अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत के रूस के साथ संबंध दशकों पुराने हैं और ये ऐसे वक्त में मजबूत हुए जब अमेरिका, भारत का साझेदार बनने में सक्षम नहीं था। ब्लिंकन ने यह बात यूक्रेन पर रूस के हमले की घटना पर भारत के रुख को समझने के संकेतों के बीच कही। दरअसल यूक्रेन संकट को लेकर भारत के रुख पर तथा रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदने को लेकर अमेरिका में असंतोष है।
अमेरिका के विदेश मंत्री ने यह बयान रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ सोमवार को टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दिया। उन्होंने कहा , ‘भारत के रूस के साथ संबंध दशकों पुराने हैं और ऐसे वक्त से हैं जब अमेरिका, भारत का साझेदार बनने की स्थिति में नहीं था। वक्त बदल चुका है।’
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘आज हम भारत के साथ वाणिज्य, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के लिए सक्षम और इच्छुक हैं। आज हमारे बीच इसी को लेकर बातचीत हुई है। जब बात तेल खरीद, प्रतिबंध आदि की आती है तो मैं बस यही कहूंगा कि तेल खरीद के लिए यह जटिल प्रक्रिया है।’ शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने हालांकि सहयोगियों और साझेदारों को रूस से तेल आदि की खरीद को बढ़ाने के प्रति आगाह किया।
उन्होंने कहा, ‘यकीनन हम देशों को इस बात के लिए प्रेरित कर रहे हैं कि वे रूस से अतिरिक्त ईंधन नहीं खरीदें। प्रत्येक देश की स्थिति अलग है, उनकी जरूरतें अलग हैं, लेकिन हम सहयोगियों और साझेदारों से उम्मीद करते हैं कि वे रूस से ईंधन खरीद को न बढ़ाएं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति और कीमतों, बाजारों पर पडऩे वाले गहरे प्रभाव को कम करने और इसे हासिल करने के लिए मिलकर काम करने के तरीकों के बारे में बात की। ब्लिंकन ने कहा, ‘मैं कहना चाहूंगा कि भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में काफी कठोर बयान दिए थे, भारतीय संसद में मंत्री ने कड़ा बयान दिया, यूक्रेन में आम नागरिकों की हत्या की निंदा की, इन मामलों की स्वतंत्र जांच की मांग की। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि भारत यूक्रेन की जनता को अहम मानवीय मदद पहुंचा रहा है, खासतौर पर दवाइयां।’ उन्होंने कहा कि भारत को खुद निर्णय लेना है कि उसे इन चुनौतियों के प्रति क्या रुख अपनाना है। रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन मजबूत गठबंधनों और साझेदारी को वास्तव में बहुत महत्व देते हैं,जैसे कि भारत के साथ हैं। क्वाड के अन्य देशों से इतर भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की खुल कर निंदा नहीं की है और रूस की आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में हुए सभी मतदान से दूर रहा है। ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने को लेकर भारत पर अमेरिकी विरोधियों से प्रतिबंधों के माध्यम से मुकाबला करने का अधिनियम (सीएटीएसएए) के तहत प्रतिबंध लगाए जाने या उसे छूट दिए जाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है।
अमेरिका की नजर
ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका भारत में कथित रूप से कुछ सरकारी अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं में बढ़ोतरी समेत हालिया कुछ चिंताजनक घटनाक्रम पर नजर रख रहा है। ब्लिंकन ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा, ‘हम सरकार, पुलिस और जेल के कुछ अधिकारियों द्वारा मानवाधिकार हनन के मामलों में वृद्धि समेत भारत में हाल के कुछ चिंताजनक घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं। बहरहाल, उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।’
ब्लिंकन ने कहा, ‘हम मानवाधिकारों की रक्षा करने जैसे हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इन साझा मूल्यों को लेकर हमारे भारतीय साझेदारों के नियमित संपर्क में रहते हैं।’ भारत देश में नागरिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर विदेशी सरकारों और मानवाधिकार समूहों द्वारा लगाए गए आरोपों को पहले ही खारिज कर चुका है।
भारत सरकार ने जोर देकर कहा है कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा करने के लिए सुस्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं और मजबूत संस्थाएं हैं। सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय संविधान मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कानूनों के तहत पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करता है। भाषा
अंतरिक्ष संबंधी करार पर हस्ताक्षर
भारत और अमेरिका ने अंतरिक्ष में स्थिति को लेकर जागरूकता संबंधी एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जिससे दोनों देशों के बढ़ते रक्षा सहयोग में एक नया अध्याय जुड़ा है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने यह बात कही। इस समझौते पर सोमवार को टू प्लस टू मंत्री स्तरीय बैठक से इतर दोनों देशों के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए। इस बैठक की सह-मेजबानी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने की थी। इसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाग लिया। ऑस्टिन ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि कुछ ही समय पहले हमने अंतरिक्ष में स्थिति को लेकर जागरूकता संबंधी एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए और इससे हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग एवं सूचनाओं का आदान-प्रदान बढ़ाने में मदद मिलेगी।’ उन्होंने कहा, ‘हम साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग गहरा कर रहे हैं जिसमें इस वर्ष के आखिर में प्रशिक्षण तथा अभ्यास आदि शामिल हैं। दोनों देशों की आज अहम प्रतिबद्धता है जो अंतरिक्ष, साइबर क्षेत्र सहित उभरते रक्षा क्षेत्र में सहयोग तथा प्रौद्योगिकी संबंधी नवाचार को बढ़ावा देगी।’
रक्षा साझेदारी
भारत और अमेरिका ने समग्र रक्षा साझेदारी के लिए प्रतिबद्धता जताई जिसमें दोनों देशों की सेनाएं सभी क्षेत्रों में साथ मिलकर समन्वय कर सकेंगी। मंत्रियों ने जिक्र किया कि सूचना का आदान-प्रदान और एक-दूसरे के सैन्य संगठनों में संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति एकीकृत और बहु-क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करने के लिए सेनाओं के बीच संयुक्त सेवा सहयोग को बढ़ावा देगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनकी नौसेनाएं हिन्द महासागर क्षेत्र और व्यापक हिंद-प्रशांत में अमेरिका और भारत के साझा हितों को आगे बढ़ाने में एक प्रेरक शक्ति रही हैं। उन्होंने जलक्षेत्र जागरूकता सहित समुद्री सहयोग को और आगे बढ़ाने तथा गहरा करने के अवसरों पर चर्चा की।
आतंक के खिलाफ पाक से कार्रवाई की मांग
भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल, निरंतर और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करने की मांग की कि उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों के लिए न किया जाए। साथ ही, दोनों देशों ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले तथा पठानकोट हमले के दोषियों को न्याय के दायरे में लाने का आह्वान भी किया। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन तथा रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के बीच हुई टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान में पाकिस्तान से ये कदम उठाने की मांग की गई। जो बाइडन द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद दोनों देशों के मंत्रियों ने सोमवार को पहली टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता की। शहबाज शरीफ के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के एक दिन बाद दोनों देशों का यह संयुक्त बयान आया है। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘मंत्रियों ने पाकिस्तान से उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी हमलों के लिए न किया जाना सुनिश्चित करने के लिए तत्काल, निरंतर और अपरिवर्तनीय कार्रवाई की मांग की है।’ भारत ने कहा कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ सामान्य संबंध चाहता है। उसने कहा कि आतंकवाद और नफरत से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है।