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों को मदद मिली है। छोटे निवेशकों अक्सर लार्जकैप के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को ज्यादा पसंद करते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि स्मॉलकैप श्रेणी का मजबूत प्रदर्शन इस साल के अंत तक बना रहने की संभावना है।