बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से विशेष अदालत के आदेश पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया। विशेष अदालत ने सेबी की पूर्व प्रमुख माधवी पुरी बुच, तीन मौजूदा पूर्णकालिक सदस्यों और बीएसई के दो अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
सोमवार को उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एस जी दिगे के एकल पीठ में इस मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया था। अब मामले की सुनवाई कल मंगलवार को होगी। तब तक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को एफआईआर दर्ज नहीं करने का आदेश दिया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बुच और सेबी अधिकारियों की ओर से पेश हुए जबकि बीएसई के पूर्व चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और प्रबंध निदेशक व सीईओ सुंदररामन राममूर्ति के लिए वरिष्ठ वकील अमित देसाई मौजूद थे। 1994 का यह मामला बीएसई पर एक कंपनी की सूचीबद्धता की अनुमति दिए जाने में कथित अनियमितता से जुड़ा है। याची सपन श्रीवास्तव में स्टॉक एक्सचेंज पर काल्स रिफाइनरीज की सूचीबद्धता मामले में धोखाधड़ी का आरोप लगाया है और यह भी कहा है कि यह नियामकीय अधिकारियों के सक्रिय सहयोग से हुआ।
रविवार को एक बयान में सेबी ने कहा था कि उस दौरान ये अधिकारी अपने-अपने पदों पर नहीं थे और अदालत ने नियामक को बिना किसी नोटिस या तथ्य सामने रखने का मौका दिए बिना आवेदन की इजाजत दी थी। नियामक ने कहा था, आवेदक अगंभीर और आदतन मुकदमा दर्ज करने वाले के रूप में जाना जाता है, जिसके पिछले आवेदनों को अदालत ने खारिज कर दिया था और कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया था। बीएसई ने भी इसे गंभीर और परेशान करने वाली प्रकृति का आवेदन कहा था।
काल्स रिफाइनरीज में ट्रेडिंग अगस्त 2017 से निलंबित है। जीडीआर जारी करने में अनियमितता पाए जाने पर साल 2014 में नियामक ने कंपनी के कई निदेशकों को प्रतिभूति बाजार में प्रवेश से 10 साल के लिए प्रतिबंधित किया था।