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  वित्त-बीमा  एटीएम से निकासी महंगी तो कम ही चलाएं नकदी
वित्त-बीमा

एटीएम से निकासी महंगी तो कम ही चलाएं नकदी

बीएस संवाददाताबीएस संवाददाता—January 2, 2022 11:35 PM IST
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नया साल आया है, कई बदलाव लाया है और आपके भुगतान करने के ढंग में बड़ा बदलाव होने जा रहा है क्योंकि 1 जनवरी से बैंक की ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) से नकद निकासी महंगी हो चुकी है। अब ग्राहकों को एटीएम से रकम निकालने पर ज्यादा शुल्क अदा करना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नकद निकासी पर बैकों द्वारा लगाए जाने वाले शुल्क की सीमा आखिरी बार अगस्त 2014 में 1 रुपया मुकर्रर की गई थी। इस महीने की पहली तारीख से उसे बढ़ा दिया गया है और अब हरेक निकासी पर आपको 21 रुपये देने होंगे।
पैसाबाजार डॉट कॉम के वरिष्ठ निदेशक गौरव अग्रवाल कहते हैं, ‘पिछली बार शुल्क मुकर्रर किए जाने के बाद से एटीएम लगाने और उन्हें चलाने का खर्च बहुत बढ़ चुका है। इसीलिए आरबीआई ने बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम चलाने वालों को राहत दी है और ग्राहकों से एटीएम लेनदेन पर वसूले जाने वाले शुल्क को 1 रुपये से बढ़ाकर 21 रुपये कर दिया है। नया शुल्क 1 जनवरी से लागू भी हो गया है।’
हरेक बैंक अपने ग्राहकों को अपने एटीएम के साथ दूसरे बैंकों के एटीएम से भी लेनदेन करने के कुछ मुफ्त मौके देता है। लेकिन अगर ग्राहक मुफ्त लेनदेन की सीमा को पार कर जाते हैं यानी ज्यादा बार एटीएम का इस्तेमाल कर लेते हैं तो अब उन्हें काफी ज्यादा शुल्क चुकाना होगा। इस तरह एटीएम से लेनदेन पर होने वाले उनके खर्च में बढ़ोतरी हो जाएगी। हालांकि ग्राहकों को अपने ही बैंक के एटीएम का हर महीने पांच बार मुफ्त इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा। साथ ही महानगरों में रहने वाले ग्राहक महीने में तीन बार और अन्य इलाकों के ग्राहक पांच बार दूसरे बैंकों के एटीएम का भी मुफ्त इस्तेमाल कर सकते हैं। इस्तेमाल की इस सीमा में वित्तीय और गैर वित्तीय लेनदेन (जैसे खाते में शेष रकम जांचना, मिनी स्टेटमेंट निकालना आदि) दोनों ही शामिल हैं। हालांकि यह नया नियम सभी तरह के एटीएम पर लागू नहीं होता है। असिस्टेड पेमेंट क्षेत्र की कंपनी रैपिपे फिनटेक के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) निपुण जैन समझाते हैं, ‘जो ग्राहक हमारे माइक्रो-एटीएम और एईपीएस (आधार से जुड़ी भुगतान प्रणाली) का इस्तेमाल कर नकद निकालते हैं, उन पर एटीएम उपयोग शुल्क में हालिया बढ़ोतरी के रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों का कोई असर नहीं पड़ेगा।’

कैसे कम करें चोट
एटीएम का इस्तेमाल करने पर अगर शुल्क बढ़ गया है तो उसकी चोट को कम कैसे किया जाए? विशेषज्ञ उसके कई तरीके समझाते हैं। सबसे पहले तो यह जांच लीजिए कि आपके खाते के हिसाब से बैंक आपको एटीएम का कितनी बार मुफ्त इस्तेमाल करने का मौका देता है। बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं, ‘कुछ बैंक तरजीही ग्राहकों (प्रीफर्ड कस्टमर) के लिए शुल्क खत्म कर देते हैं। यदि आप भी बैंक के तरजीही ग्राहकों की श्रेणी में शामिल हैं तो चिंता छोड़ दीजिए क्योंकि आपको ज्यादा बार एटीएम का मुफ्त इस्तेमाल करने का मौका दिया जाएगा।’
अगर आप ग्राहकों की खास श्रेणी में नहीं आते हैं तो क्या उपाय हैं? सबसे पहले उपाय तो यही है कि जितना मुमकिन हो एटीएम से गैर वित्तीय लेनदेन नहीं करें। शेट्टी समझाते हैं, ‘अगर आप एटीएम पर जाकर अपने खाते में शेष राशि जांचने के आदी हैं तो इस आदत को फौरन छोड़ दीजिए क्योंकि एटीएम का ऐसा इस्तेमाल भी आपके मुफ्त लेनदेन में गिना जाएगा। शेष राशि जांचनी है तो उसके लिए फोन का इस्तेमाल कीजिए।’
एटीएम से ज्यादा निकासी करने और ज्यादा शुल्क भरने से बचना चाहते हैं तो एक आसान सा तरीका है, जिसे आप पहले ही आजमा रहे हैं। जितना मुमकिन हो वॉलेट, डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड स्वाइप एवं इंटरनेट बैंकिंग के जरिये भुगतान करने की कोशिश कीजिए। इस तरह आपको अपने बटुए में नकदी रखने की जरूरत बहुत कम पड़ेगी और एटीएम से नकद निकासी भी कम ही करनी पड़ेगी।
हालांकि अभी प्रीपेड भुगतान साधन (पीपीआई) और वॉलेट की सुविधा देने वाली कुछ कंपनियां इस डिजिटल बटुए में रकम डालने पर ग्राहकों से 2 या 2.5 फीसदी शुल्क लेती हैं। मगर डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने पर ग्राहकों को एक पाई भी बतौर शुल्क नहीं देनी पड़ती। अगर आप क्रेडिट कार्ड के जरिये भुगतान करते हैं तो शुल्क व्यापारी को भरना पड़ता है आपको नहीं।
पैसाबाजार डॉट कॉम के अग्रवाल इस शुल्क से बचने का एक और तरीका सुझाते हैं, जो कई बैकों में खाते रखने वाले ग्राहकों के लिए खास तौर पर कारगर है। वह कहते हैं, ‘अगर आपके पास कई डेबिट कार्ड हैं तो उन कार्डों का इस्तेमाल पहले करें, जिनमें एटीएम इस्तेमाल के ज्यादा मुफ्त मौके मिलते हैं।’ उनकी राय है कि दूसरे डेबिट कार्ड का कब और कितनी बार इस्तेमाल किया गया है, इस पर पैनी नजर रखें ताकि आप किसी भी डेबिट कार्ड का मुफ्त मौकों से ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर बैठें।
नोटबंदी और उसके बाद लॉकडाउन के दौरान बड़े शहरों में लोगों ने एकीकृत भुगतान प्रणाली यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) का जमकर इस्तेमाल शुरू कर दिया है। शेट्टी सुझाव देते हैं कि जितना अधिक संभव हो, यूपीआई का ही इस्तेमाल करें। अब नकदी के इस्तेमाल से कई तरह के नुकसान सामने आ रहे हैं, जबकि डिजिटल भुगतान के कई फायदे हैं और सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि आप चौबीसों घंटे में किसी भी समय इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
शेट्टी समझाते हैं, ‘एटीएम से एक बार में 20,000 रुपये से ज्यादा की नकद निकासी मुश्किल ही होती है। मौजूदा व्यवस्था के हिसाब से एटीएम एक बार में 40 से अधिक नोट नहीं निकाल सकते और आम तौर पर उनमें मौजूद सबसे बड़े नोट 500 रुपये के ही होते हैं।’
कितनी नकदी है जरूरी
आजकल कई लोग नकद भुगतान से परहेज कर रहे हैं। उसके बजाय वे डिजिटल भुगतान के साधनों, डेबिट और क्रेडिट कार्ड तथा इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। अक्सर उनका काम बहुत कम नकदी से ही चल जाता है। शेट्टी कहते हैं, ‘अगर आप ऐसे शहरी इलाके में रहते हैं, जहां आपके आसपास मौजूद व्यापारियों को यूपीआई अथवा कार्ड के जरिये भुगतान लेने में किसी तरह की दिक्कत नहीं है तो आपकी जिंदगी बहुत आसान बन जाएगी। पूरी संभावना है कि आप महीने की शुरुआत में कुछ हजार रुपये निकालें और आपका एक महीना नहीं बल्कि दो-तीन महीने उसी रकम में आराम से निकल जाएंगे।’
कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका बढ़ती जा रही है और सभी को उसके लिए मुस्तैद रहना चाहिए। ऐसे में घर पर कुछ नकदी रखना अच्छा रहेगा। इस मामले में सीधा सा नियम यह है कि एक महीने के खर्च के बराबर नकदी घर में रखी होनी चाहिए। अगर सरकार को मजबूरी में एक बार फिर सख्त लॉकडाउन लागू करना पड़ता है तो बैंक बंद रहेंगे और एटीएम मशीनों में भी नकदी की किल्लत रहेगी। पिछली लहर में हम सभी देख चुके हैं कि एटीएम बंद रहने से नकद निकासी दूभर हो गई थी और किस कदर दिक्कत आई थी। इसे ध्यान में रखते हुए एक महीने की नकदी आपके काफी काम आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सलाहकार महीने भर की नकदी की सलाह बेशक नहीं देते हैं मगर वे भी कम से कम एक दिन के खर्च के बराबर नकदी अपने बटुए में लेकर घूमने की राय देते हैं।

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