वित्त-बीमा

नकदी की तंग स्थिति से सुस्त हो सकती है ऋण की वृद्धिः S&P

तेज आर्थिक वृद्धि के बीच बैंकों के ऋण में पिछले साल की तुलना में 16 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जो एक साल पहले 16.5 प्रतिशत थी।

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अभिजित लेले   
Last Updated- February 05, 2024 | 10:09 PM IST

अगर जमा में वृद्धि की दर सुस्त बनी रहती है तो अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025) में बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण की वृद्धि दर घटकर 12 से 14 प्रतिशत रह सकती है। S&P ग्लोबल रेटिंग्स के मुताबिक जमा लागत बढ़ने और धन हासिल करने की प्रतिस्पर्धा का असर पड़ेगा।

तेज आर्थिक वृद्धि के बीच बैंकों के ऋण में पिछले साल की तुलना में 16 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जो एक साल पहले 16.5 प्रतिशत थी।

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2024 तक जमा में पिछले साल की तुलना में 13.1 प्रतिशत वृद्धि हुई, जो एक साल पहले के 10.6 प्रतिशत से ज्यादा है। इसमें एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक में विलय का असर शामिल नहीं है।

S&P ग्लोबल रेटिंग्स में क्रेडिट एनालिस्ट निकिता आनंद ने कहा, ‘भारतीय बैंकों के जमा में वृद्धि, ऋण की तुलना में बहुत पीछे चल रही है। इसकी वजह से नकदी की तंग स्थिति बनी हुई है।’

रिजर्व बैंक की दिसंबर 2023 की मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद से नकदी की कमी बढ़ी है। शुद्ध नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) सितंबर 2023 के मध्य से ही घाटे की स्थिति में बनी हुई है।

भारतीय स्टेट बैंक की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक व्यवस्था में इस समय नकदी की कमी 2.3 लाख करोड़ रुपये है और दिसंबर 2023 की पॉलिसी के बाद यह औसतन 1.8 लाख करोड़ रुपये रही है।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 से 8 फरवरी को होनी है, जिसमें नीतिगत रुख और दरों की समीक्षा होगी। आनंद ने कहा कि नकदी की तंग स्थिति में बैंक होलसेल फंडिंग पर विचार करने को बाध्य हो सकते हैं।

इस तरह के फंड की ज्यादा लागत से मुनाफे पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमारे विचार से फंड की लागत बढ़ने और वित्त वर्ष 2025 में दरों में संभावित कटौती से ब्याज से मुनाफा सीमित होगा।

First Published : February 5, 2024 | 10:09 PM IST