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एफआईआई ने बैंकिंग, बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में हिस्सेदारी घटाई

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 6:43 PM IST

अमेरिकी सब-प्राइम संकट के पिछले एक साल में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने विभिन्न क्षेत्रों में 4 अरब डॉलर मूल्य के शेयरों की बिकवाली की है।


मालूम हो कि पिछले साल अमेरिका में 21 अगस्त को सब-प्राइम संकट का दौर शुरू हुआ था और एनम की रिपोर्ट के अनुसार इसके एक साल बाद एफएफआई की हिस्सेदारी के पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव आएं हैं।

बैंकों और वित्तीय संस्थानों में एफ आईआई की भागीदारी सितंबर 2007 से अब तक 3 प्रतिशत घटकर 33.4 प्रतिशत रह गई है। विशेषज्ञों के अनुसार बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में एफआईआई की उदासीनता का मुख्य कारण ऊंची ब्याज दरें हैं जिससे बैंकों के मार्जिन पर प्रतिकूल असर पडा है। इसके अलावा ग्राहकों द्वारा समय पर ऋण जमा न कर पाने के कारण बैंकों के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट या एनपीए में इजाफा हो रहा है।

इसी तर्ज पर एफआईआई की भागीदारी विनिर्माण क्षेत्र में घटी है और यह 4 प्रतिशत की कमी के साथ 16.5 प्रतिशत रह गई है। हालांकि सूचना-प्रौद्योगिकी सेवा प्रदान करनेवाली कंपनियां जिनकी हालत पिछले साल रुपये में आई मजबूती के कारण दयनीय थी, इस साल फिर से एफआईआई को अपनी तरफ आकर्षित करने में कामयाब रही है और इन कंपनियों में इनकी हिस्सेदारी 25.5 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

इसके अलावा एफआईआई ने वस्त्र उद्योग में भी अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। सीमेंट ऐसा क्षेत्र रहा है जिसमें एफआईआई ने अपनी भागीदारी को बढाने से परहेज किया है और यह 22.5 प्रतिशत से घटकर 19.6 प्रतिशत रह गया है। इसके विपरीत टेलीकॉम क्षेत्र में विदेशी संस्थागत निवेशकों की दिलचस्पी अच्छी रही है, लेकिन इसमें मामूली गिरावट आई है।

इस बाबत भारती एक्सए म्युचुअल फंड के प्रमुख (इक्विटी) प्रतीक अग्रवाल का कहना है कि हम टेलीकॉम को लेकर खासे उत्साहित हैं क्योंकि ग्राहकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि लगभग चार से पांच कंपनियों का कारोबार बेहतर रहा है, हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि कितने लोग थ्री जी को लेकर बोली लगाते हैं।

एनम रिपोर्ट के अनुसार एफआईआई के बिकवाली का स्वरूप बीमा कंपनियों के स्वरूप से काफी भिन्न है जो कि आईटी शेयरों की बिकवाली कर रहे हैं। एफआईआई द्वारा की जा रही बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों के शेयरों की बिकवाली का मुख्य कारण यह है क्योंकि सब-प्राइम संकट से ठीक पहले तक एफआईआई के पोर्टफोलियो में इनकी भागीदारी करीब 50 प्रतिशत थी।

बिकवाली का दौर

बैंकों, वित्तीय संस्थानों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी 3 फीसदी घटकर 33.4 फीसदी हुई
बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में हिस्सेदारी 4 फीसदी घटकर 16.5 फीसदी

First Published : August 26, 2008 | 12:28 AM IST