भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार शुल्क के अंतर को हालिया 13 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत करने की पेशकश की है। इसके बदले भारत अमेरिका के राष्ट्रपित डॉनल्ड ट्रंप से ‘मौजूदा व संभावित’ शुल्क वृद्धि में छूट चाहता है। इस मामले के जानकार दो सूत्रों के मुताबिक दोनों देश जल्दी से संधि करने के लिए तेजी से आगे बढ़े हैं।
इसका अर्थ यह है कि भारत और अमेरिका के बीच औसत शुल्क अंतर को सभी उत्पादों पर व्यापार की मात्रा के बिना गणना की जाए तो इसमें 9 प्रतिशत अंक की गिरावट हो सकती है। यह विश्व की सबसे बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था में व्यापार बाधाओं को कम करने के सबसे बड़े बदलावों में से एक है।
भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार अमेरिका है। दोनों देशों के बीच 2024 में द्विपक्षीय व्यापार कुल 129 अरब डॉलर था। अभी व्यापार अंतर भारत के पक्ष में है। भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष 45.7 अरब डॉलर था।
ट्रंप ने गुरुवार को ब्रिटेन के साथ अपने ‘पहले समझौते’ की घोषणा की थी। इसमें अमेरिका सामानों पर ब्रिटेन ने शुल्कों में कटौती की थी। लेकिन उसने अमेरिका के ब्रिटेन पर लगाए गए 10 प्रतिशत आधार शुल्क को कायम रखा है। लिहाजा अमेरिका ने अपने अन्य व्यापार साझेदार देशों के लिए खाका तय कर दिया है।
ट्रंप ने बीते महीने वैश्विक व्यापारिक साझेदारों के साथ दीर्घकालिक योजना के तहत जवाबी शुल्क को 90 दिन के लिए लंबित कर दिया था। इस क्रम में भारत से व्यापारिक समझौतों पर बातचीत के कारण 26 प्रतिशत शुल्क को भी टाल दिया गया था। इस विलंब के दौरान भारत सहित अन्य देशों पर लागू 10 प्रतिशत आधार शुल्क कायम रहना है।
भारत सरकार के तीसरे अधिकारी ने बताया कि ब्रिटेन के बाद इस समझौते को अंतिम रूप देने वाले अगले दो अन्य देश भारत और जापान हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें देखना होगा कि कौन पहले लाइन को पार करेगा।’ इस मामले की जानकारी रखने वाले पहले दो अधिकारियों ने बताया, ‘भारत ने इस समझौते तक पहुंचने के लिए पहले चरण में शुल्क को 60 प्रतिशत कम करने की पेशकश की है और इस बारे में बातचीत जारी है।’ इन दो अधिकारियों में से एक अधिकारी ने बताया कि भारत ने अमेरिका से आयात किए जाने वाले सामान पर शुल्क घटाने जाने सहित करीब 90 प्रतिशत सामानों पर वरीयता पहुंच देने की पेशकश की है। भारत के अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल इस महीने की शुरुआत में पहुंचने की उम्मीद है।