बाजारों में अच्छी तेजी आई है। बीएसई के सेंसेक्स और एनएसई के निफ्टी-50 ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। ओल्ड ब्रिज कैपिटल मैनेजमेंट के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी केनेथ एंड्राडे ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि इक्विटी की लोकप्रियता बरकरार रहेगी। उनका मानना है कि बाजार मौजूदा स्तरों पर महंगे नहीं हैं, लेकिन उचित कीमतों पर हैं। पेश है बातचीत का मुख्य अंश:
यह तेजी का परिवेश है, और शेयर कीमतों में इसका असर दिख रहा है। यह कुछ समय तक बना रहेगा। यह कहना सही होगा कि ज्यादा संख्या में कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करेंगी, और इससे निवेश चयन को लेकर अनिश्चितता पैदा होगी। निवेशकों को अपने निवेश पर ध्यान बनाए रखना चाहिए।
यहां यह तर्क पेश किया जा रहा है कि बाजार महंगे नहीं हैं, वे उचित कीमतों पर हैं। फिर भी, यदि आप 2022-23 के नतीजों को देखें तो पता चलता है कि हम ऐसे परिवेश में हैं जिसमें बेहद कम कंपनियों ने परिचालन नुकसान दर्ज किया है। कर्ज काफी हद तक चुकाया जा चुका है, और अब कंपनियों को अपने अतिरिक्त नकदी प्रवाह का निवेश करने में संघर्ष करना पड़ रहा है।
हमारे पोर्टफोलियो में नकदी संबंधित तरलता मामूली है। हम हर समय निवेश से जुड़े रहने की कोशिश करते हैं। पिछले दो साल में पोर्टफोलियो में बदलाव काफी कम किया गया है। हमारा झुकाव फार्मा की तरफ था, जो धीरे धीरे बढ़कर रियल एस्टेट तक पहुंचा और फिर जिंसों पर ध्यान बढ़ाया। हमने अपने अपने पूंजीगत वस्तु शेयरों से कुछ निकासी की है। इनमें कुछ मूल्यांकन हमारी समझ से परे लग रहा था।
घरेलू नजरिये से, मेरा मानना है कि पूंजी प्रवाह बरकरार रहेगा। मौजूदा समय में, हमारे पास निर्धारित आय, रियल एस्टेट, और सोने में वैकल्पिक निवेश अवसर हैं, जो परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर इक्विटी के प्रतिस्पर्धी हैं। खासकर रियल एस्टेट और सोने में निवेश मुद्रास्फीति के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
यह बचतकर्ताओं का बाजार है, और इक्विटी को निवेश अपनी उपयुक्त भागीदारी मिलेगी। विदेशी प्रवाह के नजरिये से भारत में पूंजी निवेश सुधरा है। लेकिन फिर से पूंजी के इस विकल्प पर उस संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जैसा कि वैश्विक तौर पर हो रहा है। विदेशी पूंजी प्रवाह अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों में उतार-चढ़ाव पर केंद्रित होगा।
एचएनआई से इक्विटी के लिए पूंजी निवेश हमेशा बढ़ा है। हो सकता है कि इसमें चक्रीय तौर पर झटका लगे, लेकिन कुल मिलाकर, यह सकारात्मक है।
हम इसे दो सेगमेंटों में विभाजित कर सकते हैं: उद्योग जो बड़े हैं और निफ्टी में उनकी ज्यादा मौजूदगी नहीं है, जैसे रियल एस्टेट और फार्मा, और सिर्फ ये दो ही नहीं। ये दो क्षेत्र ज्यादा संख्या में सूचकांकों में अपना प्रतिनिधित्व करते देख सकते हैं। अन्य सेगमेंट ऐसा है जो गिरावट के दौर से गुजर रहा है, यह है आईटी, खासकर लार्जकैप आईटी।
टेक्स्टाइल अन्य ऐसा सेगमेंट है जो अपने निचले स्तरों के बाद कुछ सुधार दर्ज कर रहा है। यदि मैं संयुक्त तौर पर इन सभी श्रेणियों पर बात करूं तो यह सवाल पैदा हो सकता है कि किस तरह से ये कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी ऊंची भागीदारी और बाद में नकदी प्रवाह हासिल कर सकती हैं।
ये सभी जरूरी चिंताएं हैं। इनमें से किसी का गंभीर परिणाम नहीं होगा, बल्कि चक्रीयता आधारित मंदी दिख सकती है जिसे बाद के वर्ष में दूर कर लिया जाएगा। हमारा मानना हैकि मौजूदा मूल्यांकन में इन चिंताओं का काफी हद तक असर दिख चुका है।
जब टूथपेस्ट खपत घटती है और प्रीमियम कारों और वॉच की मांब बढ़ती है तो भारत में खर्च के तरीकों में बड़ा अंतर आता है। ग्रामीण भारत को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, और ये महामारी के बाद मुद्रास्फीति से संबंधित हो सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्र में अर्थव्यवस्था का आकलन करने के लिहाज से वर्ष 2024 बेहतर साबित हो सकता है।
हां, हमें सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। हम अपनी दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करने में लगे हुए हैं, जिसे निर्णायक मंजूरी की जरूरत है।