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Goldman Sachs ने देसी बाजारों को अपग्रेड कर ओवरवेट किया

गोल्डमैन सैक्स ने एक नोट में कहा है कि भारत के पास सबसे अच्छी ढांचागत वृद्धि की संभावना है और यह अगले दो साल में आय में 13 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी की पेशकश कर सकता है।

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समी मोडक   
Last Updated- November 13, 2023 | 9:32 PM IST

भारतीय बाजारों को अपग्रेड करने वाली विदेशी ब्रोकरेज फर्मों की सूची में अब गोल्डमैन सैक्स भी शामिल हो गई है। अमेरिकी ब्रोकरेज ने आय में ऊंची वृद्धि का हवाला देते हुए देसी इक्विटी पर ओवरवेट रुख का नजरिया पेश किया है।

गोल्डमैन सैक्स ने एक नोट में कहा है कि भारत के पास सबसे अच्छी ढांचागत वृद्धि की संभावना है और यह अगले दो साल में आय में 13 से 20 फीसदी (मिड-टीन्स) तक की बढ़ोतरी की पेशकश कर सकता है।

इस बाजार ने लंबी अवधि के लिहाज से सबसे अच्छा रिटर्न (सालाना चक्रवृद्धि दर के हिसाब से) दिया है, जो किसी भी सेक्टर सूचकांक से बेहतर है और उम्दा थीम की पेशकश करता है, जिनमें मेक इन इंडिया, लार्जकैप कंपाउंडर्स और मिडकैप मल्टीबैगर्स आदि शामिल हैं।

गोल्डमैन सैक्स ने एक और बाजार थाइलैंड को भी अपग्रेड करते हुए ओवकवेट किया है। लेकिन उसने चीन पर अपना रुख नरम कर (हॉन्गकॉन्ग में सूचीबद्ध शेयर) मिडिल-वेट और हॉन्गकॉन्ग को अंडरवेट कर दिया है। जापान, दक्षिण कोरिया और चीन (स्थानीय सूचीबद्ध शेयर) उसके पोर्टफोलियो में लगातार ओवरवेट बने हुए हैं।

गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि भारत का मूल्यांकन थोड़ा नरम हुआ है क्योंकि कंपनियों की आय वृद्धि इस साल बेंचमार्क सूचकांकों की बढ़त के मुकाबले ज्यादा रही है।

ब्रोकरेज ने एक नोट में कहा कि बाजार ने उच्च मूल्यांकन स्तर की दोबारा रेटिंग की है, लेकिन इस साल अब तक के हिसाब से 4 फीसदी रिटर्न के बाद अब मूल्यांकन ज्यादा नहीं बढ़ा है जबकि आय में 17 फीसदी का इजाफा हुआ है। मुख्य रूप से देसी संकेतों पर आधारित वृद्धि को देखते हुए उसने बाजार को अपग्रेड कर ओवरवेट किया है।

नोट में कहा गया कि अल्पावधि में राज्यों के विधानसभा और आम चुनाव (2024) के कारण उतारचढ़ाव में इजाफा हो सकता है, लेकिन इसकी हेजिंग कम खर्च पर की जा सकती है।

गोल्डमैन सैक्स ने मजबूत देसी निवेश को भी रेखांकित किया है, जिसने विदेशी बिकवाली की भरपाई की है। नोट में कहा गया है, भारत में देसी खरीद ने विदेशी बिकवाली की भरपाई की है और एसआईपी के जरिए करीब 2 अरब डॉलर का मासिक निवेश इस बढ़ी मांग का उल्लेखनीय स्रोत है।

सॉफ्टवेयर निर्यातकों पर ब्रोकरेज ने कहा की इस सेक्टर का परिदृश्य कमजोर बना हुआ है और अगले साल रिकवरी को लेकर काफी कम स्पष्टता है। पिछले 4 से 6 हफ्ते में वैश्विक ब्रोकरेज फर्मों मसलन जेपी मॉर्गन, मॉर्गन स्टैनली, सीएलएसए और नोमूरा ने देसी इक्विटी में ज्यादा निवेश की सिफारिश की है।

First Published : November 13, 2023 | 9:32 PM IST