बिजली का पूंजीगत सामान बनाने वाली कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) ने सुधार से पहले इंट्रा-डे कारोबार में 8 प्रतिशत गंवाया और 1,755 रुपये पर बंद हुआ जो पिछले बंद से 5 प्रतिशत कम के स्तर पर था।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी द्वारा वित्त वर्ष 2008 की सांकेतिक संख्याओं को बाजार ने ठीक तरीके से नहीं लिया। कुल आय में मात्र 13 प्रतिशत की वृध्दि हुई और यह 21,608 करोड़ रुपये रहा जबकि विश्लेषकों का अनुमान था कि कुल आय में लगभग 20-22 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
शुध्द लाभ में हुई मात्र 17 प्रतिशत की वृध्दि जो 2,815 करोड़ रुपये रही है, पांच वर्षों में सबसे कम है और अगर हम वित्त वर्ष 2007 के 44 प्रतिशत से इसकी तुलना करें तो यह बहुत कम प्रतीत होता है।दिसंबर में समाप्त हुए नौ महीने में बीएचईएल ने कुल बिक्री में 20 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है जबकि चौथी तिमाही की वृद्धि के अपेक्षाकृत कम, केवल 6.5 प्रतिशत, होने की संभावना है।
इसके अतिरिक्त लाभ वित्त वर्ष 2007 की चौथी तिमाही की तुलना में कम होंगे। क्रियान्वयन में विलंब और उच्च लागत मूल्य इसकी वजह बन सकती हैं।हालांकि, बीएचईएल ने वित्त वर्ष 2007 के कुल आय में 29 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की थी (यह 18,838 करोड़ रुपये था), को वित्त वर्ष 2008 के दौरान लगभग 50,000 करोड़ रुपये के जबर्दस्त ऑर्डर मिले हैं और कंपनी को इस वर्ष की समाप्ति 85,000 करोड़ रुपये के ऑर्डरबुक के साथ करनी चाहिए।
बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनी कितनी जेती से आने ऑर्डरों का निपटान करती है यद्यपि यह 2009 तक 1500 मेगावाट की पर्याप्त क्षमता तैयार कर रही है।विश्लेषकों को इस बात की चिंता है कि परिचालन मार्जिन दवाब में रह सकता है। वेतन में 30 प्रतिशत की वृध्दि के बारे में विचार किया जा रहा है, यह वृध्दि 40 प्रतिशत तक की हो सकती है। इससे परिचालन मार्जिन में एक प्रतिशत की कमी आनी चाहिए जो दिसंबर में 16.5 प्रतिशत था।
52 सप्ताह के शीर्ष स्तर से कंपनी के शेयर के मूल्य में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है और 1,755 रुपये के स्ता पर इसका कारोबार सात महीने के निम् स्तर पर किया जा रहा है। ऐसा अनुमान है कि वर्तमान मूल्य पर इसका कारोबार वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित आय के मुकाबले 23 गुना पर किया जा रहा है जबकि लार्सन ऐंड टुब्रो के शेयर का कारोबार 2,850 रुपये पर किया जा रहा है जो वित्त वर्ष 2007 की अनुमानित आय का 28 गुना है।
एमटेक ऑटो: मार गई मंदी
एमटेक ऑटो ने खुलासा किया है कि इसे अगले दो वर्षों में मार्क-टु-मार्केट के लिए 72 करोड़ रुपये का प्रावधान करने की आवश्यकता होगी ताकि फॉरेक्स डेरिवेटिव से होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई हो सके।
3,720 करोड़ रुपये की कंपनी के प्रवर्तकों ने कहा है कि वे इन पैसों की व्यवस्था या तो शून्य ब्याज दर वाले ऋण से करेंगे या फिर इसके लिए तरजीही शेयर जारी करेंगे जो वास्तव में ऋण उपकरण होगा।
इसके साथ ही विश्लेषकों ने वर्तमान वर्ष में 72 करोड़ रुपये के घाटे की बात कही थी और वित्त वर्ष 2009 के लिए 50 करोड़ रुपये की संभावित हानि का अनुमान लगाया था। अगर इन दोनों का प्रभाव इक्विटी के आधार पर देखा जाए तो वित्त वर्ष 2008 में प्रति शेयर आय लगभग 22 प्रतिशत कम होगी।
ऐसा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2008 की समाप्ति एमटेक लगभग 5,300 करोड़ रुपये की आय के साथ करेगी और शुध्द लाभ 430 करोड़8 रुपये होने की संभावना है। इस कंपनी की उत्पादन सुविधाएं यूरोप, एशिया और अमेरिका में है और इसने वित्त वर्ष 2007 में 409 करोड़ रुपये का शुध्द लाभ दर्ज किया था।
व्यावसायिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो विदेशी ऑटोमोबाइल बाजारों में आई गिरावट का खामियाजा कंपनी को भुगतना पड़ सकता है। कंपनी 90 प्रतिशत से अधिक निर्यात यूरोप और अपनी विदेशी सहयोगी कंपनियों को करती है। डॉलर के मुकाबले रुपये में आई तेजी ने कंपनी को कुछ हद तक सुरक्षित रखा है। घरेलू बाजार में भी ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में मंदी देखी जा रही है और दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था भी कुछ हद तक मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सुधार आने में वक्त लग सकता है।
एमटेक अपने बिजनेस मॉडल में परिवर्तन कर, रेलवे जैसे क्षेत्रों के लिए कंपोंनेट बनाकर अपना जोखिम कम कर रही है। 302 रुपये के वर्तमान मूल्य पर इसके शेयर का कारोबार वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित आय की तुलना में 13 गुना से कम पर किया जा रहा है और माहौल को देखते हुए महंगा लगता है।