सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड, मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड और कोच्चीन शिपयार्ड समेत चार या पांच सरकारी कंपनियां अगले साल मार्च तक आईपीओ लाने की तैयारी में हैं।
वहीं पहले से ही हाइड्रो पावर उत्पादक एनएचपीसी, ऑयल मार्केटिंग कंपनी ऑयल इंडिया और भारतीय रेलवे की कंसल्टिंग शाखा आरआईटीएस को सरकार आईपीओ लाने की अनुमति दे चुकी है और इस साल नवंबर तक बाजार में इनके आईपीओ आने की उम्मीद है।
दूसरी ओर देश की सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) भी 42,000 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने की तैयारी में है। अब तक के इस सबसे बड़े आईपीओ को कंपनी के बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार की योजना इन कंपनियों के 10 फीसदी शेयरों को सार्वजनिक करने की है।
ऐसी संभावना है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल आने वाले हफ्तों में इन आईपीओ के प्रस्तावों को अपनी मंजूरी दे देगा ताकि मार्च तक इन्हें बाजार में लाने के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा सकें। अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और इसके पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार चाहती है कि वह सुधार कार्यों को कुछ तेजी दे सकें।
वामपंथियों से अलग होने के बाद से ही यूपीए सरकार से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह सुधार गतिविधियों में तेजी लाएगी। हालांकि विनिवेश से होने वाली कमाई का इस्तेमाल सरकार सामान्य खर्चों को उठाने के लिए नहीं कर सकती है। यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय निवेश फंड नाम से एक अलग एकाउंट तैयार किया है जहां पीएसयू में हिस्सेदारी बेचकर होने वाली कमाई को रखा जाता है।
सरकार का लक्ष्य है कि 2008-09 में राजकोषीय घाटे को कम कर 2.5 फीसदी पर लाने का है। सरकार को इन आईपीओ के जरिए होने वाली कमाई से अपने राजकोषीय घाटे को कुछ कम करने में मदद मिल सकती है। यह भी माना जा रहा है कि पिछले कुछ समय से बाजार में जो ठंडापन है, सरकारी कंपनियों के आईपीओ आने से उसकी हालत कुद सुधरेगी।
8 जनवरी को बीएसई का सेंसेक्स 20,873.33 अंकों की ऊंचाई पर था और तब से अब तक इसमें 5369.41 अंकों (25.7 फीसदी) की गिरावट आ चुकी है। आईपीओ लाने से पहले इन कंपनियों को नए सिरे से अपने बोर्ड का गठन करना होगा और स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने होंगे। लिस्टिंग नियमों के अनुसार ऐसे निदेशकों की संख्या कम से कम 50 फीसदी होनी चाहिए।
कोच्चीन शिपयार्ड अपने बोर्ड का पुर्नगठन कर चुकी है और इसमें 50 फीसदी स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति की जा चुकी है। इससे साफ पता चलता है कि कंपनी आईपीओ लाने की तैयारी में जुट चुकी है। वर्ष 2007-08 के दौरान सतलुज जल विद्युत ने करीब 716 करोड़ रुपये का कुल मुनाफा कमाया था।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के आईपीओ लाने की सरकार कर रही तैयारी
कंपनियों के 10 फीसदी शेयरों को बेचने की है योजना