अलग एक्सचेंज की जरूरत क्यों?

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 12:03 AM IST

सेबी के नए चेयरमेन सी बी भावे के इस सोच से काफी राहत मिलती है कि छोटे और मंझोले आकार के उद्योगों के लिए अलग एक्सचेंज के संबंध में कंसल्टेशन प्रक्रिया जल्दी ही पूरी हो जाएगी जिसके बाद सेबी का बोर्ड इस पर फैसला लेगा।



हालांकि छोटे और मंझोले उद्योगों के लिए अलग एक्सचेंज की आवश्यकता के बारे में कुछ भी स्पष्ट रूप में नहीं कहा जा सकता खासकर इस संदर्भ में कि इंटर कनेक्टेड स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया या आईएसई की स्थापना 13 क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा 1997 में की गई थी ताकि इन एक्सचेंज में सूचीबध्द कंपनियों के शेयरों का कारोबार हो सके। लेकिन आईएसई सफल नहीं हो पाई।

इसकी विफलता का मुख्य कारण व्यापार में किसी खास बात का न होना एवं आरएसई के बड़े खिलाड़ियों द्वारा आईएसई में अपनी रूचि न दिखाना रहा। इसके बाद आईएसई के पास विकल्पों की कमी हो गई और अंत में इसने अपनी अलग शाखा आईएसई सिक्युरिटीज एंड सर्विसेज लिमिटेड लिमिटेड खोल दिया जिससे कि इसके सदस्य नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार कर सके।

अभी देश के18 राज्यों और दो केन्द्र शासित राज्यों में लगभग 800 ब्रोकर जो आईएसई के जरिए एनएसई और बीएसई में कारोबार कररहें हैं। बीएसई और आरएसईएस के बीच कारोबार में सक्रियता लाने के लिए इंडोनेक्स की स्थापना की गई जो बीएसई और आरएसईएस के बीच की एक संयुक्त उद्यम थी। इसका उदघाटन पी चिदम्बरम नें जनवरी 2005 में किया था।

हालांकि इंडोनेक्स को बड़ी सफलता नहीं मिल पाई क्योंकि आरएसईएस में सूचीबध्द कंपनियो में से केवल 25 ही बीएसई द्वारा स्वीकार किए गए। इसकी वजह अपेक्षाकृत कमजोर शेयरों की कीमतों में छेड़छाड़ की चिंताएं थी।

बिना इस बात की परवाह किए कि आईएसई छोटे और मंझोले के लिए एक्सचेंज के रूप में काम करेगी या नहीं, नौ आरएसई जोकि कोचिन, चेन्नई, बेंगलोर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, पटना, कानपूर, इंदौर और जयपुर में स्थित हैं,ने तकनीकी में सुधार को लेकर पहले ही आदेश जारी कर रखे हैं। इसमें लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत आएगी और अगले तीन से चार महीनों में इतनी ही राशि की जरूरत और पड़ सकती है।

इन नौ आरएसई में लगभग 3,000 कंपनियां सूचीबध्द हैं और इनमें से करीब 500 नियामक संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और साथ ही खासा मुनाफा कमा रही है। ये सभी ऐसे बाजार की प्रतीक्षा कर रहें हैं जो निवेशकों के लिए निवेश करने और बाहर आने का रास्ता तलाश सके। एक बार इस तरह की व्यवस्था हो जाती है तब इसकी पूरी संभावना है कि बचे हुए आरएसई जैसे कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज, लुधियान स्टॉक एक्सचेंज भी आइएसई में आ सकते हैं।

आरएसई के उपर ओटीसी एक्सचेंज ऑफ इंडिया है जिसकी स्थपना 1992 छोटी कंपनियों को ध्यान में रखकर की गई थी। इसमें शामिल कंपनियां एनएसई और बीएसई में अपनी छोटी शखाओं के जरिए कारोबार करती है। दीगर बात यह है कि अगर आईएसई में सुधार लाकर इसे  आधुनिक बनाया जाए तो यह एसएमई के लिए आदर्श की स्थिति होगी।

एसएमई के लिए अलग से कोई एक्सचेंज स्थापित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जहां तक वित्तीय आवश्यकताओं का सवाल है तो आईएसई और एसमई के पास पर्याप्त धन है। डिम्युचुअलाइजेशन की वजह से आईएसई और एसएमई के पास पूंजी की नई खेप आई है। आईएसई केजो काराबारी हैं उनके पास इस बात की योग्यता है कि वह इसे और नई उचाईओं तक पहुंचा सके।

अब सवाल खड़ा होता है कि क्या इन सारी चीजों के बावजूद एसएमई के लिए अलग एक्सचेंज की आवश्यकता है? अलग से नए एक्सचेंज की स्थापना में काई खास दम नहीं दिखता है। समय की जरूरत है कि बाजार कोऔर अधिक मजबूत बनाया जाए जिससे आनेवालीचुनौतियों का सामना किया जा सके। सिर्फ  अलग  से कारोबार के लिए प्लेटफार्म बना देने से समस्या का कोई समाधान नहीं हो सकता। इन नए प्लेटफार्म पर कारोबारियो को कुछ अतिरिक्त सुविधाएं मिलनी चाहिए।

प्रत्येक स्क्रीप के लिए कम से कम दो मार्केट मेकर की नियुक्ति की जाए और इनकी नियुक्तियों की जिम्मेदारी इश्यूरर्स को दी जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। इश्यूरर्स को चाहिए कि वह प्रत्येक मार्केट मेकर को जारी किए गए पूंजी का कम से कम दो प्रतिशत उसी दर पर मुहैया कराए जिस दर पर यह पब्लिक को मुहैया कराई जाती है।

इसके आलावा मार्केट मेकर को बैंको से समुचित क्रेडिट की भी सुविधाए  दी जानी चाहिए और अगर यह सुविधाएं सस्ते दर पर होगी तो और ज्यादा बेहतर होगा। मार्केट मेकर को मार्केट मेकिंग के कारण हो रहे लाभों के कारण राजकोषीय लाभ भी मिलना चाहिए।

इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि मार्केट मेकर द्वारा बिड्स और ऑफर में दिए जा रहे अंतर को भी किसी सीमा में नहीं बांधना चाहिए क्योंकि माकेट मेकर के बीच आपसी प्रतियोगिता के कारण अंतर अपने आप ही एक संतोषजनक स्थिति तक आ जाएगा।

इस प्रणाली के तहत हरएक निवेशक और ब्रोकर को अपने खरीद और बिक्री के आदेश को अपलोड करने की सुविधा होगी। विश्व के अधिकांश विससित कारोबारी बाजार ने एसएमई के लिए अस्सी के दशक के शुरूवात में ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना कर डाली।

First Published : May 19, 2008 | 2:35 AM IST