युद्धग्रस्त क्षेत्र यूक्रेन में 20,000 से अधिक भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं जिनमें से अधिकांश छात्र हैं। रूस द्वारा यूक्रेन में बड़े स्तर पर सैन्य हमला शुरू होने के बाद इस पूर्वी यूरोपीय देश ने अपना हवाईक्षेत्र बंद कर दिया जिसके बाद भारत ने फंसे लोगों को निकालने के लिए वैकल्पिक मार्गों की तलाश शुरू कर दी है।
भारतीय वायु सेना पड़ोसी देशों से यात्रियों को निकालने के लिए तैयार है। यूक्रेन हवाई अड्डा अब भी बंद है। एयर इंडिया ने गुरुवार को कहा कि उसे दिल्ली-यूक्रेन-दिल्ली सेक्टर के लिए 22, 24 और 26 फरवरी को तीन उड़ानों का संचालन करना था। उसने कहा, ‘हमने 22 फरवरी को दिल्ली और यूक्रेन के बीच वापसी के लिए उड़ान भरी थी जिसमें यूक्रेन से 242 यात्रियों को वापस लाया गया था। गुरुवार की सुबह हमारा विमान कीव के लिए रवाना हो गया था लेकिन कीव में घोषित वायुसैनिकों के नोटिस और यूक्रेन में हवाईक्षेत्र के बंद होने के कारण वापस लौटना पड़ा। यूक्रेन से तीन वापसी उड़ानों में बड़ी तादाद में लोग वापस आ सकते थे।’
इंटरनेट पर भी विमानों की जानकारी देने वाली वेबसाइटें यूक्रेन के हवाई क्षेत्र में कोई वाणिज्यिक विमान की सेवाएं नहीं दिखा रही हैं। केंद्र सरकार के लिए भारतीयों को युद्धग्रस्त क्षेत्र से निकालना बड़ी प्राथमिकता है क्योंकि राज्य सरकारों, विशेष रूप से गैर-कांग्रेसी सरकारों द्वारा शासित राज्यों ने मांग करनी शुरू कर दी कि केंद्र बच्चों को वापस निकालने के प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ाए।
विदेश मंत्री एस जयशंकर, फ्रांस में यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं की एक बैठक के लिए (फ्रांस की अध्यक्षता में) गए थे जो विदेश मंत्रालय की तात्कालिक बैठक में हिस्सा लेने के लिए वापस लौट आए। यूक्रेन में मौजूद भारतीयों के संपर्क में रहने और वैकल्पिक निकासी मार्गों को खोजने के लिए एक आपातकालीन परिचालन रूम बनाया गया है। लेकिन फिलहाल भारत ने भारतीयों को एक सुझाव दिया है कि वे जहां हैं, वहीं रहें और अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कीव की यात्रा करने की कोशिश न करें क्योंकि इससे उन्हें नुकसान होने की संभावना बन सकती है।
भारत ने यूक्रेन में अपने दूतावास और आसपास के देशों में रूसी बोलने वाले अधिक अधिकारियों को भेजा है। इसके अलावा संभवत: जल्द ही रूसी भाषा बोलने वालों के साथ बड़े पैमाने पर संपर्क करना पड़ सकता है। यूक्रेन की आधिकारिक भाषा यूक्रेनी है जो रूसी भाषा के समान तो है लेकिन रूसी जैसी नहीं है।
यूक्रेन में संकट पर भारत के रुख को इस सप्ताह की शुरुआत में एक फ्रांसीसी समाचार पत्र को दिए गए साक्षात्कार में विदेश मंत्री जयशंकर ने एक सवाल के जवाब से संक्षेप में पेश किया था। इसमें उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन की मौजूदा स्थिति पिछले 30 वर्षों में जटिल परिस्थितियों की एक शृंखला का परिणाम है। भारत और फ्रांस जैसे अधिकांश देश एक राजनयिक समाधान की तलाश कर रहे हैं जो काफी सक्रिय भी हैं।’ जयशंकर से जब पूछा गया कि भारत ने यूक्रेन की सीमाओं पर रूसी सैनिकों के जमावड़े की निंदा क्यों नहीं की इस पर उनका कहना था, ‘वास्तविक सवाल यह है कि क्या आप एक अच्छा समाधान खोजने के लिए जुटे हैं या आप केवल दिखावे से संतुष्ट हैं? भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के भीतर रूस और अन्य देशों के साथ बात कर सकता है और फ्रांस जैसी पहलों का समर्थन कर सकता है।’
यूक्रेन में हालात का ब्योरा देते हुए एमडी तीसरे वर्ष की छात्रा निकिता फ्रांसिस ने कहा कि वह युद्ध की आशंका को देखते हुए वापस लौट आईं जबकि उनके कई सहपाठी वहां फंसे हुए हैं। वह कीव में बोगोमोलेट्स नैशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थीं।
एक सप्ताह पहले उन्होंने कीव से शारजाह के रास्ते हैदराबाद के लिए एयर अरबिया की फ्लाइट ली थी और फिर वहां से वह अहमदाबाद लौटीं। उन्होंने कहा, ‘अभी तक विश्वविद्यालय ऑनलाइन कक्षाएं चला रहा था जिसे हमले के बाद गुरुवार को रद्द कर दिया गया। कक्षाएं अगली सूचना तक रद्द रहेंगी। इसके अलावा विश्वविद्यालय ने छात्रों को सुरक्षित रहने और तैयार रहने के लिए कहा है। हालांकि, मीडिया में सुर्खियों के बावजूद कल तक ऐसे हालात नहीं थे।’ सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि कीव में भारतीय दूतावास के बाहर करीब 200 छात्र फंसे हुए हैं। कीव में भारतीय दूतावास के अनुसार, भारत के 18,000 से अधिक छात्र यूक्रेन में मेडिकल या इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं जो कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों का लगभग 24 प्रतिशत है। चेन्नई में एक प्रमुख मेडिकल शिक्षा सलाहकार मेडिसीट्स अब्रॉड के निदेशक एम कालिदास ने कहा कि हमलों ने यूक्रेन में पढ़ाई करने के भारतीय छात्रों के जज्बे या इसकी वरीयता को कम नहीं किया है, हालांकि वे हालात के सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं। यूक्रेन में भारतीय छात्रों का एक बड़ा हिस्सा तमिलनाडु या केरल से जुड़ा है।
केरल ने सबसे पहले केंद्र से छात्रों को निकालने में तेजी लाने और संघर्षग्रस्त देश में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए कहा था। कालिदास कहते हैं, ‘यूक्रेन में इतने सारे भारतीय छात्रों में से मुश्किल से कुछ सौ छात्र ही वापस आए हैं। गुरुवार तक ज्यादा दहशत नहीं थी और विश्वविद्यालयों ने भी आश्वासन दिया है कि स्थिति के सामान्य होने पर जल्द ही कक्षाएं फिर से शुरू होंगी। इसके अलावा, विमान टिकट अधिक होने के कारण वापस आने का फैसला इतना आसान नहीं था।’ यूक्रेन इंटरनैशनल एयरलाइंस के भारतीय प्रतिनिधि स्टिक ट्रैवल ग्रुप के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) ईशा गोयल ने कहा, ‘यूक्रेन से 182 छात्रों को दिल्ली लाने के लिए उड़ान भरी गई। हमारे पास 3 मार्च तक दिल्ली के लिए छह और उड़ानों की योजना है और 1,500 छात्रों ने यात्रा करने के लिए बुकिंग की है। यूक्रेन के हवाई क्षेत्र बंद है इसलिए हमें इंतजार करना होगा।’
कालिदास की बात का समर्थन करते हुए फ्रांसिस ने कहा कि उनके कुछ सहपाठियों ने मई 2022 तक के लिए उड़ानें बुक की हैं क्योंकि उनके एमडी पाठ्यक्रम का तीसरा और छठा वर्ष मेडिकल की पढ़ाई के लिए अहम साल होता है, ऐसे में वे विश्वविद्यालय में वापस लौटने की उम्मीद कर रहे हैं।