पिछले कुछ वर्षों के दौरान सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये म्युचुअल फंड (एमएफ) में आने वाले निवेशकों की संख्या में तेज बढ़ोतरी दिखाई दी है। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक उद्योग में करीब 1.95 करोड़ नए एसआईपी पंजीकृत किए गए, जबकि वित्त वर्ष 2021 में यह संख्या 1.41 करोड़ थी। बाजार के भागीदारों का कहना है कि निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों में वृद्धि और सकारात्मक निवेश अनुभव की वजह से एसआईपी में निरंतर भागीदारी हुई है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल जून से हर महीने एसआईपी का नया पंजीकरण 20 लाख से ज्यादा रहा है।
21 सितंबर को एमएफ उद्योग में 26.80 लाख नए एसआईपी पंजीकृत किए गए। यह संख्या चालू वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा है। पीजीआईएम इंडिया एमएफ के मुख्य कार्याधिकारी अजीत मेनन का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में उद्योग ने एमएफ उद्योग के संबंध में जागरूकता में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया था। अब वह जागरूकता कार्रवाई में तब्दील हो गई है, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग एसआईपी को चुन रहे हैं। यहां तक कि महामारी के दौरान भी परिवारों की प्रयोज्य आय में इजाफा हुआ है और उन्होंने एसआईपी के जरिये म्युचुअल फंड में निवेश करने का फैसला किया है।
एसआईपी निवेश की एक ऐसी तकनीक होती है, जिसमें निवेशक एक बारगी बड़ी राशि निवेश करने के बजाय, हर महीने एक निश्चित राशि जमा करने के लिए प्रतिबद्ध रहता है। इस मार्ग के जरिये होने वाले निरंतर अंतर्वाह ने घरेलू एमएफ उद्योग को वृद्धि के लिए ठोस आधार प्रदान किया है।
एसआईपी के जरिये किया जाने वाला निवेश सुर्खियों में बना हुआ है और अप्रैल के बाद से इसने रफ्तार पकड़ ली है। दिसंबर में इसने अपने सर्वाधिक मासिक स्तर 11,305 करोड़ रुपये को छू लिया। चालू वित्त वर्ष में एसआईपी के जरिये होने वाला अंतर्वाह 89,283 करोड़ रुपये बैठता है।
एम्फी के मुख्य कार्यकारी एनएस वेंकटेश ने कहा कि एसआईपी आम आदमी द्वारा लगातार निवेश और बचत के अनुशासित तरीके का पसंदीदा माध्यम रहा है। यह खातों की बढ़ती संख्या से स्पष्ट हो जाता है। नियमित वित्तीय साक्षरता के जरिये खुदरा निवेशक एसआईपी के माध्यम से बाजार की अस्थिरता और जोखिम समायोजन के प्रबंधन की बारीकियों को समझ रहे हैं। पूरे वर्ष 2021 का समापन एसआईपी निवेशों की संख्या में वृद्धि के जरिये अनुशासित निवेश में इजाफे के साथ हुआ है।
एम्फी के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि इस वित्त वर्ष में 77.19 लाख एसआईपी बंद कर दिए गए या इनकी अवधि पूरी हो गई। दिसंबर 2021 तक प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) वाले एसआईपी 5.65 लाख करोड़ रुपये रहे।
बाजार के भागीदारों का कहना है कि डिजिटल फिनटेक कंपनियों ने भी एमएफ की जागरूकता बढ़ाने में सहायता की है और उन फिन टेक प्लेटफॉम की ओर से बड़ी संख्या में नए निवेशकों ने इक्विटी एमएफ में निवेश करना शुरू कर दिया है।
उद्योग के अधिकारियों को लगता है कि हालांकि अगर बाजार में उतार-चढ़ाव रहता है, तो इक्विटी फंडों में होने वाले प्रवाह में कमी आ सकती है, लेकिन आने वाले महीनों में एसआईपी के जरिये अंतर्वाह शायद बढ़ता रहे।
