सरकार डिजिटल लेनदेन अधिक सुरक्षित बनाने के लिए गूगल पे, फोन पे, पेटीएम सहित अन्य थर्ड पार्टी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ऐप्लिकेशन के साथ मिलकर जरूरी कदम उठा रही है। इस मामले से वाकिफ लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार इन यूपीआई भुगतान ऐप के साथ मिलकर कड़े सुरक्षा उपाय करेगी जो किसी भी प्रकार के संदेहास्पद लेनदेन को तत्काल रोक देंगे।
इन दिनों थर्ड पार्टी ऐप के जरिये फर्जी लेनदेन के कई मामले सामने आ रहे हैं जिसे देखते हुए सरकार ने इनकी काट तैयार करने का निर्णय लिया है। एक अधिकारी ने कहा कि खासकर इन ऐप का इस्तेमाल करने वाले कम पढ़े-लिखे लोग फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों के झांसे में आ जाते हैं।
इस बारे में एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने तय किया है कि छोटे-बड़े सभी लेनदेन की पुख्ता जांच की जाए और इसके बाद ही ये पूरे हों भले ही इससे थोड़ा अधिक समय (प्रति लेनदेन में) ही क्यों न लग जाए।’
इस कार्य को अंजाम देने के लिए थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन (टीपीए) प्रदाता जैसे गूगल पे, फोनपे और पेटीएम जानबूझकर लेन-देन में देरी कर सकते हैं, फर्जीवाड़े का संदेश (अलर्ट) भेज सकते हैं और कोई लेनदेन पूरा करने से पहले उपयोगर्ता से अतिरिक्त पुष्टि करने के लिए कह सकते हैं। ये सभी उपाय उन लेनदेन पर लागू होंगे जिनके फर्जी होने की आशंका अधिक हो सकती है।
एक भुगतान कंपनी के अधिकारी ने कहा कि ये कदम वॉलेट या संबंधित ऐप पर पंजीकृत बैंक खातों से जुड़े फोन नंबर से मिलने वाले संकेतों या जानकारियों पर आधारित होंगे। अधिकारी ने कहा, ‘आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से किसी संभावित जोखिम वाले लेनदेन के प्रति आगाह करने के लिए हमने पर्याप्त संकेत जुटा लिए हैं। उदाहरण के लिए भुगतान करने वाले व्यक्ति की उम्र कितनी है और बैंक खाता खाता कितने समय से सक्रिय या निष्क्रिय है आदि बातों पर गौर किया जा रहा है। इस बात की भी पड़ताल की जा रही है कि जिस मोबाइल नंबर या खाते में रकम भेजी जा रही है उसने लेकर पहले किसी ने आगाह तो नहीं किया है।’