भारतीय रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार 21 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में 3.8 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया। मुद्रा भंडार का मौजूदा स्तर 24 जुलाई, 2020 के बाद का निचला स्तर है।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट मोटे तौर पर आरबीआई की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में गिरावट के कारण आई है, जो 21 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में 3.6 अरब डॉलर घटकर 465.08 अरब डॉलर रह गया। विश्लेषकों के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की मुख्य वजह मुद्रा बाजार में आरबीआई का दखल है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, रुपये को सहारा देने के लिए आरबीआई के दखल के बीच विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार घटा है। इसी हफ्ते में डॉलर के मुकाबले रुपया 83.29 के रिकॉर्ड निचले स्तर को छू गया था क्योंकि एशियाई मुद्राएं भी कमजोर थीं।
21 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 0.4 फीसदी घटा। छह अहम मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की माप करने वाला अमेरिकी डॉलर इंडेक्स इस अवधि में 0.6 फीसदी मजबूत हुआ। साल 2022 में अब तक भारतीय मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9.9 फीसदी कमजोर हुई है।
फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार 100 अरब डॉलर से ज्यादा घटा है। 25 फरवरी को कुल भंडार 631.53 अरब डॉलर था। पिछले महीने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि मौजूदा वित्त वर्ष में मुद्रा भंडार में आई 67 फीसदी की गिरावट की वजह मजबूत डॉलर की पृष्ठभूमि में हुआ पुनर्मूल्यांकन है।
आरबीआई के ताजा आंकड़े बताते हैं कि केंद्रीय बैंक ने अगस्त में विदेशी मुद्रा बाजार में शुद्ध रुपये 4.2 अरब डॉलर की बिकवाली की, अगस्त में 19 अरब डॉलर की बिकवाली हुई थी। आरबीआई ने जून में 3.7 अरब डॉलर बेचे थे। अप्रैल में आरबीआई की शुद्ध बिकवाली 1.9 अरब डॉलर की थी जबकि मई में उसने 2 अरब डॉलर की शुद्ध खरीद की थी।
मुद्रा भंडार का मौजूदा स्तर 9 महीने के आयात कवर के लिए पर्याप्त है। सितंबर 2021 में मुद्रा भंडार का स्तर करीब 15 महीने के आयात कवर के लिए पर्याप्त था।
