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पीएमएस योजनाओं में निफ्टी से ज्यादा रिटर्न

Last Updated- December 11, 2022 | 10:05 PM IST

मिडकैप व स्मॉलकैप में लगातार तेजी के बीच कैलेंडर वर्ष 2021 में हर पांच पीएमएस योजनाओं में से चार ने निफ्टी-50 को पीछे छोड़ा। 249 पीएमएस योजनाओं में से 200 यानी 80 फीसदी ने बेंचमार्क के रिटर्न 24.1 फीसदी को पीछे छोड़ दिया। 70 फीसदी योजनाओं ने साल के दौरान 50 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया। 249 योजनाओं ने सामूहिक तौर पर औसतन 40 फीसदी रिटर्न दिया, जो बेंचमार्क निफ्टी-500 के रिटर्न 30.2 फीसदी से ज्यादा है। लेकिन निफ्टी मिडकैप 100 (46.1 फीसदी) और एनएसई स्मॉसलकैप 100 (59.3 फीसदी) के रिटर्न से कम है।
ग्रीन पोर्टफोलियो का सुपर 30 प्रदर्शन के मामले में सबसे ऊपर रहा और उसका रिटर्न 115.5 फीसदी रहा, जिसके बाद वेलेंटिस एडवाइजर्स के राइजिंग स्टार ऑपरच्युनिटी (96.4 फीसदी) और राइट्स होराइजन के मिनरवा इंडिया अंडर-सर्व्ड (92.2 फीसदी) का स्थान रहा।
कार्नेलियन ऐसेट एडवाइजर्स के नोट में कहा गया है, हमारा सबसे संतोषजनक पहलू यह है कि हम इंडेक्स के मुकाबले कम बीटा रखते हुए बेहतर प्रदर्शन में सक्षम रहे। इसका मतलब यह है कि हमने कम जोखिम लिया और ज्यादा रिटर्न दिया, साथ ही नकदी बनाए रखी। कार्नेलियन ऐसेट एडवाइजर्स की मल्टी कैप शिफ्ट स्ट्रैटिजी 10 अग्रणी पीएमएस योजनाओं में शामिल है और एक साल का रिटर्न 79 फीसदी से ज्यादा रहा है।
नोट में कहा गया है, सितंबर 2020 में आईटी व विनिर्माण थीम पर आक्रामक रणनीति अपनाने के मामले में हम अल्पसंख्यक हैं और हमने उसी के मुताबिक अपना पोर्टफोलियो को स्थापित किया है। इसने इस साल हमारे प्रदर्शन में अच्छा योगदान किया।
काफी पीएमएस योजनाओं के पोर्टफोलियो का झुकाव मिड व स्मॉलकैप की ओर है और 15-20 शेयरोंं के संकेंद्रित पोर्टफोलियो का परिचालन करती है। ऐसा पोर्टफोलियो उच्च रिटर्न की संभावना बढ़ा देता है लेकिन बाजार में गिरावट के दौर में यह फिसलन के प्रति संवेदनशील भी है।
कम लिवरेज वाली, मजबूत फंडामेंटल और उच्च कॉरपोरेट गवर्र्नेंस वाली कंपनियोंं ने अनिवार्य तौर पर पिछले साल बेहतर नहींं किया, यह कहना है एंबिट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक सिद्धार्थ रस्तोगी का। इसके बजाय उच्च कर्ज-इक्विटी अनुपात वाले साइक्लिकल कारोबारों ने बेहतर प्रदर्शन किया। रस्तोगी ने कहा, ज्यादातर पीएमएस योजनाओं ने संगतता के बजाय रफ्तार का पीछा किया और साइक्लिकल पर ज्यादा दांव लगाने वालों ने पिछले साल बेहतर प्रदर्शन किया।
विशेषज्ञों के मुताबिक, साल 2021 री-रेटिंग के जरिए आगे बढ़ा क्योंकि आसान नकदी थी व ब्याज दर कम था। ये दोनों पलट सकते हैं, इसी वजह से यह साल डी-रेटिंग व आय में रफ्तार का साल हो सकता है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी संभावित है और बाजारों में उतारचढ़ाव ज्यादा रहेगा। इसी वजह से कंपनियों की आय की रफ्तार दोबारा केंद्र में आ जाएगा।
कार्नेलियन के नोट में कहा गया है, जब भी ऐसा माहौल बनता है, बाजारों में उतारचढ़ाव होता है और अल्फा अर्जित करना मुश्किल हो जाता है। रस्तोगी ने कहा, पिछले साल आय मेंं बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई लेकिन पीई गुणक का विस्तार हुआ। हम यहां से अब ऐसा नही देखने जा रहे हैं। पीई गुणक नीचे आएगा और जब पूंजी की भारांकित औसत लागत बढ़ेगी तब इक्विटी साल 2022 में अपेक्षाकृत कम रिटर्न देगा।
रस्तोगी के मुताबिक, निवेशकों को कारोबारों में मुनाफावसूली करना चाहिए, जो साइक्लिकल हों और जहां पीई गुणक का विस्तार तर्कहीन ढंग से हुआ हो।
डिस्क्रिशनरी पोर्टफोलियो के तहत पीएमएस योजनाओं ने 22.7 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधन किया जबकि गैर-डिस्क्रिशनरी पोर्टफोलियो के तहत 1.44 लाख करोड़ रुपये का। इसके अलावा सलाहकारी सेवाओं के तहत 2.23 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधन किया गया। ताजा नियामकीय आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
पीएमएस सेगमेंट धनी लोगों के बदले रकम का निवेश करता है। इसमें नियम के तहत न्यूनतम निवेश 50 लाख रुपये है।

First Published - January 14, 2022 | 11:20 PM IST

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