भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जनता को संदेहास्पद डिजिटल ऋण ऐप से पैसे उधार लेने को लेकर आगाह किया है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार ऋण चुकाने में देरी के कारण कई उधारकर्ताओं को उत्पीडऩ के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया है। बुधवार को एक बयान में आरबीआई ने कहा, ‘आम जन को इस तरह की भ्रामक गतिविधियों का शिकार होने से बचना चाहिए और ऑनलाइन या मोबाइल ऐप के माध्यम से ऋण देने वाली फर्मों के पीछे के इतिहास को जानना चाहिए। नागरिकों को सत्यापित करना चाहिए कि इनका भ्रामक गतिविधियों जैसा कोई इतिहास न रहा हो।’ हालांकि, डिजिटल ऋणदाताओं की वास्तविकता जानना इतना आसान नहीं है। इस समस्या को हल करने के लिए, डिजिटल लेंडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डीएलएआई) ने कुछ दिशानिर्देश तैयार किए हैं। डीएलएआई के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी गौरव चोपड़ा ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि ग्राहकों को संदिग्ध कंपनियों द्वारा की जाने वाली भ्रामक पेशकश की जानकारी हो और वे इसके बारे में जागरूक रहें।’
सी- चेक द पार्टीज अर्थात पक्षकार की जांच करें
जांच करें कि ऋण समझौते के पक्षकार कौन हैं। यदि आपका ऋण एग्रीमेंट आरबीआई द्वारा पंजीकृत संस्था के साथ नहीं है, तो यह बड़े खतरों की ओर इशारा करता है।
एच- हिडन चार्ज अर्थात छुपे हुए शुल्क
ब्याज दर पर ध्यान देने के साथ ही अन्य छुपे हुए शुल्क को भी नजरअंदाज न करें। चोपड़ा कहते हैं, ‘संदिग्ध फर्में देर के कर्ज देने पर लागू लेट फीस को छिपाने या उन्हें गलत तरीके से पेश करने की प्रवृत्ति रखती हैं। कुछ मामलों में, लेट फीस प्रति दिन 1 प्रतिशत अधिक होती है।’ इस तरह यह 365 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर हो जाती है।
ऐप द्वारा मांगे जाने वाली जानकारी का मूल्यांकन
ऐप द्वारा मांगी जाने वाली अनुमतियों का मूल्यांकन करें। किसी भी ऐप का सामान्य जानकारी से अधिक जानकारी जैसे फोटो, संपर्क सूची, एसएमएस, आदि का उपयोग करने की अनुमति का मांगना खतरे की ओर इशारा करता हैं। विविफाई के मुख्य कार्याधिकारी अनिल पिनपाला कहते हैं, ‘तेज संग्रह रणनीति की हालिया घटनाओं से पता चलता है कि एजेंटों के पास उधारकर्ताओं की संपर्क सूची तक पहुंच रही है और उन्होंने उधारकर्ता के मोबाइल में सहेजे गए संपर्क सूत्रों तक उनके कर्ज की जानकारी देकर उधारकर्ताओं को शर्मसार करने की धमकी दी थी।’
सी- कलेक्शन मैकेनिज्म अर्थात भुगतान की पद्धति
क्या ऐप आपको डिजिटल रूप से भुगतान करने का विकल्प देता है? संदिग्ध कंपनियों के मामलों में आप ऐसा नहीं कर सकते। आप एक स्वचालित-भुगतान सुविधा स्थापित नहीं कर सकते हैं और आपको भुगतान की तारीख को याद रखने के लिए याददाश्त पर निर्भर रहना होगा। यदि आप चूक जाते हैं, तो आपसे अधिक शुल्क लिया जाता है।
के- नो योर कस्टमर
पता करें कि ‘नो योर कस्टमर’ (केवाईसी) की जरूरत है या नहीं। क्या ऋणदाता सभी केवाईसी दस्तावेजों को इक_ा कर रहा है? मनी टैप के मुख्य व्यवसाय अधिकारी एवं सह-संस्थापक कुणाल वर्मा कहते हैं, ‘अगर कोई ऋण ऐप आरबीआई आदेशानुसार पृष्ठभूमि की जांच या नियमित केवाईसी दस्तावेज के बिना ही ऋण की पेशकश कर रहा है, तो इससे दूर रहें।’
एल- लुक डिटेल यानी जानकारी हासिल करें
ऐप डाउनलोड करने से पहले, कुछ चीजों की जांच करें। पिनपाला कहते हैं, ‘ऐप डिस्क्रिप्शन पेज में ऐप को प्रकाशित करने वाली कंपनी की तलाश करें। कंपनी की वेबसाइट और गोपनीयता नीति की जांच करें। अधिकांश संदिग्ध ऐप की कोई वेबसाइट भी नहीं होती है। यदि वे ऐसा करते भी हैं, तो उनकी वेबसाइट पर आरबीआई प्रमाणीकरण नहीं होगा।’
आई- इनकम वेरिफिकेशन अर्थात आय सत्यापन
यह जटिल नहीं है। वर्मा कहते हैं, ‘किसी व्यक्ति की पुनर्भुगतान क्षमता को समझने के लिए आय सत्यापन अहम है। यदि कोई ऐप आपकी पुनर्भुगतान क्षमता की जांच किए बिना आपको ऋण देने को तैयार है, तो उससे बचें।’ ऐसा ऐप आपको ऋण के जाल में फंसा सकता है।
एस- शार्ट टेन्यर अर्थात छोटा कार्यकाल
30 दिनों से कम समय के लिए, अधिक ब्याज दरों के साथ अधिक लेट फीस के साथ दिए जाने वाले ऋण से बचना चाहिए।
टी- टेकिंग अपफ्रंट फी अर्थात अग्रिम शुल्क लेना
ऋण के लिए आवेदन करते समय आपसे कुछ सौ या हजार रुपये का अग्रिम शुल्क मांगने वाले किसी भी ऐप से दूर रहें। डिजिटल ऋण लेते समय सभी व्यक्तियों को इन सभी मानदंडों पर ध्यान देना चाहिए। पिनपाला कहते हैं, ‘याद रखें, अगर कोई ऐप आपको पैसे देते समय नियमों को तोड़ता है, तो वह पैसे वसूली के समय भी उन्हें तोडग़ा।’ डिजिटल ऋण, महामारी के समय में कई लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है, लेकिन उधार लेने वाले को इस बात के प्रति सचेत रहना चाहिए कि वे किससे ऋण ले रहे हैं।