बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से तगड़ा झटका लगा है। सेबी ने एनुअल टर्नओवर (annual turnover) के आधार पर अतिरिक्त रेगुलेटरी फीस के भुगतान पर स्टॉक एक्सचेंज को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। बता दें कि सेबी के दिशानिर्देश के मुताबिक, बीएसई को ‘प्रीमियम टर्नओवर’ (premium turnover) के बजाय नोशनल टर्नओवर (notional turnover) के आधार पर रेगुलेटरी फीस का भुगतान करना होगा।
BSE ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि उसने 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए रेगुलेटरी फीस का भुगतान करने के लिए 169.77 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। जिसमें से उसे 167.33 करोड़ रुपये बतौर रेगुलेटरी फीस चुकाना होगा।
सेबी ने अप्रैल में बीएसई को ‘प्रीमियम टर्नओवर’ के बजाय एनुअल टर्नओवर के नोशनल वैल्यू (notional value) के आधार पर रेगुलेटरी फीस का भुगतान करने का निर्देश दिया था। चूंकि इस बदलाव से रेगुलेटरी फीस के रूप में अधिक भुगतान करना पड़ेगा, इसलिए एक्सचेंज ने जून में सेबी को लिखे एक पत्र में रिव्यू का अनुरोध किया था।
पिछले हफ्ते सेबी द्वारा बीएसई के रिव्यू के अनुरोध के जवाब में भेजे गए पत्र के बाद, बीएसई के बोर्ड ने अतिरिक्त रेगुलेटरी फीस का भुगतान करने की सलाह दी है।
सेबी ने अपने जवाब में कहा, “यह दोहराया जाता है कि बोर्ड को नियामक शुल्क का भुगतान करने के उद्देश्य से ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए एनुअल टर्नओवर की गणना हमेशा उनके नोशनल वैल्यू (notional value) के आधार पर की गई है।”
सेबी ने आगे कहा कि, चूंकि कोई निर्धारित सीमा अवधि नहीं है, ब्याज के साथ अतिरिक्त रेगुलेटरी फीस की वसूली के लिए वित्त वर्ष 2014-15 से शुरू होने वाली 10 साल की लुक-बैक अवधि को उचित माना गया है।
वित्त वर्ष 2024 के बकाया के लिए, सेबी ने एक्सचेंज को निर्देश दिया है कि वह बिना किसी ब्याज के 30 दिनों के भीतर राशि का भुगतान करे। वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के लिए ब्याज सहित राशि का भुगतान करना होगा। हालांकि, वित्त वर्ष 2015 से 2021 तक के पिछले सात वर्षों के लिए, एक्सचेंज को अगस्त 2025 और अगस्त 2027 के बीच तीन बराबर वार्षिक किस्तों में अतिरिक्त रेगुलेटरी फीस और ब्याज का भुगतान करने की अनुमति दी गई है।
नोशनल टर्नओवर का मतलब डेरिवेटिव्स में कारोबार किए गए प्रत्येक कॉन्ट्रैक्ट के कुल स्ट्राइक मूल्य से है, जबकि प्रीमियम टर्नओवर का मतलब कुल ट्रेड किए गए कॉन्ट्रैक्ट्स पर चुकाए गए प्रीमियम का कुल योग है। नोशनल वैल्यू प्रीमियम टर्नओवर से अधिक होता है, इसलिए अगर नोशनल टर्नओवर को आधार के रूप में रखा जाता है तो शुल्क के रूप में ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा।