इस वर्ष कॉर्पोरेट बीमा कवर के नवीकरण में नई चीजें देखने को मिल रही हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष भारतीय कंपनियों ने प्रीमियम में 60 से 75 फीसदी की कमी देखी है।
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने इस साल के जनवरी महीने से बीमा कंपनियों को प्रीमियम दरें तय करने की पूरी छूट दे दी है। इस कारण बड़ी कॉर्पोरेट पॉलिसियों को हथियाने के लिए बीमा कंपनियों में होड़ मची हुई है।
बीमा कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट को कुछ पॉलिसियों पर पेश की गई छूट की प्रतिशतता 80-90 प्रतिशत रही है। लगभग 30 प्रतिशत कॉर्पोरेट पॉलिसियों का नवीकरण एक अप्रैल को किया जाता है। ये सीघे जोखिम के अंतर्गत आते हैं जहां एक स्थान पर सम एश्योर्ड 2,500 करोड़8 रुपये से कम होता है।
चार सार्वजनिक क्षेत्र की बड़े बैंलेंस शीट वाली बीमाकर्ता कंपनी जिनकी सॉल्वेंसी मार्जिन अधिक है और जिन्होंने अपने अधिकांश पुराने ग्राहकों को बनाए रखा है का प्रदर्शन बड़े कॉर्पोरेट खाते को हथियाने के मामले में निजी क्षेत्र की बीमाकर्ताओं की अपेक्षा बेहतर रहा है। निजी बीमाकर्ता कंपनियों, जिनमें चोलामंडलम जनरल इंश्योरेंस और इफको-टोकियो जनरल इंश्योरेंस शामिल हैं, ने पिछले वर्ष कई कॉर्पोरेट खाते हाथ से निकलने के बाद आक्रामक बोलियां लगाई हैं।
बीमा दलालों के अनुसार निजी क्षेत्र की बड़ी बीमा कंपनियां जैसे आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और बजाज अलायंज चुनिंदा तौर पर बड़ी छूट की पेशकश की है। एचडीएफसी जनरल इंश्योरेंस ने इंतजार करने की नीति अपनाई है और अभी तक अपने अंडरराइटिंग नीति की तैयारी में जुटी है। जबकि फ्यूचर जेनराली, जो बीमा के क्षेत्र में अभी नया है, को बड़ी कंपनियों के भारी खाते हासिल करने में कामयाब हो गई है।