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एनबीएफसी की आगामी राह चुनौतीपूर्ण

Last Updated- December 12, 2022 | 1:36 AM IST

बजाज फाइनैंस, हाउसिंग डेवलपमेंट ऐंड फाइनैंस कॉरपोरेशन, सुंदरम फाइनैंस, और श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनैंस जैसी खुदरा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने प्रमुख बाजार और अपने बैंक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है। 
शीर्ष सूचीबद्घ खुदरा एनबीएफसी का संयुक्त बाजार पूंजीकरण मंगलवार को 1.6 प्रतिशत बढऩे के बाद नई ऊंचाई पर पहुंच गया, जबकि बीएसई के सेंसेक्स में 0.7 प्रतिशत और बीएसई बैंकेक्स में 1.4 प्रतिशत की तेजी आई। बीएसई बैंकेक्स प्रमुख 10 सूचीबद्घ बैंकों के बाजार पूंजीकरण पर नजर रखता है।

सबसे ज्यादा चढऩे वाला शेयर पीरामल एंटरप्राइेजज रहा। कंपनी का बाजार पूंजीकरण इस साल अब तक (वाईटीडी) आधार पर दिसंबर 2020 के अंत के 32,243 करोड़ रुपये से 93 प्रतिशत चढ़कर मंगलवार को 62,242 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। अन्य चढऩे वाले शेयरों में श्रीराम सिटी यूनियन फाइनैंस (85 प्रतिशत तक), सुंदरम फाइनैंस (41 प्रतिशत), बजाज फाइनैंस (32 प्रतिशत), और चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट ऐंड फाइनैंस (32 प्रतिशत तक) शामिल हैं।
विश्लेषकों ने शेयर बाजारों पर एनबीएफसी के मजबूत प्रदर्शन के लिए रिटेल ऋण वृद्घि में निवेशकों की उम्मीदों और बैंकों के मुकाबले एनबीएफसी द्वारा तेजी से अवसर हासिल करने की क्षमता को जिम्मेदार माना है। नारनोलिया सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी शैलेंद्र कुमार कहते हैं, ‘एनबीएफसी में तेजी आगामी उम्मीदों से जुड़ी हुई है। महामारी वाले वित्त वर्ष 2021 के बाद निवेशक अब बैंकों के मुकाबले वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में एनबीएफसी की ऋण बुक में तेजी की उम्मीद कर रहे हैं।’

हालांकि अनुमानों के विपरीत, एनबीएफसी ने वित्त वर्ष 2022 की अच्दी शुरुआत नहीं की है। प्रमुख 25 सूचीबद्घ एनबीएफसी की संयुक्त सकल ब्याज आय जून तिमाही में सालाना आधार पर महज 1.7 प्रतिशत बढ़ी, जबकि शुद्घ लाभ सालाना आधार पर 12.2 प्रतिशत घट गया। कई एनबीएफसी ने सालाना आधार पर अपनी ऋण बुक में गिरावट और अपने खुदरा बहीखाते में फंसे ऋणों में वृद्घि दर्ज की।
पिछली चार तिमाहियों में जहां उनकी संयुक्त सकल ब्याज आय सबसे कम रही, वहीं शुद्घ लाभ पिछली 16 तिमाहियों (वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही को छोड़कर) में सबसे कम रहा।  कई विश्लेषक एनबीएफसी की आय पर वित्त वर्ष 2022 के शेष समय में दबाव रहने की आशंका जता रहे हैं, क्योंकि कमजोर ऋण वृद्घि और कोष की लागत में इजाफा होने से इन कंपनियों को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। जेएम फाइनैंस इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में, रिटेल एनबीएफसी बेहद तेजी से बढ़ी हैं और वे बैंकों से बाजार भागीदारी हथियाने में सफल रहीं। अब यह प्रक्रिया बदली है और बड़े बैंकों के तेजी से बढऩे की संभावना है, जिससे गैर-बैंक ऋणदाताओं के लिए अच्छा प्रदर्शन करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।’

उद्योग को कोषों की लागत बढऩे की वजह से मार्जिन दबाव का भी सामना करना पड़ रहा है। इसका असर वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में स्पष्टï दिख चुका है।

First Published - August 26, 2021 | 12:11 AM IST

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