रेलवे के विभिन्न फंडों के विलय हेतु समिति

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:22 PM IST

रेलवे बोर्ड ने बजट में आवंटित फंडों पर पुनर्विचार करने के लिए समिति का गठन किया है। समिति मुख्य रूप से यह देखेगी कि जिस मकसद से फंड मिला है, उसका आच्छादन दूसरे फंड में न्यूनतम हो। इस महीने के शुरुआत में जारी एक आदेश में रेलवे ने एक समिति गठित करने का फैसला किया, जो ‘रेलवे द्वारा परिचालित फंडों के विलय की व्यवहार्यता पर विचार करेगी, जिसमें कुछ जुड़े हुए मसले/पहलू भी शामिल होंगे।’
इस समिति को सौंपे गए अन्य दायित्वों में रेलवे के मौजूदा फंडों के महत्त्व और जरूरतों को देखते हुए विलय की व्यावहारिकता की जांच करना शामिल है। इसके साथ यह भी उम्मीद की गई है कि समिति विलय किए गए फंडों के आवंटन के नियमों का सुझाव भी देगी।
रेलवे के पूर्व अतिरिक्त सदस्य विजय दत्त ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘परंपरागत रूप से भारतीय रेलवे में कुछ मदों में किसी खास मकसद से धन का आवंटन किया जाता है। कभी-कभी यह नीति निर्माताओं को अक्षम बना देता है क्योंकि उस धन का इस्तेमाल किसी अन्य मकसद से नहीं किया जा सकता है और इसका अन्य मद में स्थानांतरण जटिल प्रक्रिया है। मौजूदा समिति की भूमिका यह होगी कि मौजूदा व्यवस्था को सरल करे, जिससे कि विकास परियोजनाओं के लिए धन आवंटन सुचारु रूप से हो सके।’
रेलवे कुछ विशेष मदों के तहत बजट आवंटन करता है। इसी तरह के मकसद से मूल्यह्रास आरक्षित निधि (डीआरएफ) का प्रावधान रेलवे के ट्रैक बदलने और उनके नवीकरण के लागत की भरपाई के लिए किया गया है।
पेंशन फंड (पीएफ) की व्यवस्था पेंशनभोगियों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण फंड से ज्यादा निकासी, ज्यादा महंगाई पर राहत देने के लिए जारी धन की व्यवस्था, पेंशन लाभों के उदारीकरण पर आने वाले व्यय सहित अन्य मदों के लिए की गई है। राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (आरआरएसके) का सृजन सुरक्षा से जुड़े अहम कामों के लिए किया गया है।
रेलवे बोर्ड में पूर्व कार्यकारी निदेशक (सिविल इंजीनियरिंग-जनरल) आलोक कुमार के मुताबिक रेल बजट में विभिन्न मदों के तहत आवंटित धन पर पुनर्विचार करना सही दिशा में उठाया गया कदम है। कुमार ने कहा, ‘इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि धन का उपयोग रेलवे की ज्यादा अद्यतन जरूरतों के मुताबिक हो।’
समिति के कार्यक्षेत्र में बजट से इतर संसाधनों (ईबीआर) के तहत उधारी के दो अलग स्रोतों को बनाए रखने की जरूरत की जांच करना भी शामिल है। पूर्व वित्तीय आयुक्त आर शिवदासन ने कहा, ‘ईबीआर-ईबीआर आईएफ के तहत दो अलग स्रोतों पर पुनर्विचार करना तार्किक मसला है।’ यह समिति रेलवे फंडों को मौजूदा प्रारूप में जारी रखने की जरूरतों की भी जांच करेगी, जिसमें अलग से विशेष उद्देश्य कोषों जैसे डीआरएफ, डेवलपमेंट फंड (डीएफ), पीएफ और रेलवे सुरक्षा कोष (आरएसएफ) की जरूरत की जांच करना शामिल है।
शिवदासन ने कहा, ‘रेलवे हर साल करीब 34,000 करोड़ रुपये के करीब सिर्फ मरम्मत पर खर्च करती है। यह किसी भी कोष का हिस्सा हो, लेकिन इसका लक्ष्य किया गया अंतिम कार्य होना चाहिए।’
समिति के विचारार्थ विषयों में फंड के उचित इस्तेमाल को लेकर आंतरिक नियंत्रण की भूमिका भी शामिल है। यह समिति लाभकारी परियोजनाओं के मामले में रिटर्न की दर (आरओआर) के संदर्भ में पारिश्रमिक की जांच के आवेदन को नियंत्रित करने वाले नियमों पर भी विचार करेगी।

First Published : February 8, 2022 | 11:29 PM IST