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ढेरों चढ़े इस तबाही की भेंट

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 4:44 AM IST

संजीव जैन के लिए सब कुछ ठीकठाक चल रहा था।


चंडीगढ़ के इस निवेशक पर शेयर बाजार पिछले 20 सालों से मेहरबान था, जीवन मजे में कट रहा था, लेकिन पिछली जनवरी में सब कुछ बदल गया, अंतरराष्ट्रीय कमजोरी के साथ साथ घरेलू शेयर बाजार में भी भारी गिरावट आई और जैन के बाजार में लगे एक करोड़ रुपए स्वाहा हो गए।

36 साल के इस विधुर का कहना है, केवल तीन दिन लगे और मेरी संपत्ति घट कर शून्य पर आ गई। यह बाजार किसी वैध जुए से ज्यादा कुछ नहीं। जैन जैसे हजारों निवेशकों की पूंजी जनवरी से शुरू हुई इस तबाही की भेंट चढ़ी है। अर्थव्यवस्था का मापदंड कहा जाने वाला बीएसई का सेंसेक्स जनवरी से करीब 58 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है, जो एशिया के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक रहा है।

एक और निवेशक धर्मेंद्र्र वर्मा अपने नुकसान की भरपाई के लिए वायदा कारोबार में उतर गए। उन्होंने अपनी पूंजी ही नहीं गवांई बल्कि अपनी नौकरी भी गवां बैठे हैं। वर्मा दिल्ली की एक ब्रोकिंग फर्म में काम करते थे लेकिन मंदी से जूझ रही कंपनी ने खर्चे कम करने की कसरत में उन्हे नौकरी से निकाल दिया। इस वक्त वर्मा बेरोजगार हैं और फिर कभी किसी ऐसी जगह नौकरी नहीं करना चाहते जहां कुछ बेचना पड़ता हो।

शेयर बाजार की हालत ने कई लोगों को डॉक्टरों तक पहुंचा दिया है। दिल्ली की मनोचिकित्सक के मुताबिक उनके पास कई ऐसे मरीज पहुंचे जिन्होंने शेयर बाजार में अपना पैसा गंवाया था। उनके मुताबिक पैसा लोगों के जीवन में आज एक अहम स्थान रखता है।

यह दुनियाभर में ही होता आया है कि भारी घाटे के बाद लोगों ने आत्महत्या तक कर ली है। भारत में राजेंद्र सिंह जैसे निवेशक भी रहे हैं जो मंदी के बाद बढ़ते कर्ज का बोझ बर्दाश्त नहीं कर सकेऔर अपनी जान दे बैठे। गुड़गांव के राजेंद्र ने पिछले हफ्ते आत्महत्या कर ली थी।

कारोबार करने वाले चालीस साल के इस शख्स का करीब अस्सी लाख रुपया शेयर बाजार में डूब गया था। अहमदाबाद, हैदराबाद और मुंबई जैसे शहरों से भी ऐसी ही खबरें मिली हैं, जहां किसी निवेशक की पूरी की पूरी बचत बाजार की भेंट चढ़ गई जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर सके। 

एनाग्राम स्टॉक ब्रोकिंग के रिसर्च हेड वीके शर्मा के मुताबिक  शार्ट टर्म में फायदा कमाने वालों को बाजार से दूर ही रहना चाहिए। लेकिन बाजार के जानकार भी बाजार की दिशा समझ पाने में नाकामयाब रहते हैं।

संजीव जैन ने जनवरी में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए अप्रैल में गहने बेच कर अप्रैल में फिर से बाजार में खरीदारी की लेकिन फिर नुकसान ही हुआ, अब उन्हें चिंता अपना 33 लाख का कर्ज चुकाने की है जो उन्होंने शेयरों में पैसा लगाने के लिए लिया था। आज जैन अपने सगे संबंधियों को बाजार से दूर रहने की सलाह देते नहीं थकते हैं।

First Published : November 21, 2008 | 9:26 PM IST