आरबीआई सेविंग्स बॉन्ड से मिलेगा एफडी से ज्यादा रिटर्न

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 3:57 PM IST

जोखिम लिए बगैर बैंक एफडी के मुकाबले ज्यादा प्रतिफल चाहते हैं तो आप आरबीआई के फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड 2020 में निवेश कर सकते हैं। सरकार ने जुलाई 2020 में 7.75 फीसदी की फिक्स्ड ब्याज दर वाले आरबीआई सेविंग्स बॉन्ड की जगह फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड पेश किया था। चूंकि यह सरकारी बॉन्ड है, इसलिए बेहद सुरक्षित है। साथ ही इस पर ज्यादातर बैंकों के सावधि जमा (एफडी) से ज्यादा ब्याज भी मिलता है। 
कैसे करें निवेश 
आरबीआई ने सभी सरकारी बैंकों और चुनिंदा निजी बैंकों जैसे एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक तथा आईडीबीआई बैंक को यह बॉन्ड जारी करने का अधिकार दिया है। पूरे साल में किसी भी समय इस बॉन्ड में व्यक्ति, संयुक्त या नाबालिग के अभिभावक के तौर पर निवेश किया जा सकता है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं और बैंक शाखा भी जा सकते हैं। 
निवेश सीमा और लॉक-इन पीरियड
आप कम से कम 1,000 रुपये मूल्य का बॉन्ड खरीद सकते हैं। इसमें निवेश 1,000 के गुणक में ही होता है यानी 1,000 रुपये, 2000 रुपये, 3000 रुपये और अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। बॉन्ड की लॉक-इन अवधि 7 साल है यानी 7 साल से पहले आप इसे भुना नहीं सकते। मगर 60 साल या अधिक उम्र के लोग इसे समय से पहले भुना सकते हैं। नियमों के अनुसार 60 से 70 साल के निवेशक 6 साल, 70 से 80 साल के निवेशक 5 साल और 80 साल से अधिक उम्र के निवेशक 4 साल बाद ही इस बॉन्ड को भुना सकते हैं। लेकिन ऐसा करने पर आपको जुर्माना भरना होगा। बॉन्ड में आपकी निवेश अवधि के आखिरी छह महीनों में मिलने वाले ब्याज की 50 फीसदी रकम बतौर जुर्माना काट ली जाएगी। 
ब्याज
फ्लोटिंग होने के कारण इस बॉन्ड पर ब्याज की दर बदलती रहती है और सरकार हर छह महीने पर नई ब्याज दर तय करती है। इस बॉन्ड पर ब्याज के लिए राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) को पैमाना माना गया है। इसलिए 1 जुलाई और 1 जनवरी को जो ब्याज एनएससी के लिए तय होगा, उससे 35 आधार अंक ज्यादा ब्याज इस बॉन्ड के लिए खुद ही तय हो जाएगा। इस बार जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए एनएससी पर सरकार ने 6.80 फीसदी ब्याज निर्धारित किया है, इसलिए मौजूदा छमाही (जुलाई से दिसंबर) के लिए इस बॉन्ड पर ब्याज की दर 7.15 फीसदी हो गई है। इस बॉन्ड पर परिपक्वता के समय एकमुश्त ब्याज नहीं दिया जाता यानी हर छह महीने पर ब्याज बॉन्डधारक के खाते में डाल दिया जाता है। 

कर का नियम 

इस बॉन्ड में निवेश करने वाली रकम पर कर छूट नहीं मिलती और न ही इससे मिलने वाले ब्याज पर कर माफी मिलती है। ब्याज यानी प्रतिफल को निवेशक की आय में जोड़ दिया जाता है और कर स्लैब के हिसाब से उस पर कर चुकाना होता है। इस बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस का भी प्रावधान है। मगर टीडीएस तभी कटेगा, जब वित्त वर्ष के दौरान 10,000 रुपये से अधिक प्रतिफल यानी ब्याज हासिल हो।

 

तरलता 

इस बॉन्ड के साथ एक समस्या तरलता की है क्योंकि यह बिल्कुल भी तरल नहीं है यानी अगर आपको अचानक धन की जरूरत पड़ जाए तो यह बॉन्ड आपके काम नहीं आएगा। न तो इसे स्टॉक एक्सचेंज पर बेचा-खरीदा जा सकता है और न ही इसे किसी और के नाम ट्रांसफर किया जा सकता है। कर्ज लेना हो तो बतौर रेहन यानी सिक्योरिटी भी इसे इस्तेमाल नहीं कर सकते। 
 

तो कौन खरीदे 

जिन निवेशकों की सालाना आय 5 लाख रुपये से कम हो और जिन्हें 7 साल के लिए निवेश करने या रकम फंसाने में कोई दिक्कत नहीं हो उनके लिए यह बॉन्ड बेहतर विकल्प है।
 

First Published : September 4, 2022 | 11:01 PM IST