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Lok Sabha Elections : क्या 400 सीटें मिलने पर BJP बदल सकती है संविधान ? जानिए क्या कहता है गणित

संविधान में संशोधन के लिए दो तरह की स्पेशल मेजोरिटी चाहिए होती है। कोई भी बिल पास करने के लिए संसद के दोनों सदनों में सिंपल मेजोरिटी से काम चल जाता है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- April 05, 2024 | 4:47 PM IST

Indian constitution: लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections) की शुरुआत के साथ देश की राजनीति में बयानों का सिलसिला भी तेज हो गया है। ऐसे ही एक बयान ने एक बड़ी चर्चा को जन्म दे दिया है जिसे लेकर विपक्ष भी हमलावर होता दिख रहा है।

बता दें कि कर्नाटक की उत्तरा कन्नड़ा लोकसभा सीट से हाल में भाजपा संसद अनंत हेगड़े के बयान ने एक संवेदनशील मुद्दे को हवा दे दी है। उन्होंने एक चुनावी सभा में कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनावों में 400 से ज्यादा सीटें मिलती है तो वह संविधान में संशोधन करेगी।

भाजपा (BJP) ने भले ही सांसद के बयान से किनारा कर लिया है लेकिन कुछ सप्ताह बाद राजस्थान की नागौर सीट से भाजपा विधायक ज्योति मिर्धा का भी एक बयान वायरल हुआ। इसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत मिला तो भाजपा के पास संविधान में संशोधन करने की ताकत आ जायेगी।

इस बहस के बीच चलिए जानते है कि क्या संविधान में संशोधन करना आसान है और 400 से ज्यादा सीटें मिलने पर कोई पार्टी आसानी से इसमें बदलाव कर सकती है।

संविधान में संशोधन की क्या होती है शर्ते ?

संविधान में संशोधन के लिए दो तरह की स्पेशल मेजोरिटी (Special Majority) चाहिए होती है। कोई भी बिल पास करने के लिए संसद के दोनों सदनों में सिंपल मेजोरिटी से काम चल जाता है। सिंपल मेजोरिटी (Simple Majority) यानी किसी भी बिल पर वोटिंग के दौरान संसद में मौजूद कुल सांसदों में 50 प्रतिशत सदस्यों की पक्ष में वोटिंग चाहिए होती है।

वहीं, संविधान में संशोधन के लिए स्पेशल मेजोरिटी चाहिए होती है। मान लीजिये संविधान में बदलाव या संशोधन को लेकर कोई बिल पेश हुआ लेकिन यह बिल तभी पास होगा जब कम से कम दो तिहाई सांसद इसके पक्ष में वोट डाले। साथ ही पक्ष में वोट डालने वाले सांसदों की संख्या लोकसभा में 272 और राजयसभा में 123 से ज्यादा होनी चाहिए।

हालांकि, जीएसटी लागू करने जैसे बड़े फैसलों में 50 प्रतिशत राज्यों की मंजूरी भी चाहिए होती है। अब सवाल यह है कि तो क्या कोई सरकार जिसके पास स्पेशल मेजोरिटी हो और राज्यों में भी उनकी सरकार हो तो क्या वो पूरा संविधान बदल सकती है? जवाब है नहीं।

क्या ऐसा हो सकता है ?

साल 1976 में एमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने संविधान की प्रस्तावना में ”सोशलिस्ट” शब्द जुड़वां दिया था। यह 42वें संविधान संशोधन से संभव हुआ। हालांकि, इससे यह एकलौता बदलाव नहीं हुआ। इसमें सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्राधिकार को कम करना शामिल था जिसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट किसी भी संवैधानिक संशोधन के मामले में सुनवाई नहीं कर सकता था।

हालांकि, 1978 में जनता पार्टी की सरकार बनी और संविधान में 44वां संशोधन बिल पेश किया गया। इस बिल के जरिये संविधान में 42वें संशोधन की बातों को बदला गया। इसके बाद समय के साथ सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के कई हिस्सों को ”बेसिक स्ट्रक्चर” घोषित किया और इसमें मौलिक अधिकार, धर्मनिरपेक्षता, न्यायिक समीक्षा जैसी स्ट्रक्चर को शामिल किया गया। इसने संविधान को बदलने का दायरा खत्म कर दिया।

संविधान में संशोधन करना आसान काम नहीं

किसी भी पार्टी के लिए आज के समय में बहुमत का नंबर जुटाना बहुत मुश्किल प्रक्रिया और साथ ही सुप्रीम कोर्ट की नजर से बचना लगभग असंभव है। 2024 में बीजेपी की लोक सभा चुनावों में 400 सीटें भी आ जाती है तब भी वो राज्यसभा में स्पेशल मेजोरिटी के नंबर से बहुत दूर है।

वैसे भी संशोधन के मामले में 50 प्रतिशत से ज्यादा राज्यों की मंजूरी चाहिए होती है और यह सब होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई की जा सकती है।

First Published : April 5, 2024 | 4:44 PM IST