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मुंबई पर कर्नाटक के दावे पर आग बबूला हुआ महाराष्ट्र

Published by
सुशील मिश्र
Last Updated- December 28, 2022 | 8:20 PM IST

महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर दोनों राज्यों के नेताओं की तरफ से जारी बयानबाजी लगातार उलझाती जा रही है। विवादित क्षेत्र को केन्द्र शासित राज्य घोषित किये जाने की मांग पर पलटवार करते हुए कर्नाटक ने मुंबई पर दावा ठोकते हुए मुंबई को केन्द्र शासित राज्य घोषित करने की मांग की तो महाराष्ट्र सरकार ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि मुंबई महाराष्ट्र की है और राज्य की राजधानी पर किसी के भी दावे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए विपक्ष के नेता अजीत पवार ने दावा किया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री और मंत्री अपनी टिप्पणियों से महाराष्ट्र के गौरव को ठेस पहुंचा रहे हैं और महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया उसके माकूल नहीं है। कर्नाटक के विधि मंत्री मधु स्वामी ने मांग की है कि मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए। और भारतीय जनता पार्टी के विधायक लक्ष्मण सावदी ने कहा कि मुंबई कर्नाटक की है, उन्होंने मराठी लोगों के घावों पर नमक छिड़का है। मुख्यमंत्री कड़े शब्दों में इसकी निंदा करें।

जिस पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुंबई महाराष्ट्र की है, किसी के बाप की नहीं है। हम मुंबई पर किसी के दावे को बर्दाश्त नहीं करेंगे और हम अपनी भावनाओं को कर्नाटक सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री के सामने रखेंगे। केंद्रीय मंत्री शाह से ऐसे बड़बोले नेताओं को फटकार लगाने का आग्रह किया जाएगा। शाह के साथ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में यह तय किया गया था कि दोनों पक्षों में से कोई भी नया दावा नहीं करेगा। फडणवीस ने कहा कि कर्नाटक के विधायकों या कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष की टिप्पणियां, जो तय किया गया था, उसके विपरीत हैं। मुंबई पर किसी के भी दावे को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम इसकी निंदा करते हैं। हम इन बयानों की निंदा करते हुए एक पत्र कर्नाटक सरकार को भेजेंगे और इसे केंद्रीय गृह मंत्री के संज्ञान में लाएंगे।

एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के दोनों सदनों ( विधानसभा और विधान परिषद) ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से पेश एक प्रस्ताव को पारित किया था। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार बेलगाम, करवार बीदर, निपानी, भाल्की शहरों तथा 865 मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में शामिल कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगी। ये क्षेत्र कर्नाटक का हिस्सा हैं। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करना चाहिए कि जब तक महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा का मसला उसके पास लंबित है, तब तक सभी विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए। 

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महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य जयंत पाटिल ने बुधवार को सदन में कहा कि केंद्र सरकार को महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पर तत्काल दखल देना चाहिए और विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर पर तत्काल फैसला लेते हुए इसे केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यही रुख अख्तियार करना चाहिए और विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करना चाहिए। लोकसभा को निर्णय लेने का अधिकार है, इसलिए भाजपा के नेताओं को तुरंत केंद्र सरकार से संपर्क करना चाहिए।

कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने महाराष्ट्र विधानमंडल में पारित प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि पड़ोसी राज्य को एक भी गांव नहीं दिया जाएगा। कर्नाटक विधानसभा ने महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद को लेकर पिछले गुरुवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें दक्षिणी राज्य के हितों की रक्षा करने और अपने पड़ोसी को एक इंच भी जमीन नहीं देने का संकल्प लिया गया है । 

First Published : December 28, 2022 | 8:20 PM IST