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त्योहारों पर होम लोन में बैंकों से छूट की न करें उम्मीद

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 10:42 PM IST


ऐसे लोग जो इस त्योहार के समय में घर खरीदने पर किसी तरह की छूट की आस लगाए बैठें हैं उनके लिए खबर अच्छी नहीं है। बैंक सूत्रों की मानें तो अधिकांश बैंक इस दौरान घर खरीदने पर कोई बड़ी छूट देने के मूड में नहीं हैें। उल्लेखनीय है कि अक्तूबर से दिसंबर के बीच बैंक ग्राहकों को अपनी और आकर्षित करने केलिए अपेक्षाकृत कम ब्याज दरों पर आवासीय ऋण मुहैया कराने के साथ ही प्रशासनिक और प्रक्रिया शुल्क में भी छूट देते हैं और घरों की 60 फीसदी खरीदारी इस दौरान ही होती है। त्योहार के माहौल में इस बार बैंक बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं दिख रहें है। ज्यादातर बैंकों का मानना है कि हाल में उठाए गए कड़े मौद्रिक उपायों से उनक ो काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है और चीजें पहले से ज्यादा मुश्किल हो गई है। इस बाबत एक हाउसिंग फाइनेंस कपंनी के वरिष्ठ प्रबंधक ने कहा कि तरलता की कमी और कारोबार केलिहाज से कठिन समय को देखते हुए हमारे द्वारा कोई विशेष छूट देने की संभावना कम ही है।


इसी तरह एक निजी क्षेत्र के बैंक के आवासीय ऋण प्रमुख ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के उधार लेने की दर 12-13 प्रतिशत केउंचे स्तरों पर है और ऐसी परिस्थितियों में दरों में कमी किए जाने की कल्पना नहीं की जा सकती। हालांकि खरीददारों को बिल्डरों की तरफ से कुछ राहत मिल


सकती है।


हाल में ही महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स की बैठक में इस बात का प्रस्ताव रखा गया कि बिल्डर को स्टैंप ड्यूटी, पंजीकरण शुल्क और फ्लोर राइज शुल्क में कमी करनी चाहिए। इसकेअलावा इस पर भी जोर दिया गया कि घरों की खरीददारी की शुरूआत करने के लिए बिल्डरों को शुरूआती वर्षों में ब्याज दर का कुछ भार का वहन करना चाहिए। देश के अन्य भागों में बिल्डर सस्ते घरों को बनाने में अपनी दिलचस्पी ले रहें हैं। एक बैंकर ने कहा कि यह देखते हुए कि संपत्ति की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, जब तक फ्लैट के प्रति वर्ग फीट दर में कमी नहीं आती है, इस बात की संभावना कम ही है कि लोग घर खरीदने आएंगे। दूसरी तरफ बैंक रिजर्व बैंक द्वारा 24 अक्तूबर को मध्यावधि समीक्षा किए जाने पर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं क्योंकि इस समीक्षा से उनकों कोई साकारात्मक संदेश मिलने की आशा है। हालांकि ज्यादातर बैंक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि महंगाई और ताजा वित्तीय संकट ही रिजर्व बैंक के लिए चिंता का प्रमुख विषय होगा।


एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने से उम्मीद की किरणें जगी है और अगर महंगाई की दरों में कमी आती है तो भी रिजर्व बैंक इंडिकेटिव रेट में को कमी करने की तरफ पहल कर सकता है। दूसरी ओर औद्योगिक जगत केसूत्रों का कहना है कि ब्याज दरों में और अधिक इजाफा हो सकता है।

First Published : October 1, 2008 | 11:12 PM IST