भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा कुछ उपभोक्ता ऋण श्रेणियों के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ऋण पर जोखिम अधिभार बढ़ाने के साथ एनबीएफसी को दिए जाने वाले बैंक ऋण पर भी जोखिम अधिभार बढ़ाए जाने के बाद वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही के दौरान एनबीएफसी द्वारा दिए जाने वाले ऋण की वृद्धि की रफ्तार छमाही आधार पर घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई है।
रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक ऋण में सुस्ती का असर खासकर ऊपरी स्तर के एनबीएफसी में नजर आया, जिसमें मुख्य रूप से एनबीएफसी इन्वेस्टमेंट क्रेडिट कंपनियां शामिल हैं, जिनके लोन बुक में खुदरा ऋण का हिस्सा ज्यादा (63.8 प्रतिशत) है। बहरहाल सरकारी एनबीएफसी को छोड़कर मध्य स्तर के एनबीएफसी की ऋण वृद्धि में तेजी बनी रही है। खासकर खुदरा ऋण पोर्टफोलियो में इनका ऋण बढ़ा है।
बहरहाल इस सेक्टर की ऋण वृद्धि सालाना आधार पर सुस्त होकर 16 प्रतिशत रह गई है, जो 22.1 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डायरेक्ट बैंक फंडिंग सुस्त होने के कारण एनबीएफसी धन जुटाने के लिए बॉन्ड बाजार में जा रही हैं। सितंबर 2024 के आंकड़ों से पता चलता है कि सीधी उधारी, वाणिज्यिक पत्र और डिबेंचर सहित ऊपरी स्तर के एनबीएफसी के लिए बैंक फंडिंग घटकर 34.6 प्रतिशत रह गई है, जो 35.8 प्रतिशत थी। मध्य स्तर के एनबीएफसी की बैंक फंडिंग गिरकर 26.3 प्रतिशत हो गई है, जो 26.7 प्रतिशत थी।